शिक्षक दिवस : इशरत अली और अरुण प्रताप ने सरकारी स्कूल को बना दिया स्मार्ट

Story by  फैजान खान | Published by  [email protected] | Date 04-09-2022
शिक्षक दिवस : इशरत अली और अरुण प्रताप ने सरकारी स्कूल को बना दिया स्मार्ट
शिक्षक दिवस : इशरत अली और अरुण प्रताप ने सरकारी स्कूल को बना दिया स्मार्ट

 

फैजान खान /नपुरी

हिंदुस्तान में गुरुओं को हमेशा से विशेष स्थान दिया गया है. हर शिक्षक दिवस पर ऐसे गुरु याद और सम्मानित किए जाते हैं. यूपी के मैनपुरी जिले के इशरत अली और और अरुण प्रताप सिंह ऐसे ही दो शिक्षक हैं जो असल में सम्मान के हकदार हैं.

दोनों शिक्षकांे ने सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाई में स्मार्ट बना दिया है. इशरत अली ने बच्चों के हाथों से कापी हटाकर जहां ग्रीन बोर्ड थमा दिया, वहीं अरुण प्रताप सिंह अपने जन्मदिन की पार्टी के पैसों से बच्चों के लिए स्कूल को एलईडी टीवी भेट की है.
 
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यह सरकारी स्कूल पूरे यूपी में इतना स्मार्ट बना दिया गया है कि स्मार्ट क्लास प्रोजेक्टर और एलसीडी के माध्यम से  बच्चांे की पढ़ाई भी स्मार्ट ढंग से कराई जा रही है. बच्चों को पूरी तरह से पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए इशरत अली को कई नेशनन, स्टेट और जिलास्तरीय अवार्ड मिल चुके हैं. 
 
मैनपुरी के शिक्षक मोहम्मद इशरत अली ने राष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन किया है. उन्हें राष्ट्रीय अध्यापक पुरस्कार 2020 के लिए चुना गया और पांच सितंबर 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया.
 
उनकीराह पर उनके ही स्कूल के एक अन्य शिक्षक अरुण प्रताप सिंह भी चल पड़े हैं. 
 
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पठनीय बनाया बाल वाटिका 

सरकार स्कूलों में बाल वाटिका नाम से प्रोग्राम चलाती है. इसमें बच्चों को  फ्री हैंड छोड़ा जाता है. बच्चे जैसे चाहें वैसे पेटिंग बनाएं. बच्चा जो सोच रहा है, उसे कागज पर उकेरने दिया जाता है.
 
इससे बच्चों  में सोचने की क्षमता विकसित होती है. 
 
कापी छोड़ हाथ में थमाया ग्रीन बोर्ड

बाल वाटिका के माध्यम से कक्षा एक के बच्चे खेल-खेल में पढ़ना सीख रहे हैं. बाल वाटिका में बच्चों के लिए बस्ता-कॉपी नहीं, ग्रीन और व्हाइट बोर्ड उपलब्ध हैं. इशरत अली बच्चों के लिए कुछ न कुछ नया करते रहते हैं.
 
उनका स्कूल प्रदेशभर में चर्चा का विषय बना रहता है. उन्होंने बच्चों की हैंड राइिंटंग ठीक करने और लिखने की क्षमता पैदा करने के लिए कापी की जगह ग्रीन बोर्ड दिया गया हैं.
 
कक्षा एक के बच्चों को उन्हों डेढ़ बाई दो फीट साइज के बोर्ड मंगाकर दिए गए हैं. बच्चे बोलते हैं तो यह फटाफट लिख देता है. चॉक से लिखने से आगे चलकर उनमें पेन पकड़ने की क्षमता विकसित होगी.  
 
अरुण प्रताप ने खरीदकर दिया एलसीडी

arun teacharइसी स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत अरुण प्रताप सिंह भी अपने प्रधानाध्यापक के नक्शे कदम पर चल पड़े हैं. उन्होंने इशरत अली से प्रेरित होकर बच्चों की पढ़ाई मंे मदद के लिए हाल में अपने जन्म दिनपर एक एलईडी भेंट किया है.
 
उन्हांेने जन्मदिन न मनाकर टीवी खरीदकर स्कूल को दान कर दिया. वे कहते हैं कि बच्चे देश के भविष्य हैं. इन पर ज्यादा से ज्यादा पैसा खर्च करना चाहिए.
 
मोहम्मद इशरत अली का छात्रों संग स्नेह बंधन

2010 में बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्ति पाने वाले अध्यापक मोहम्मद इशरत अली ने कभी भी विद्यालय से अतिरिक्त अवकाश नहीं लिया. प्राथमिक विद्यालय रजवाना पर प्रमोशन के तहत प्रधानाध्यापक बनकर 2014 में कार्यभार ग्रहण किया.
 
अपने नए-नए प्रयोगों से स्कूल को एक नई पहचान दिलाई. इनके नेतृत्व में परिषदीय स्कूलों में पहली स्मार्ट क्लास शुरू की गई. प्रोजेक्टर के माध्यम से रचनात्मक कक्षा शिक्षण का संचालन किया जाता है. इससे उन्हें राज्य सरकार की ओर से 2015 से लेकर अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं. 
 
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ये अवार्ड मिले

इशरत अली को राज्य सरकार की ओर से 2015 में उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. 2016 से आपने कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अपना यूट्यूब चौनल चला रहे हैं.
 
600 से अधिक शैक्षिक वीडियो छात्रों के लिए अपलोड किए तथा कक्षा शिक्षण में सूचना संप्रेषण तकनीक का प्रयोग कर शिक्षण को प्रभावी बनाया. इसके लिए उन्हें एससीईआरटी लखनऊ की ओर से लगातार तीन वर्षों तक आईसीटी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
 
2017, 2018 और 2019 में राज्य स्तरीय सूचना संप्रेषण तकनीकी कक्षा शिक्षण कार्य का राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला. अब 2020-21 का सूचना एवं संप्रेषण पुरस्कार से 5 सितंबर 2022 को नवाजा जाएगा.