आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में करीब 70 प्रतिशत गिग वर्कर (अस्थायी कर्मी) की खर्च-योग्य आय में अंशकालिक, मौसमी और 'गिग' भूमिकाओं के जरिये बढ़ोतरी हुई है. ‘एम्पावर इंडिया’ और ‘लोकलसर्किल्स’ की तरफ से जारी एक श्वेत पत्र में यह जानकारी दी गई.
गिग वर्कर से आशय ऑनलाइन मंच से जुड़े अस्थायी कामगारों से है। इनमें कैब ड्राइवर, ऑनलाइन आपूर्ति करने वाले और मंचों से जुड़े कुशल कामगार आते हैं.
रिपोर्ट कहती है कि विशेषकर युवाओं के लिए ई-कॉमर्स मंच पारंपरिक रोजगार की तुलना में अधिक आकर्षक विकल्प बनते जा रहे हैं। ये कंपनियां प्रशिक्षण, कौशल विकास और करियर प्रगति के अवसर दे रही हैं.
यह रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 90,000 से अधिक निवासियों के बीच सर्वेक्षण और गिग कर्मियों से सीधे साक्षात्कार के आधार पर तैयार की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ई-कॉमर्स और खुदरा मंच रोजगार के परिदृश्य को बदल रहे हैं और वित्तीय स्थिरता एवं समावेशी अवसर प्रदान कर रहे हैं.
रिपोर्ट कहती है, ‘‘अमेजन, डेल्हीवरी और मीशो जैसे ई-कॉमर्स मंच इस बदलाव के प्रमुख कारक के रूप में उभरे हैं.’’
हालांकि, अध्ययन में पाया गया कि त्वरित आपूर्ति पर केंद्रित क्विक कॉमर्स मंचों के उच्च लक्ष्य और दबाव के बीच कई युवा कर्मचारी स्थापित खुदरा और ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दिए जा रहे स्थिर और दीर्घकालिक अवसरों को तरजीह दे रहे हैं.
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया कि बुनियादी ढांचे में निवेश, समावेशी कार्यस्थल नीतियां और कौशल विकास पहल गिग कर्मियों के लिए गरिमापूर्ण और सार्थक रोजगार का रास्ता तैयार कर रही हैं.
एम्पावर इंडिया के महानिदेशक के. गिरि ने कहा, ‘‘दिल्ली-एनसीआर का खुदरा क्षेत्र केवल रोजगार ही नहीं सृजित कर रहा है बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक समृद्धि का मार्ग भी बना रहा है. अमेजन जहां कार्य स्थितियों और वेतन पर जोर दे रही है वहीं डेल्हीवरी बुनियादी ढांचा निवेश के जरिये टिकाऊ करियर अवसरों को मजबूत कर रही है.’
श्वेत पत्र में गिग कर्मियों के लिए एक व्यापक सामाजिक सुरक्षा ढांचे की जरूरत पर भी बल दिया गया है.