आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
इलियास के बड़े भाई मौलाना मोहम्मद ने 1897 से 1919 तक दीन के काम को संभाला. नूंह में बड़े मदरसे के संचालक मुफ्ती जाहिद हुसैन ने बताया की 1919 में मौलाना मोहम्मद के इंतकाल के बाद उनके छोटे भाई मौलाना मोहम्मद इलियास साहेब को दिल्ली बुलाया गया वह उस समय सहारनपुर के एक मदरसा में पढ़ाते थे.
मौलाना इलियास साहेब ने 1919 के बाद इस्लाम धर्म के तौर तरीके और दीन की बाते सिखाने से जायदा इस्लामी मदरसे खोलने पर जोर दिया. उन्होंने मेवात में सबसे पहले 1922 में नूंह में मदरसा कायम किया, जो आज बड़े मदरसा के नाम से जाना जाता है. मौलाना इल्यास साहेब ने 1919 से 1925 तक करीब 300 मदरसे कायम किए. उसके बाद वह 1925 में हज पर मक्का मदीना चले गए.
बताया जाता है की इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद साहेब के आदेश पर हज से आने के बाद मौलाना इल्यास साहेब ने 1925 से तबलीग काम की मेवात से इसे शुरू किया और 1927 में मेवात के नूंह और फिरोजपुर नमक के करीब 10-12 लोगो की एक पहली तबलीग जमात निकाली.
उसके बाद जमातों का सिसलिया चल पड़ा और आज दुनिया के सभी देशों को तबलीग जमाते भेजी जा रही हैं और विदेशों से जमातें आ भी रही है. आपको बता दे तबलीग जमात में जाने की शुरुआत मेवात के लोगो से हुई.
इसलिए पूरी दुनिया में मेवात के लोगो को अच्छी नजर से देखते है और मेवात के लोगो का बड़ा एहतराम करते हैं. जो भी विदेशी जमात भारत आती है तो उसकी तमन्ना होती है की उनको मेवात भेजा जाए और वे मेवात को और यहां के लोगो को देखे जिन्होंने सबसे पहले तबलीग जमात की शुरुआत की थी.
अफसोस इस बात का है की अब मेवात का युवा काफी बदल चुका है. नए नौजवान तबलीग जमात से कम ही जुड़ पा रहे हैं.