आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
आज बॉलीवुड अपनी सबसे बहुमुखी अभिनेत्रियों में से एक तब्बू का जन्मदिन मना रहा है. अपने बेहतरीन अभिनय और दशकों के करियर के लिए जानी जाने वाली तब्बू ने भारतीय सिनेमा पर अपनी छाप छोड़ी है. दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, सात फिल्मफेयर पुरस्कार और प्रतिष्ठित पद्म श्री सहित कई पुरस्कारों के साथ, उनकी प्रतिभा और बहुमुखी प्रतिभा को नकारा नहीं जा सकता. यहां उनकी पांच सबसे दमदार भूमिकाओं पर एक नज़र डाली गई है जो दर्शकों को आकर्षित करती हैं.
'हैदर'
विशाल भारद्वाज द्वारा शेक्सपियर के "हेमलेट" पर आधारित "हैदर" में, तब्बू ने अपने सबसे बेहतरीन अभिनय में से एक दिया. कश्मीर की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म हैदर की कहानी है - एक युवक जो घर लौटता है और पाता है कि उसके पिता लापता हैं और उसकी माँ उसके चाचा के साथ रिश्ते में है.
जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, नायक अपने पिता की हत्या के पीछे की सच्चाई का पता लगाने के बाद बदला लेने की यात्रा पर निकल पड़ता है.
तब्बू ने हैदर की सौतेली माँ ग़ज़ाला की भूमिका निभाई, जो अपने मृत पति के प्रति वफ़ादारी और अपने जीजा की चालाकी के बीच उलझी हुई एक जटिल पात्र है. उनके चित्रण ने फ़िल्म में एक स्तरित भावनात्मक तीव्रता ला दी, जिसने उनके अभिनय को अविस्मरणीय बना दिया.
'खुफ़िया'
एक बार फिर विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित, "खुफ़िया" रॉ की काउंटर जासूसी इकाई के पूर्व प्रमुख अमर भूषण की पुस्तक "एस्केप टू नोव्हेयर" से काउंटर-जासूसी के वास्तविक जीवन के वृत्तांत पर आधारित है.
तब्बू, अली फ़ज़ल और अज़मेरी हक़ बधान अभिनीत यह फ़िल्म विश्वासघात, धोखे और गुप्त अभियानों की दुनिया में उतरती है. इस जासूसी थ्रिलर में तब्बू एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में चमकती हैं, जो विश्वास और विश्वासघात की एक मनोरंजक कहानी में गहराई जोड़ती हैं.
'अंधाधुन'
श्रीराम राघवन की इस डार्क थ्रिलर में, तब्बू ने एक ऐसा किरदार निभाया जो अपनी तीक्ष्णता और अप्रत्याशितता के लिए जाना जाता है. कहानी एक अंधे पियानोवादक (आयुष्मान खुराना द्वारा अभिनीत) की है, जो गलती से एक हत्या में उलझ जाता है. तब्बू द्वारा अपराध में शामिल एक षडयंत्रकारी, चालाक पत्नी का चित्रण एक अभिनेता के रूप में उनकी सीमा को दर्शाता है. उनका किरदार दर्शकों को रोमांचित करता है, ट्विस्ट और तनाव से भरा प्रदर्शन करता है.
'दृश्यम'
तब्बू ने "दृश्यम" में एक पुलिस अधिकारी की शक्तिशाली भूमिका निभाई, जो इसी नाम की एक मलयालम फिल्म की रीमेक है. उनका किरदार अपने बेटे की मौत के लिए न्याय पाने के दृढ़ संकल्प से प्रेरित है. एक निर्मम, कठोर पुलिस अधिकारी के रूप में, वह हर दृश्य में छा जाती है.
बदला लेने वाली माँ का तब्बू का उग्र चित्रण कच्चा और प्रभावशाली दोनों था, जिसने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह इंडस्ट्री की सबसे सम्मानित अभिनेत्रियों में से एक क्यों हैं.
'मकबूल'
विशाल भारद्वाज की "मकबूल" में, तब्बू ने शेक्सपियर के "मैकबेथ" के इस रूपांतरण में लेडी मैकबेथ की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाई. दिवंगत इरफान खान, जिन्होंने शीर्षक भूमिका निभाई थी, के साथ तब्बू का किरदार, निम्मी, मकबूल के उत्थान और पतन के पीछे की ताकत है.
महत्वाकांक्षा, अपराधबोध और हेरफेर में डूबी एक महिला के रूप में उनका अभिनय उनके बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक है. उन्होंने इस भूमिका में गहन भेद्यता और निर्दयता लाई, जिससे शक्ति और पतन की इस अंधेरी, मनोरंजक कहानी में उनका चित्रण अविस्मरणीय बन गया.