आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
एक अध्ययन से पता चला है कि प्रति घंटे 4 किमी या इससे तेज रफ्तार से चलने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा काफी कम हो जाता है.
ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में ऑनलाइन प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि 4 किमी/घंटा से ऊपर की गति जितनी तेज होगी, जोखिम उतना ही कम होगा, गति में प्रत्येक 1 किमी की वृद्धि के साथ जोखिम में 9 प्रतिशत की कमी होती है.
ईरान में सेमनान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने कहा कि टाइप 2 मधुमेह वाले वयस्कों की वैश्विक संख्या वर्तमान में 53.7 करोड़ है, लेकिन 2045 तक यह संख्या 78.3 करोड़ तक पहुंचने की आशंका है। इसलिए एक सरल और सस्ती शारीरिक गतिविधि जो कई अन्य सामाजिक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य लाभों से भी जुड़ी है, बीमारी से बचने में मदद करने के आसान तरीके में से एक हो सकती है.
यह अध्ययन 1999 और 2022 के बीच प्रकाशित 10 दीर्घकालिक अध्ययनों के विश्लेषण पर आधारित है। इनमें अमेरिका, जापान और ब्रिटेन के कुल 5,08,121 वयस्कों के लिए तीन से 11 साल तक की निगरानी अवधि शामिल थी.
दो मील या 3 किमी/घंटा से धीमे चलने की तुलना में, 2-3 मील या 3-5 किमी/घंटा की औसत या सामान्य चलने की गति टाइप 2 मधुमेह के 15 प्रतिशत कम जोखिम से जुड़ी थी, इस बात की परवाह किए बिना की व्यक्ति कितनी देर चलता है.
इसी तरह, 3-4 मील/घंटा या 5-6 किमी/घंटा की गति से काफी तेज चलने से टहलने की तुलना में टाइप 2 मधुमेह का खतरा 24 प्रतिशत कम होता है.
तेजी से चलने या 4 मील या 6 किमी/घंटा से अधिक की गति से चलने से जोखिम लगभग 39 प्रतिशत कम हो गया, जो कि प्रत्येक 100 लोगों में टाइप 2 मधुमेह के 2.24 मामलों के बराबर है.
निष्कर्षों से पता चलता है कि चलने की गति में प्रत्येक 1 किमी/घंटा की वृद्धि टाइप 2 मधुमेह के नौ प्रतिशत कम जोखिम से जुड़ी थी, 4 किमी/घंटा की न्यूनतम सीमा पुरुषों के लिए 87 कदम/मिनट और महिलाओं के लिए 100 कदम/मिनट के बराबर है.
शोधकर्ताओं ने कहा, "हालांकि चलने के कुल समय को बढ़ाने की मौजूदा रणनीतियां फायदेमंद हैं, लेकिन चलने के स्वास्थ्य लाभों को और बढ़ाने के लिए लोगों को तेज गति से चलने के लिए प्रोत्साहित करना भी उचित हो सकता है."