जै जुबिनदा’ के नारे के बीच जुबिन गर्ग को दी गई बुराह मस्जिद में श्रद्धांजलि

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 22-09-2025
Jubin Garg was paid tribute at the Burrah Mosque amidst chants of 'Jai Jubinda'.
Jubin Garg was paid tribute at the Burrah Mosque amidst chants of 'Jai Jubinda'.

 

अरिफुल इस्लाम / गुवाहाटी

प्रसिद्ध सांस्कृतिक प्रतीक जुबिन गर्ग जीवन भर  असम को एकजुट करने वाली शक्ति रहे हैं. और उनकी मृत्यु भी ऐसा ही साबित हुई. युवाओं के इस आइकन के आकस्मिक निधन ने फिर से सिद्ध कर दिया है कि वे अपनी गीतों की तरह असम के एकजुट करने वाले शक्ति बने हुए हैं. जाति, संप्रदाय, धर्म, भाषा और वैचारिक मतभेदों की दीवारें तोड़ते हुए, असम शुक्रवार से हर प्रार्थना में केवल एक नाम याद कर रहा है और वह नाम है जुबिन गर्ग.
Zubeen Garg fans paid tribute to the late singer
गायक,गीतकार,संगीतकार,फिल्म निर्माता,अभिनेता के रूप में जुबिन गर्ग की मृत्यु की खबर के बाद, जो शुक्रवार दोपहर सिंगापुर में समुद्र में तैरते हुए  हुई, असम शोक में डूब गया. हर चीज़ स्वतः ही ठहर गई. हजारों प्रशंसक मंदिरों और मस्जिदों में प्रार्थना करने के लिए उमड़ पड़े. उनकी हर रचना की धुन हर कोने में गूँज रही थी. गुवाहाटी की ऐतिहासिक बुराह जमे मस्जिद भी इससे अछूती नहीं रही.

क़ुरान की आयतों और सुरों (आयतें और सूरह) की परंपरा से हटकर, जुबिन के सुपरहिट गीत ‘मायाबिनी रातिर बुकुत …’ शनिवार शाम को बुराह मस्जिद परिसर से गूंजा, ताकि इस प्रिय प्रतीक को श्रद्धांजलि दी जा सके.

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मस्जिद प्रबंधन और मस्जिद के चैरिटी हॉस्टल के निवासियों ने एक प्रार्थना सभा आयोजित की. इसके अलावा हॉस्टल के छात्र भी ‘जै जुबिनदा’, ‘जुबिनदा अमर हो’ जैसे लोकप्रिय नारे लगाते हुए मोमबत्ती जलाकर दिग्हालीपुखुरी के किनारे तक मार्च निकाला, जो शहर के केंद्र में है. इस लोकप्रिय कलाकार को श्रद्धांजलि अर्पित की.

जुबिन गर्ग को युवा पीढ़ी के बीच आज़ान पीर के सबसे लोकप्रिय ज़िकिर (भक्तिगीत) 'मोर मंट भेद भाई नाई ओ अल्लाह … (मेरे मन में कोई भेदभाव नहीं है, हे अल्लाह …)' को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी दिया जाता है.

हॉस्टल के निवासी सनी ने कहा, "हमारे प्रिय जुबिन गर्ग अब हमारे बीच नहीं रहे. हम, बुराह  मस्जिद हॉस्टल के निवासी, मस्जिद परिसर से मोमबत्ती जलाकर दिग्हालीपुखुरी तक मार्च निकाला.

जुबिन गर्ग का निधन हमारे असम और असमिया समाज के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. हम सभी जुबिन दा के आकस्मिक निधन से बेहद दुखी हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए अल्लाह से प्रार्थना करते हैं."

मस्जिद प्रबंधन समिति के सचिव निजामुल हक़ ने कहा, "जुबिन गर्ग एक संस्था थे. आज वे नहीं रहे. वे हर असमिया के दिल में हैं. वे जाति, धर्म, नस्ल और भाषा की परवाह किए बिना सभी के प्रिय थे.

जुबिन गर्ग हर असमिया परिवार के सदस्य हैं. लेकिन जुबिन के निधन ने असम के लोगों के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं कि यह मौत कैसे और क्यों हुई ? इस पर उचित जांच होनी चाहिए. हम असम सरकार से जुबिन के निधन के रहस्य की गहन जांच की मांग करते हैं. सीबीआई से जांच करवाई जानी चाहिए. अगर जुबिन के निधन में कोई साजिश शामिल है, तो जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.

 

 

 

 
 

 

 

 

 
 
 
 
 

 

 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 

 

 

 

 
 
 

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मैं जुबिन की आत्मा की शांति की कामना करता हूं. हमने बुराह  मस्जिद में इसके लिए दुआ की है. मैं हमारे हॉस्टल के निवासियों का भी आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने जुबिन को इतनी सुंदर श्रद्धांजलि दी."