टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित महिलाओं में छिपे हृदय जोखिम का खुलासा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 08-08-2025
Hidden heart risk in women with type 2 diabetes revealed
Hidden heart risk in women with type 2 diabetes revealed

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
लीसेस्टर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में पाया गया है कि टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों की तुलना में लगभग दोगुना अधिक संभावना होती है कि उनके हृदय में शुरुआती और छुपा हुआ नुकसान हो, जो सामान्य जांचों में पकड़ में नहीं आता.

यह शोध कोरोनरी माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन (CMD) पर अब तक की सबसे विस्तृत जांचों में से एक है, जिसका उद्देश्य ऐसे लोगों में लिंग-विशिष्ट जोखिम पैटर्न को उजागर करना था जिनमें हृदय रोग के कोई लक्षण नहीं थे। CMD, हृदय की सबसे छोटी रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह में कमी से होने वाला शुरुआती, “साइलेंट” हृदय नुकसान है.
 
NIHR लीसेस्टर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (BRC) में किए गए चार अलग-अलग अध्ययनों के डेटा और एडवांस्ड एमआरआई स्कैन का इस्तेमाल कर शोधकर्ताओं ने पाया कि टाइप-2 डायबिटीज़ से पीड़ित 46% महिलाओं में CMD के संकेत मौजूद थे, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा मात्र 26% था.
 
अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक और लीसेस्टर विश्वविद्यालय के NIHR रिसर्च प्रोफेसर, प्रो. गैरी मैककैन ने कहा, “हम हृदय रोग के शुरुआती चेतावनी संकेत देख रहे हैं, जो नियमित जांचों में सामने नहीं आते, और इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं हैं. इस अध्ययन की खास बात यह है कि सभी प्रतिभागी बिना किसी लक्षण के थे. उन्हें हृदय रोग का कोई निदान नहीं था, न सीने में दर्द और न ही सांस लेने में तकलीफ, लेकिन स्कैन ने एक अलग तस्वीर दिखाई.
 
सह-लेखक और NIHR क्लिनिकल लेक्चरर, डॉ. गौरव गुलसिन ने बताया, “अध्ययन में यह भी सामने आया कि CMD के मुख्य कारण पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग हैं। महिलाओं में इसका सबसे बड़ा कारण उच्च बॉडी मास इंडेक्स (BMI) यानी अधिक वजन था, जबकि पुरुषों में उच्च रक्तचाप मुख्य कारक पाया गया। यह दर्शाता है कि हमें हृदय रोग जोखिम के आकलन का तरीका बदलना पड़ सकता है और पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग उपचार रणनीतियां बनानी पड़ सकती हैं.
 
यह शोध NIHR लीसेस्टर BRC के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि यह हृदय रोग, जीवनशैली और डायबिटीज़ अनुसंधान टीमों के बीच सहयोग की ताकत को दर्शाता है। इस सहयोग से जटिल जानकारियों का पता लगाना संभव हुआ, जो अकेले संभव नहीं था.
 
NIHR लीसेस्टर BRC की निदेशक और प्रोफेसर ऑफ डायबिटीज़ मेडिसिन, प्रो. मेलानी डेविस CBE ने कहा, “यह इस बात का शानदार उदाहरण है कि जब विभिन्न विशेषज्ञताएं एकजुट होकर बीमारियों की समय पर पहचान और मरीजों के बेहतर परिणामों के लिए काम करती हैं, तो क्या हासिल किया जा सकता है.यही BRC की स्थापना का उद्देश्य था.
 
अध्ययन के निष्कर्ष भविष्य की रोकथाम रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण हैं. महिलाओं के लिए वजन कम करना और पुरुषों के लिए रक्तचाप नियंत्रण जैसी समय रहते की जाने वाली हस्तक्षेप प्रक्रियाएं, शुरुआती हृदय नुकसान को कम कर सकती हैं, इससे पहले कि यह हृदय विफलता में बदल जाए — एक ऐसी स्थिति जो टाइप-2 डायबिटीज़ के मरीजों में खास तौर पर आम है.