More than 91 percent candidates appeared in SSC teacher recruitment exam in Bengal
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पश्चिम बंगाल एसएससी की स्कूल स्तरीय चयन परीक्षा (एसएलएसटी) में करीब 3.19 लाख अभ्यर्थियों में से 91 प्रतिशत से अधिक शामिल हुए।
अप्रैल में उच्चतम न्यायालय की ओर से सरकारी स्कूलों में 26,000 से अधिक नियुक्तियों को रद्द किये जाने के बाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा आयोजित यह पहली शिक्षक भर्ती परीक्षा है।
यह परीक्षा रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच राज्य भर के 636 केंद्रों पर आयोजित की गई।
डब्ल्यूबीएसएससी के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने एक बयान में कहा, ‘‘3.19 लाख उम्मीदवारों में से लगभग 91 प्रतिशत ने परीक्षा दी। मैं पूरे राज्य प्रशासन को धन्यवाद देता हूं कि उसने हमें सुचारू रूप से परीक्षा आयोजित करने में पूर्ण सहयोग दिया।’’
नौवीं और 10वीं कक्षा के लिए सहायक शिक्षक भर्ती करने के वास्ते परीक्षा दोपहर 12 बजे शुरू हुई और 1.30 बजे समाप्त हुई, जबकि दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए 20 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया था। बिहार के भी कई अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए।
मजूमदार ने बताया कि बाहरी उम्मीदवारों की कुल संख्या 31,000 से ज़्यादा है।
उत्तर प्रदेश के उम्मीदवार उमेश यादव ने बताया कि उन्होंने विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है और पश्चिम बंगाल में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
परीक्षा केंद्रों पर तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई थी, जिसमें परीक्षा स्थल से 100 मीटर की दूरी पर नाका जांच तथा गेट और परिसर में कई बार जांच शामिल थी।
सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक अभ्यर्थी को परीक्षा शुरू होने से दो घंटे पहले सुबह 10 बजे से ही केंद्रों पर पहुंचने के लिए कहा गया था।
परीक्षा केंद्रों के प्रवेश द्वारों पर प्रवेश पत्रों की जांच के लिए बारकोड स्कैनर का इस्तेमाल किया गया तथा केवल पेन (जो केंद्रों पर उपलब्ध थे) को ही अंदर ले जाने की अनुमति थी।
किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या मोबाइल फोन को साथ रखने की अनुमति नहीं थी। यहां तक कि परीक्षा केंद्र के पर्यवेक्षकों और एसएससी अधिकारियों के भी परीक्षा हॉल में मोबाइल फोन ले जाने पर रोक थी।
डब्ल्यूबीएसएससी ने अनुचित साधनों का इस्तेमाल करने वाले अभ्यर्थियों पर नजर रखने के लिए प्रत्येक प्रश्न पत्र पर कुछ विशिष्ट पहचान सुरक्षा विशेषताएं जोड़ीं।
यहां बसंती देवी कॉलेज केंद्र पर परीक्षा हॉल से बाहर आने पर शताब्दी कांजीलाल ने कहा, ‘‘प्रश्न आसान थे और हमें हल करने में कोई कठिनाई नहीं हुई।’’
परीक्षा में नौ साल की देरी और दागी और बेदाग़ के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन सब बातों में नहीं पड़ना चाहती। परीक्षाएं आखिरकार हो ही गईं। मुझे उम्मीद है कि निष्पक्ष तरीके से होंगी। चूंकि मेरी उम्र अगले साल तक दोबारा परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देगी, इसलिए मैं इस बार पूरी उम्मीद कर रही हूं कि मैं इसमें सफल हो जाऊंगी।’’
योग्य बेरोजगार शिक्षक अधिकार मंच के नेता सुब्रत बिस्वास ने कहा, ‘‘यह हम बेदाग शिक्षकों के लिए शर्मनाक क्षण था, जिन्होंने निरीक्षक की भूमिका निभाने के बजाय अपने विद्यार्थियों के साथ दोबारा परीक्षा दी। इस स्थिति के लिए डब्ल्यूबीएसएससी और राज्य सरकार जिम्मेदार हैं।’’
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे ‘डबल इंजन सरकारों’ वाले राज्यों के उम्मीदवार परीक्षा देने के लिए राज्य में आए, क्योंकि उनके गृह राज्यों में भर्ती प्रक्रिया या तो रुकी हुई है या अविश्वसनीय है।