कभी बिजनौर की दुल्हन बनने वाली थीं वहीदा रहमान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 28-09-2023
Waheeda Rehman
Waheeda Rehman

 

अशोक मधुप

अभिनेत्री वहीदा रहमान को प्रतिष्ठित  दादा साहब फाल्के पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.ये घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक्स पर लिखा कि उन्हें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि फिल्म अभिनेत्री  वहीदा रहमान जी को भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस साल प्रसिद्ध दादा साहब फाल्के लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया जा रहा है.

 आज के बिजनौर को पता भी नहीं होगा कि इन वहीदा रहमान का बिजनौर से गहरा नाता रहा .।ये बिजनौर की दुल्हन बनने वाली थी.मंगनी हो गई थी किंतु दूल्हे के पहले ही शादीशुदा होने के कारण यह  शादी नहीं हो सकी.इनके पति ने धामपुर में टैल्कम पाउडर बनाने की एक फैक्ट्री भी लगाई थी.वहीदा रहमान काफी समय तक लगातार धामपुर आती −जाती रही. धामपुर  प्रवास के दौरान ये फैक्ट्री में ही अपने लिए भवन में रहती थीं.

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उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के नजीबाबाद के एक रईस हुए हैं अहसान साहब.उनके  पिता  हाफिज अहमद हुसैन का 1960 के आसपास  नजीबाबाद में लकड़ी का बड़ा कारोबार था.हाफिज अहमद हुसैन के बेटे अहसान साहब के रिश्ते दूर – दूर तक रिश्ते थे.

उस समय तक शिकार पर पाबंदी नही थी .इसी कारण  शिकार के शौकीन काफी विदेशी इनके पास आते रहते थे.इन  सब के कारण अहसान साहब की बड़ी प्रशंसा थी.समाज के सम्मानित लोगों में इनका नाम था.इन अहसान साहब की वहीदा रहमान से शादी हो गई.

बिजनौर के पुराने जानकार के अनुसार मंगनी हो चुकी थी.बिजनौर की रहने वाली जानी मानी लेखिका कुर्रतुल एन  हैदर और वहीदा रहमान में गहरी दोस्ती थी.वहीदा रहमान ने  कुरतुल एन  हैदर  को अहसान साहब के बारे में जानकारी करने के लिए बिजनौर भेजा. कुर्रतुल  एन  हैदर को वहीदा रहमान की कोठी के लिए  कुछ परदे भी लेने थे.वह अपने  जन्म स्थल नहटौर आईं.  जैन कपड़ा फैक्ट्री से परदे खरीदे.

इसी दौरान जानकारी करने पर  कुर्रतुल  एन हैदर को पता चला कि अहसान साहब पहले शादीशुदा  हैं.यह पता चलने पर ये  शादी नहीं हुई.किशार और वन कटान पर रोक लगने के बाद में अहसान साहब गुड़गांव में रहने लगे.वहां दो−तीन साल पहले उनका इंतकाल हो गया.

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यूं तो वहीदा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत तेलुगु सिनेमा से की थी, लेकिन उन्हें हिंदी सिनेमा में पहला ब्रेक फिल्म सीआईडी से मिला .इस फिल्म में उन्होंने नेगेटिव भूमिका अदा की थी.इस फिल्म में वहीदा के साथ गुरु दत्त नजर आये थे.  गुरु दत्त और वहीदा ने मिलकर कई फिल्मों में काम किया.इनमे प्यासा, कागज के फूल, चौदहवीं का चाँद, साहिब-बीवी और गुलाम शामिल है।,

कहा जाता है कि, इन फिल्मों के बीच दोनों के प्रेम प्रसंग ने खूब सुर्खियां बटोरीं.रिपोर्ट्स की माने तो फिल्म सीआईडी के समय से गुरुदत्त और वहीदा दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. गुरु दत्त वहीदा के प्यार में इस कदर डूबे हुए थे कि वह फिल्म में उनके साथ अपने अलग सीन्स लिखवाते थे.गुरु दत्त पहले से शादीशुदा थे,जब उनकी पत्नी गीता को इस बारे में पता चला तो वह टूट गई .

उस वक्त गुरु ने प्रेमिका की जगह पत्नी को चुना .वहीदा से अलग होकर गुरुदत्त टूट गए.10 अक्टूबर 1964 को गुरुदत्त ने आत्महत्या कर ली.वहीदा रहमान अब अकेली रह गयीं.हालांकि जीवन के इस मोड़ पर वहीदा ने हार नहीं मानी.अपने फिल्मी करियर पर ध्यान दिया, जिसके नतीजे में उन्हें 1965में फिल्म 'गाइड' के फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया.इसके बाद वहीदा का करियर एकबार फिर से ऊंचाई पर था.

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वहीदा रहमान अपने करियर के पीक पर थी.1964 में फिल्म शगुन में वहीदा रहमान और कमलजीत ने साथ काम किया.कमलजीत इस फिल्म में हीरो थे.दोनों के आपस में संपर्क में आने के बाद उन्होंने शादी करने का फैसला लिया था.उनका परिवार इस शादी के राजी नहीं था.वहीदा रहमान  ने परिवार के खिलाफ जाकर 1974 में कमलजीत से शादी की थी.

 इनके पति कमलजीत ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के धामपुर शहर में धामपुर शुगर मिल के सामने पाउडर बनाने की फैक्ट्री लगाई.ये फैक्ट्री  माइक्रो नाम से टैल्कम पाउडर बनाती थी.यह फैक्ट्री लंबे समय तक चली.

बाद में नुकसान देना शुरू कर दिया.सन 2000 में कमलजीत का निधन हो गया.फैक्ट्री नुकसान में थी, सो 2008 में धामपुर चीनी मिल और एक और व्यापारी को बेच दी गई.आज यहां  काँलोनी है.इस  माइक्रो फैक्ट्री में फैक्ट्री स्वामी कमलजीत और वहीदा रहमान के लिए शानदार निवास बना था.

फैक्ट्री चलने के दौरान वहीदा रहमान कई बार धामपुर आईं.इस फैक्ट्री को बिके लगभग 15 साल हो गए.  इसके बावजूद ये फैक्ट्री आज भी वहीदा रहमान की फैक्ट्री के नाम से जानी जाती है.

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)