‘आंधी’ से लेकर ‘नसबंदी’ तक आपातकाल के दौरान कई फिल्मों को सेंसरशिप का सामना करना पड़ा

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 25-06-2025
From 'Aandhi' to 'Nasbandi', many films faced censorship during the Emergency
From 'Aandhi' to 'Nasbandi', many films faced censorship during the Emergency

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

आपातकाल के 21 महीनों के दौरान सरकार ने कला और सिनेमा जगत पर कठोर सेंसरशिप लागू की थी. इस दौरान ऐसी कई फिल्मों को अपनी विषयवस्तु को लेकर सेंसरशिप का सामना करना पड़ा था, जिनका निर्माण पूरा हो गया था या उन्हें बनाया जा रहा था.
 
यहां उन प्रमुख फिल्मों की सूची दी गई है जिन्हें आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित किया गया, जिन पर रोक लगायी गयी या जिन्हें सेंसरशिप का सामना करना पड़ा..
 
1) आंधी

माना जाता है कि यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन से प्रेरित है. गुलजार की 1975 में आयी इस फिल्म को रिलीज होने के कुछ समय बाद ही प्रतिबंधित कर दिया गया था. हालांकि, फिल्म निर्माताओं ने कहा कि यह एक काल्पनिक कहानी है, लेकिन सुचित्रा सेन द्वारा निभाए गए मुख्य किरदार आरती देवी और इंदिरा गांधी के बीच समानताओं को नज़रअंदाज करना मुश्किल था, खासकर उनके बालों में सफ़ेद धारियां. आपातकाल खत्म होने के बाद फिल्म से प्रतिबंध हटा लिया गया था.
 
2) किस्सा कुर्सी का

फिल्म निर्माता अमृत नाहटा द्वारा उस वक्त के राजनीतिक परिदृश्य पर व्यंग्य करते हुए बनाई गई इस फिल्म के ‘नेगेटिव’ को नष्ट कर दिया गया था और इसके प्रिंट को तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री वी.सी. शुक्ला ने जब्त कर लिया था, जो इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के करीबी थे.
 
फिल्म का मुख्य किरदार गंगाराम संजय गांधी पर आधारित था और इसमें शबाना आज़मी, राज बब्बर, राज किरण और उत्पल दत्त भी थे. नाहटा ने फिल्म को दोबारा बनाया और इसे 1978 में रिलीज किया। हालांकि, फिल्म के इस संस्करण को भी सेंसरशिप का सामना करना पड़ा.
 
3) आंदोलन

लेख टंडन द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित थी. यह एक भारतीय शिक्षक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने गृहनगर में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरू करता है.
 
राकेश पांडे और नीतू सिंह अभिनीत इस फिल्म को आपातकाल के दौरान सेंसरशिप का सामना करना पड़ा.
 
4) चंदा मरुथा

पी लंकेश के प्रिय नाटक ‘‘क्रांति बंटू क्रांति’’ पर आधारित यह कन्नड़ फिल्म आपातकाल लगने से ठीक पहले बनाई गई थी. इसका निर्देशन पट्टाभि राम रेड्डी ने किया था और इसमें उनकी पत्नी स्नेहलता रेड्डी ने अभिनय किया था. स्नेहलता को जेल में डाल दिया गया था और पैरोल पर रिहा होने के पांच दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गई थी.
 
5) नसबंदी

आई एस जौहर द्वारा निर्देशित यह फिल्म आपातकाल के दौरान चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान पर व्यंग्य थी. इस फिल्म में उस समय के प्रमुख अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, मनोज कुमार और राजेश खन्ना के ‘डुप्लीकेट’ (हमशक्ल) थे.
 
अपने विवादास्पद विषय के कारण फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन राजनीतिक माहौल बदलने के बाद 1978 में इसे रिलीज किया गया.
 
7) क्रांति की तरंगें

आनंद पटवर्धन द्वारा बनाए गए पहले वृत्तचित्र में बिहार में जेपी आंदोलन की शुरुआत और 1975 में आपातकाल लागू होने से पहले यह कैसे एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया था, इस पर बात की गई थी.
 
आनंद ने 1975 में जब यह फिल्म बनाई थी, तब उनकी उम्र सिर्फ़ 25 साल थी और उन्होंने उस समय जन आंदोलन और नागरिक अशांति को दिखाया था, जब मुख्यधारा का मीडिया सरकार के बढ़ते दबाव में था. आपातकाल के दौरान चोरी-चुपके व्यापक रूप से इसका प्रसार किया गया था.