नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में 26 मई 2025 को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (नराकास), दिल्ली मध्य-1 (कार्यालय) की पहली बैठक का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ़ ने की.
इस अवसर पर केंद्र सरकार के अधीनस्थ 109 कार्यालयों के प्रमुख, राजभाषा अधिकारी तथा अन्य प्रशासनिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे। हाल ही में भारत सरकार के गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा प्रो. मज़हर आसिफ़ को नराकास दिल्ली मध्य-1 का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
बैठक में विशिष्ट अतिथि के रूप में राजभाषा विभाग के संयुक्त निदेशक श्री कुमार पाल शर्मा ने शिरकत की। उनके साथ विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ पवित्र क़ुरान के पाठ और जामिया के तराने के संग हुआ। स्वागत भाषण में जामिया के कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने राजभाषा हिंदी के प्रयोग की महत्ता पर प्रकाश डाला और समिति की प्रासंगिकता पर बल दिया.
उन्होंने प्रो. मज़हर आसिफ़ को नराकास की अध्यक्षता सौंपे जाने को गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए इसे जामिया की ऐतिहासिक विरासत से जोड़ा।
प्रो. रिज़वी ने कहा, “जामिया केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं, एक आंदोलन है, जिसकी स्थापना भारतीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण हेतु हुई थी। महात्मा गांधी ने अपने पुत्र देवदास गांधी को यहां हिंदी पढ़ाने भेजा था। आज, हिंदी के प्रचार-प्रसार की यह ज़िम्मेदारी पुनः जामिया को सौंपा जाना ऐतिहासिक निर्णय है।”
विशिष्ट अतिथि श्री कुमार पाल शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि दो वर्षों से नराकास की गतिविधियाँ बाधित थीं, लेकिन जामिया जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के नेतृत्व में अब इस कार्य को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने राजभाषा अधिनियम की धारा 3(3), वार्षिक कार्यक्रम की रूपरेखा तथा पत्राचार के लिए राज्यों की श्रेणीबद्ध व्यवस्था (क, ख, ग) पर भी विस्तार से चर्चा की।
बैठक में उपस्थित सभी कार्यालय प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने अपने-अपने कार्यालयों में राजभाषा के प्रयोग में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों को साझा किया। अध्यक्ष प्रो. मज़हर आसिफ़ ने सभी समस्याओं को गंभीरता से सुना और उनके समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने सदस्यों के सुझावों का भी स्वागत किया, जिससे बैठक में सहभागिता और उत्साह का वातावरण बना रहा।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. मज़हर आसिफ़ ने कहा, “प्रेमचंद ने गोदान की रचना जामिया की भूमि पर की थी। जामिया गाँधी और टैगोर के सपनों की जन गण मन की इबारत है.
जो माँ से प्रेम करता है, वह मातृभाषा और मातृभूमि दोनों से प्रेम करता है। इन तीनों को अलग नहीं किया जा सकता।” उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का भी उल्लेख किया, जिसके ड्राफ्ट और इम्प्लीमेंटेशन कमेटी के वे सदस्य रहे हैं। उन्होंने मातृभाषा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रो. आसिफ़ ने राजभाषा के संवर्धन हेतु जामिया की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने इस कार्य में गति लाने के लिए कई उप-समितियों का गठन किया है। इनमें परीक्षा नियंत्रक प्रो. पवन कुमार शर्मा, कुलपति के विशेष कार्याधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश प्रसाद एवं श्री ओमप्रकाश आर्य, डीन-छात्र कल्याण प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल, जनसंपर्क अधिकारी प्रो. साइमा सईद, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. विकास नागराले, हिंदी विभाग के डॉ. आसिफ उमर, फारसी विभाग के डॉ. मोहसिन, पर्यावरण अध्ययन विभाग के डॉ. राजीव सिंह, सहायक कुलसचिव श्री नुरुल होदा एवं सुश्री श्रुति, उद्यान विशेषज्ञ डॉ. भारत भूषण, अनुवाद अधिकारी डॉ. यशपाल, यूडीसी पुष्कर कुमार धनौलिया और हिंदी टाइपिस्ट श्री नदीम अख़्तर को सदस्य बनाया गया है.
कार्यक्रम का समापन परीक्षा नियंत्रक प्रो. पवन कुमार शर्मा के धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। संचालन सहायक कुलसचिव सुश्री श्रुति और हिंदी अधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने किया।
यह बैठक न केवल प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही, बल्कि यह संदेश भी दिया कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अपनी ऐतिहासिक और भाषाई विरासत के अनुरूप, राजभाषा हिंदी के संवर्धन में एक केंद्रीय भूमिका निभाने को तैयार है।