फिल्म की भव्यता कहानी पर निर्भर करती है, वीएफएक्स पर नहीं: आमिर खान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 03-03-2024
'Laapataa Ladies' Promotion: The grandeur of a film depends on the story, not on VFX- Aamir Khan
'Laapataa Ladies' Promotion: The grandeur of a film depends on the story, not on VFX- Aamir Khan

 

जियो स्टूडियोज द्वारा प्रस्तुत, आमिर खान प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित और किरण राव द्वारा निर्देशित, 'लापता लेडीज' शुक्रवार को  सिनेमाघरों में रिलीज हुई. इस मौके पर अभिनेता-निर्माता आमिर खान, निर्माता-निर्देशक किरण राव और फिल्म के कलाकारों की 'आवाज द वॉयस- मराठी' की प्रतिनिधि महिमा ठोंबरे से खास बातचीत...

फिल्म 'लापता लेडीज' की कहानी है एक छोटे गाँव की. कहानी दिलचस्प तो है ही, पर इसमें एक सामाजिक संदेश भी है. इस कहानी के चयन के बारे में निर्देशक किरण राव बताती हैं, “लेखक बिप्लब गोसावी ने इस कहानी को एक प्रतियोगिता के लिए भेजा था और आमिर खान उस प्रतियोगिता के जज थे. उन्हें ये कहानी बेहद पसंद आयी. उन्होंने ही मुझे सुझाव दिया था कि मैं इसपर फिल्म बना सकती हूँ. मुझे भी कहानी बेहद पसंद आयी."
 
फिल्म की कहानी के बारे में पूछे जाने पर किरण राव बताती है, "एक नवविवाहित जोड़ा ट्रेन से यात्रा कर रहा है और घर पहुंचने पर पति को एहसास होता है कि ट्रेन से उतरते समय वह गलती से लड़की का हाथ पकड़कर उतर गया है. वह जो हमारे साथ आई है वह किसी और की पत्नी है. यह सोच और प्लाट अपने आप में बेहद दिलचस्प था.
 
अब क्या ये पति-पत्नी मिलेंगे, एक-दूसरे को कैसे ढूंढेंगे, ये जिज्ञासा कहानी में  आखिर तक बनी रहती है. कहानी में उभर रही  यही  संभावनाएं मेरे दिल को छु गई और मैंने इसपर फिल्म बनाने के बारे में सोचा."
 
वो आगे कहती है, "कहानी मूलत: काफी गंभीर और रियलिस्टिक थी, लेकिन मैं इसे थोड़ा और मनोरंजक तरीके से पेश  करना चाहती थी. पटकथा और संवाद लेखिका स्नेहा देसाई ने मेरे सभी खयालों  में जान फूंक दी है. हमने तय किया था कि इस कहानी के दौरान इंसानी फितरत के मज़ेदार पहलू सामने आने चाहिए." 
 
फिल्म की स्क्रिप्ट और डायलॉग के बारे में वो बताती है, "फिल्म के स्क्रिप्ट और डायलॉग को हमने जानबूझकर नैचुरल रखा है. इस कहानी में कई तरह के किरदार थे. पर कहानी अगर बड़ी गंभीर और ज्ञानवर्धक तरीके से पेश  की  जाती तो शायद  उतनी इंपेक्टफूल नहीं हो पाती. इसलिए हमने उसे  हल्के-फुल्के ढंग से उसे पेश किया."
 
किरण का फैसला मुझे सही लगा: आमिर खान 
आमिरने ये कहानी पढ़ रखी थी, इसलिए फिल्म बनाते वक़्त उसमें हुए बदलाव से भी वाकिफ है. फिल्म के बारे पूछे जाने पर आमिरने कहा, "कहानी मूल रूप से बेहद  दिलचस्प थी. इसमें काफी 'ड्रामा' था. किरण राव बहुत ईमानदार और रियलिस्टिक डिरेक्टर हैं.
 
अगर उनकी जगह कोई और 'ड्रामाटिक' निर्देशक होता तो मुझे लगता है कि फिल्म 'मेलोड्रामा' में तब्दील हो जाती. इसलिए मुझे लगा कि  इस कहानी को डिरेक्टर करने के लिए किरण राव ही सही शख्स  हैं. फिल्म देखने के बाद मुझे लगा की  उन्होंने इस कहानी के साथ पूरा इन्साफ किया है."
 
