नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) के भूगोल विभाग ने भारत सरकार की विकसित भारत पहल के तहत "संसाधन दक्षता और परिपत्र अर्थव्यवस्था: उभरते चिंताजनक विषय" पर एक व्याख्यान आयोजित किया.
इस व्याख्यान को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के सामाजिक विज्ञान संकाय (SSS) के क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र (CSRD) के सेवानिवृत्त प्रोफेसर अमिताभ कुंडू ने संबोधित किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता भूगोल विभाग की प्रोफेसर मैरी ताहिर ने की, जबकि विभागाध्यक्ष प्रो. हारून सज्जाद ने अतिथि वक्ता, शिक्षकों और विद्यार्थियों का स्वागत किया.इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे.
प्रो. अमिताभ कुंडू ने अपने व्याख्यान की शुरुआत प्रति व्यक्ति संसाधन उत्पादन, भौतिक पदचिह्न (Material Footprint) और परिपत्र अर्थव्यवस्था की वैश्विक प्रासंगिकता से की.
उन्होंने बताया कि 10-15 वर्ष पहले पर्यावरणीय विश्लेषण एक राजनीतिक सौदेबाजी का हिस्सा हुआ करता था. उन्होंने 1970 से 2025 तक के सांख्यिकीय डेटाबेस की उपलब्धता पर चर्चा की और कहा कि इस अवधि के दौरान प्रचलित पद्धतियों के कारण डेटा पूर्णत: विश्वसनीय नहीं था, क्योंकि इसमें कुछ महत्वपूर्ण चर (Variables) शामिल नहीं किए गए थे.
उन्होंने परिपत्र अर्थव्यवस्था के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि संसाधनों का अधिकतम उपयोग और कचरे के उत्पादन को कम करना अत्यंत आवश्यक है.
उन्होंने संसाधन खपत को सीमित करने और उपभोग पैटर्न में बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया. व्याख्यान के अंत में उन्होंने कहा कि हमें संसाधनों के उचित उपयोग के लिए "साझी लेकिन भिन्न जिम्मेदारी" निभाने की आवश्यकता है.
कार्यक्रम के अंत में प्रो. मैरी ताहिर ने अध्यक्षीय टिप्पणी प्रस्तुत की. इसके बाद प्रो. अमिताभ कुंडू ने पीएच.डी. शोधार्थियों और विद्यार्थियों के साथ संवाद किया और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया.
डॉ. ग़ज़ल सलाउद्दीन, प्रभारी - विस्तार व्याख्यान एवं वेबिनार, ने कार्यक्रम का संचालन किया और औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया.