नई दिल्ली
भारतीय उपमहाद्वीप की दिग्गज गायिका रूना लैला ने हाल ही में वर्तमान समय में संगीत सृजन की प्रक्रिया और तकनीक के बढ़ते प्रभाव पर अपने विचार साझा किए। अपने लंबे और समृद्ध करियर में उन्होंने अनगिनत सदाबहार गीत दिए हैं और संगीत जगत में एक जीवंत किंवदंती के रूप में अपनी छाप छोड़ी है।
रूना लैला का मानना है कि आजकल ‘ऑटो ट्यून’ जैसी तकनीकों का बढ़ता प्रयोग कलाकारों की मौलिकता और मेहनत पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा, “अब कोई भी ऑटो ट्यून की मदद से गा सकता है। अगर आप ऐसा करते हैं, तो समझ जाइए कि यह मेरी पसंद के अनुकूल नहीं है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर वह खुद अपनी धुन और टोन सही नहीं रख सकती, तो उन्हें कलाकार नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार, “ऑटो ट्यून सब कुछ ठीक कर देता है—वे उन जगहों को सुधारते हैं जहाँ मुझे समस्या होती है। मैंने एक तरीके से गाया, फिर दूसरी तरह से नहीं गाया, लेकिन तकनीक उसे आगे-पीछे कर देती है।”
रूना लैला ने यह भी कहा कि तकनीक का अत्यधिक प्रयोग गीत की सच्ची भावना और सहजता को नष्ट कर देता है। “जब सहजता और भावना गायब हो जाती है, तब संगीत का मूल आकर्षण खो जाता है। पहले हम पूरे संगीतकारों के साथ गाते थे। शाम छह बजे शुरू होता और अगले दिन सुबह छह बजे तक चलता। अगर कोई गलती करता, तो हम दोबारा शुरू करते,” उन्होंने याद किया।
उन्होंने यह भी बताया कि पहले हर गाने पर गहन मेहनत होती थी, लेकिन आज स्टूडियो में केवल तकनीक पर भरोसा किया जाता है। रूना लैला के शब्दों में, “अब मैं स्टूडियो जाती हूँ, ट्रैक पूछती हूँ और बस सीधे गाने शुरू कर देती हूँ। मेहनत और अनुभव की जगह केवल उपकरणों ने ले ली है।”
इस प्रकार, रूना लैला ने संगीत में पारंपरिक मेहनत, आत्मा और इंसानी स्पर्श को बनाए रखने की महत्ता पर जोर दिया और कलाकारों को चेतावनी दी कि तकनीक का अधिक प्रयोग सच्चे संगीत के अनुभव को कम कर देता है।