A molecule produced by gut bacteria has been shown to be effective against diabetes, offering hope for a new treatment.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
वाशिंगटन डीसी: वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्राकृतिक अणु की पहचान की है, जो टाइप-2 डायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस के खिलाफ उल्लेखनीय प्रभाव दिखाता है। यह अणु ट्राइमिथाइलएमाइन (टीएमए) है, जो हमारी आंत में मौजूद सूक्ष्मजीवों द्वारा भोजन में पाए जाने वाले कोलीन से बनता है। ‘नेचर मेटाबॉलिज्म’ में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार टीएमए शरीर में सूजन पैदा करने वाले एक महत्वपूर्ण इम्यून प्रोटीन IRAK4 को सीधे अवरुद्ध कर सकता है, जिससे सूजन कम होती है और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बेहतर होती है।
यह अंतरराष्ट्रीय शोध इंपीरियल कॉलेज लंदन, सीएनआरएस, यूनिवर्सिटी ऑफ लुवैन, इंसर्म और यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा हार्ट इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के सहयोग से किया गया। अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर मार्क-इमैनुएल डुमास और सह-वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर पैट्रिस कानी के अनुसार यह खोज बताती है कि आंत के बैक्टीरिया और पोषण मिलकर मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
शोध की जड़ें करीब 20 साल पुराने उस विचार से जुड़ी हैं, जिसमें यह सामने आया था कि हाई-फैट डाइट शरीर में सूजन बढ़ाकर इंसुलिन रेजिस्टेंस को जन्म देती है। लंबे समय तक वसायुक्त आहार लेने पर IRAK4 लगातार सक्रिय रहता है, जिससे क्रॉनिक सूजन होती है और डायबिटीज की स्थिति बिगड़ती है। वैज्ञानिकों ने पाया कि टीएमए इस प्रोटीन से जुड़कर इसकी गतिविधि को कम कर देता है, जिससे सूजन घटती है और शरीर फिर से इंसुलिन पर सही प्रतिक्रिया देने लगता है।
प्रयोगों में यह भी सामने आया कि IRAK4 को हटाने या दवाओं से रोकने पर वही फायदे मिले, जो टीएमए के इस्तेमाल से देखे गए। इतना ही नहीं, टीएमए ने चूहों को सेप्सिस जैसी जानलेवा स्थिति से भी बचाने में मदद की। विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि IRAK4 पहले से ही दवा विकास का एक अहम लक्ष्य है, इसलिए यह खोज भविष्य में डायबिटीज के नए और प्रभावी इलाज का रास्ता खोल सकती है।