महिलाओं की कमजोर आवाज को करें मजबूत
इस फिल्म की एक और खासियत ये है की ये एक महिला निर्देशक द्वारा बताई गई महिलाओं की कहानी है. इस बारे में किरण राव बताती हैं, "हर किसीने ये बताना चाहिए कि वे क्या महसूस करते हैं. लेकिन मेरा यकीनन ये मानना है महिलाओं ने आगे आकर महिलाओं की कहानियां बतानी चाहिए. सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री में ही नहीं बल्कि अन्य कई क्षेत्रों में भी महिलाओं की आवाज कमजोर है, इसे बढ़ाना चाहिए. 
 
महिलाएं, हमारी आधी आबादीने अपनी कहानी सुनाने के लिए पहल करनी चाहिए. बेशक, ये बताना भी ज़रूरी है कि एक संवेदनशील पुरुष भी महिलाओं की कहानी उसी ताकत के साथ पेश कर सकता है.'' इसपर राय रखते हुए आमिर खान कहते हैं, "एक अच्छी कलात्मक पृष्ठभूमिवाला सेंसेटिव डिरेक्टर, चाहे वह पुरुष हो या महिला , किसी की भी कहानी अच्छे तरीके से पेश कर सकता है."
 
अनुभवी और नये अदाकारों की फ़ौज
इस फिल्म में कई कलाकार नये हैं, कुछ की यह पहली फिल्म है, तो कुछ अनुभवी हैं. इन सब को साथ  लेकर काम करना कितना चुनौतीभरा था, ऐसा पूछने पर किरण राव ने कहा, "आमिर खान प्रोडक्शंस की हर फिल्म में हम शूटिंगसे पहले कई बार एकसाथ स्क्रिप्ट पढ़ते हैं. इस फिल्म के दौरान भी ऐसा किया गया था.
 
सभी कलाकारों के साथ वर्कशॉप्स लिए गये. मुंबई ऑफिस में कुछ सीन्स की रिहर्सल हुई. चूंकि फिल्म का बैकग्राउंड ग्रामीण है, इसलिए हमने एक स्पेशल कोच भी रखाताकि उस इलाके का लहजा और भाषा को अंदर उतारा जा सके." 
 
फिल्म में छाया कदम, स्पर्श श्रीवास्तव, प्रतिभा रांटा आणि नीतांशी गोयल आदि कलाकारों की प्रमुख भूमिका है. फिल्म में काम करने अनुभव के बारे में वो बताते है, "शूटिंग के अलावा भी हम सबने काफी वक़्त एकसाथ गुज़ारा. उसका हमें काफी फायदा हुआ. फिल्म की स्क्रिप्ट काफ़ी अच्छी थी, इसलिए नींव बहुत मजबूत थी। वर्कशॉप का हमें काफी फायदा हुआ. किरण राव की मदद से इस मजबूत नीवपर एक अच्छी इमारत बनाना मुमकिन हो सका."
 
कहानी सबसे ज़रूरी चीज़ है
इस फिल्म की अहमियत बताते हुए आमिर खान ने कहा, "कोरोना के बाद के लोगों में एक गलत धारणा फैल गई है की सिनेमा हॉल में जाने का मतलब है कि आपको एक्शन या भव्यतावाली फिल्म देखनी है. लेकिन मैं इस धारणा से सहमत नहीं हूं.
 
कोई भी फिल्म अपने एक्शन, वीएफएक्स या सिनेमैटोग्राफी की वजह से भव्य और बड़ी नहीं होती. कोई भी फिल्म अपनी कहानी की वजह से ही बड़ी और भव्य होती है. जब कहानी अच्छी होती है तो दर्शकों को फिल्म अच्छी लगती है. इसलिए फिल्म में कहानी सबसे ज़रूरी चीज़ है." 
 
इसी बात को दोहराते हुए किरण राव कहती हैं, "हमारी फिल्म 'लापता लेडीज' की कहानी भी ऐसिक ही मजबूत है, इसलिए लोगों को यह जरूर पसंद आएगी. मैं फिल्मों को चाहनेवालों से गुजारिश करना चाहती हूँ  कि आज भव्यदिव्य एक्शन फिल्मों की भरमार है. ऐसे समय में गहरी सोच और कहानीवाली इस फिल्म को देखने सिनेमाघरों में ज़रूर जाएँ."