आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
पाकिस्तान के कॉलेजों की कक्षाओं में संस्कृत के श्लोक सुनाई दे रहे हैं. भारत में लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत का टाइटल सॉन्ग 'है कथा संग्राम की' का उर्दू तर्जुमा छात्र-छात्राओं को बताया जा रहा है. पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने पाकिस्तान बनने के बाद पहली बार अपने यहां संस्कृत की पढ़ाई शुरू की है
पाकिस्तान की लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) में इन दिनों संस्कृत के मंत्र गूंज रहे हैं। यहां तीन महीने तक चली एक वर्कशॉप में बड़ी संख्या में छात्र और पेशेवर शामिल हुए। इस वर्कशॉप के बाद, यूनिवर्सिटी ने संस्कृत को एक आधिकारिक कोर्स के रूप में शुरू करने का निर्णय लिया है।
रिसर्च के अनुसार, अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद लाहौर में यह पहला मौका है जब संस्कृत पढ़ाई जा रही है। इस वर्कशॉप में संस्कृत व्याकरण से लेकर पुराणों तक की चर्चा हुई। इसे पाकिस्तान में सांस्कृतिक और भाषाई अध्ययन के संदर्भ में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
LUMS ने संस्कृत को अब यूनिवर्सिटी स्तर पर नियमित कोर्स के रूप में पेश किया है। यह एक चार-क्रेडिट का कोर्स है, जिसमें फिलहाल सीमित सीटें उपलब्ध हैं। हालांकि, 2027 तक सीटें बढ़ाने और इसे डिप्लोमा कोर्स के रूप में भी पेश करने की योजना है। यूनिवर्सिटी का अगला कदम रामायण, गीता और महाभारत पर रिसर्च शुरू करना है।
गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासमी का कहना है कि अगले 10 से 15 सालों में पाकिस्तान से संस्कृत और महाकाव्यों पर शोध करने वाले विद्वान तैयार होंगे। डॉ. कासमी का मानना है कि कई इतिहासकारों का यह मानना है कि इस क्षेत्र में ही वेदों की रचना हुई थी। ऐसे में, संस्कृत और वेदों का अध्ययन पाकिस्तान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। LUMS में पहले से पंजाबी, पश्तो, सिंधी, बलूच, अरबी और फारसी पढ़ाई जाती हैं। संस्कृत को जोड़ने से पूरे भाषाई इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।
यूनिवर्सिटी में संस्कृत की कई प्राचीन पांडुलिपियां भी मौजूद हैं, जिन्हें विद्वान JCR Woolner ने 1930 में ताड़पत्रों पर संकलित किया था। 1947 के बाद इन पांडुलिपियों पर कभी काम नहीं हुआ। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इन पांडुलिपियों पर भी शोध कार्य आगे बढ़ेगा।






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