धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)
फिल्ममेकर अनुपर्णा रॉय ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल की 82वीं संस्करण में अपनी फिल्म ‘सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़’ के लिए ऑरिज़ोंटी प्रतियोगिता में बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार जीतने के बाद अनुभव साझा किया। उन्होंने इसे अपने जीवन का “जीवन बदल देने वाला” पल बताया।
आज धर्मशाला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल (DIFF) 2025 के 14वें संस्करण में उनकी फिल्म को समापन फिल्म के रूप में दिखाया गया। ANI से बात करते हुए अनुपर्णा ने बताया कि इस जीत के बाद फिल्म इंडस्ट्री में उनके प्रति नजरिया बदल गया है, जिससे उन्हें निर्माता और अन्य पेशेवरों तक आसान पहुँच और नए अवसर मिले हैं।
इस जीत के असर के बारे में पूछे जाने पर अनुपर्णा ने कहा,
“मैं इस अनुभव को पूरी तरह जी रही हूँ। एक इंडी फिल्ममेकर के रूप में इस अनुभव ने मुझे बहुत कुछ दिया क्योंकि अब निर्माता मेरे लिए बहुत सुलभ हैं, और मैं उनके लिए सुलभ हूँ। मैं अब अपना अगला प्रोजेक्ट उनके सामने पेश कर सकती हूँ। फिल्ममेकर के तौर पर इससे बड़ी और क्या ज़रूरत हो सकती है? इसने हमारी ज़िन्दगी बदल दी।”
उन्होंने फिल्म बनाने के दौरान आने वाली शुरुआती चुनौतियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि फिल्म का कमर्शियल अपील न होने के कारण निर्माता मिलना चुनौतीपूर्ण था। अनुपर्णा ने कहा,
“सच कहूँ तो जब मैंने यह प्रोजेक्ट शुरू किया, तो मैंने कभी सोचा नहीं कि निर्माता मिलेंगे। कहानी में कोई व्यावसायिक पहलू नहीं था, जो भारत में फिल्मों की पारंपरिक परिभाषा के अनुसार जरूरी माना जाता है। लेकिन सौभाग्य से, सभी निर्माता हमारे साथ जुड़ गए।”
अनुपर्णा ने अपने साथी इंडी फिल्ममेकरों को प्रेरित करते हुए कहा कि “इच्छा, नीयत और जुनून” फिल्म बनाने के लिए सबसे आवश्यक गुण हैं। उन्होंने कहा,
“मैं उन्हें यह कहना चाहती हूँ कि फिल्म बनाएं। अगर मैं कर सकती हूँ, तो वे भी कर सकते हैं। मैं खुद को कोई विशेष नहीं मानती। अगर उनके पास फिल्म बनाने की इच्छा, स्पष्ट और नेक नीयत और जुनून है, तो उन्हें इंतजार किए बिना इंडी फिल्में बनानी चाहिए।”
अनुराग कश्यप द्वारा प्रस्तुत अनुपर्णा रॉय की ‘सॉन्ग्स ऑफ़ फॉरगॉटन ट्रीज़’ वेनिस फेस्टिवल के ऑरिज़ोंटी सेक्शन में अकेली भारतीय फिल्म बनी। यह फिल्म मुंबई में दो प्रवासी महिलाओं की कहानी दिखाती है, जो अकेलापन, जीवनयापन और क्षणभंगुर जुड़ाव की खोज में हैं।
DIFF 2025 के समापन दिन फिल्म की स्क्रीनिंग को दर्शकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इस 14वें धर्मशाला फिल्म फेस्टिवल में फिल्में हर्मन ग्माइनर हॉल और PictureTime द्वारा लगाए गए दो इन्फ्लैटेबल डिजिटल थिएटर्स में दिखाई गईं।
इस सप्ताह की शुरुआत में, महोत्सव का उद्घाटन नीरज घोष्वान की ‘होमबाउंड’ से हुआ और आदिल हुसैन तथा महान रूसी फिल्ममेकर आंद्रेई टारकोव्स्की के पुत्र एंड्रेई ए. टारकोव्स्की के मास्टरक्लास भी आयोजित किए गए, जिन्होंने अपने पिता की सिनेमाई विरासत पर चर्चा की।