लता मंगेशकर का जन्मदिन : उनकी ज़िंदगी के दिलचस्प किस्से

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 28-09-2025
Lata Mangeshkar's birthday: interesting stories of her life
Lata Mangeshkar's birthday: interesting stories of her life

 

अर्सला खान/नई दिल्ली 

आज के दिन जब भारत गायिकी की दीवी लता मंगेशकर का जन्म हुआ था, तो यह अवसर सिर्फ जन्मदिन नहीं है, बल्कि एक सफर है उन यादों, आवाज़ों और किस्सों का जो उनकी ज़िंदगी को और भी असाधारण बनाते हैं.
 
बचपन और उन क्षणों की झलक

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था. उनका परिवार संगीत और रंगमंच से जुड़ा था. उनके पिता पंडित दीननाथ मंगेशकर एक थिएटर कलाकार और शास्त्रीय गायक थे. एक दिलचस्प किस्सा है कि जब लता पहली बार पढ़ने स्कूल गई, तो उन्होंने अपनी बहन आशा को साथ ले जाने की कोशिश की थी। लेकिन स्कूल में उन्हें अनुमति नहीं मिली, और इसी कारण उन्होंने आगे पढ़ाई जारी नहीं रखी. 
 
 
छोटी उम्र में ही उन्होंने रंगमंच में अभिनय करना शुरू किया. उनकी गायन प्रतिभा इतनी प्रकृष्ट थी कि एक बार उनके पिता ने महसूस किया कि घर में एक सिंगर मौजूद है. जब एक शिष्य राग गा रहा था और लता पास ही खेल रही थीं, अचानक राग की एक तान त्रुटिपूर्ण हो गई, और लता ने उसे सुधार दिया। उनका मूल नाम “हेमा” था, लेकिन बाद में उनके पिता ने एक नाटक के पात्र ‘लतिका’ के नाम से प्रेरित होकर उन्हें “लता” नाम दिया। 
 
संगीत यात्रा की शुरुआत और संघर्ष

13 वर्ष की आयु में लता मंगेशकर ने पहला गीत रिकार्ड किया — यह एक मराठी फिल्म का गीत था, हालांकि वह अंततः फिल्म में नहीं चला।  जब वे शुरुआत में फिल्म उद्योग में आईं, उनका स्वर “बहुत पतला” कहा गया — उस समय की हिट गायिकाएँ भारी, गुंघराले स्वर में गाती थीं। लेकिन लता की आवाज़ ने अपनी जगह बनाई और “आएगा आने वाला” (महाल) जैसे गीतों के ज़रिए पापुलैरिटी हासिल की। 
 
 
एक और यादगार घटना है “ऐ मेरे वतन के लोगो” का। पहले लता जी ने इसे करने से मना किया था क्योंकि उन्हें कहा गया था कि तैयारी और अभ्यास के लिए पर्याप्त समय नहीं है। लेकिन कवि प्रदीप जी ने आग्रह किया और अंततः उन्होंने यह गीत गाया, 26 जनवरी 1963 को इस गाने की पहली प्रस्तुति दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में हुई। उस गीत ने देशभर को झकझोर दिया। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उस समय भावुक हो गए और उन्‍होंने लता जी से कहा, “ मेरी बच्ची, आज तुमने मुझे रुला दिया।” 
 
 
दिल छु जाने वाले किस्से और यादें

रातों-रात प्रसिद्धि: “आएगा आने वाला” ने लता को एक रात में स्टार बना दिया। उस दौर में यह गीत क्रांतिकारी माना गया। ज़हर का हमला: 1962 में, जब लता मंगेशकर अचानक बहुत बीमार हुईं, बाद में जांच में पता चला कि उन्हें धीरे-धीरे ज़हर दिया गया था। कई दिनों तक वे इलाज के बाद स्वस्थ हुईं। 
 
 
 
नेहरू की आंखें नम: “ऐ मेरे वतन के लोगो” के बाद, नेहरू ने लता को व्यक्तिगत रूप से चाय पर बुलाया। प्रदीप कवि उस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं थे — यही एक भूल कही जाती है. यश चोपड़ा का आग्रह: फिल्मों में जब उन्होंने गाना बंद करने की बात की थी, तो प्रसिद्ध फिल्मकार यश चोपड़ा ने कहा कि उनकी फिल्मों में उनकी आवाज अनिवार्य है. इससे उन्होंने कुछ गाने बाद में भी सुने.
 
बहन असहमतियाँ और मेल-जोल: लता और उनकी छोटी बहन आशा भोंसले के बीच कुछ पारिवारिक मतभेद थे, लेकिन काम के मोर्चे पर उनकी जोड़ी भी बेहद सफल रही दोनों ने कई लोकप्रिय डुएट्स गाए. 
 
जन्मदिन पर समारोह और श्रद्धांजलियाँ

आज, कई शहरों में राष्ट्रीय लता मंगेशकर पुरस्कार समारोह आयोजित हो रहे हैं. उदाहरण के लिए, इंदौर में 28 सितंबर को Lata Mangeshkar Auditorium में यह पुरस्कार समारोह और संगीत संध्या होगी. 2024 में यह पुरस्कार संगीतकार त्रि-योजना शंकर-एहसान-लॉय को मिलेगा, जबकि 2025 का पुरस्कार प्लेबैक सिंगर सोनू निगम को दिया जाएगा. 
 
 
इसी के साथ, कई राज्य स्तरीय संगीत प्रतियोगिताएँ, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है, जहाँ युवा कलाकार लता जी के गीत गाकर अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं. उनकी बहन आशा भोंसले ने जन्मदिन पर भावनात्मक श्रद्धांजलि दी है, और भारत के अनेक संगीतकार, हस्तियां और प्रशंसक सोशल मीडिया पर उन्हें याद कर रहे हैं. 
 
विरासत और प्रेरणा

लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ से 7 दशक से अधिक तक भारतीय संगीत जगत में अपनी पहचान बनाई. कहा जाता है कि उन्होंने लगभग 25,000 से अधिक गीत गाए (विभिन्न भाषाओं में) हालांकि यह संख्या कभी-कभी विवादित रही है. उनका संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं था. वह भावनाओं, प्रेम, देशभक्ति और संवेदनाओं का आईना था. उनके जाने के बाद भी, हर जन्मदिन पर जब लोग उनके गीत सुनते हैं, उन्हें लगता है जैसे वे अभी भी वहीं किसी स्टूडियो या मंच पर हों.
 
 
आज के समय में, युवा कलाकारों में यह सवाल है. क्या “लता युग” अब भी मौजूद है? कुछ कहते हैं कि नए संगीत के अंदाज़ और तकनीक ने परिवर्तन किया है, लेकिन जितनी सहजता, शुद्धता और आत्मीयता उनकी आवाज़ में थी, वो आज की धुनों में मुश्किल से मिलती है.