मोहम्मद अकरम / मोतिहारी
दुनिया में किसी भी कामयाब व्यक्ति के पीछे शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता हैं. शिक्षक ही बच्चों को शिक्षा स्तर मजबूत करके सफलता की नींव पर खड़ा करता हैं. जब बच्चा मां की गोद में पैदा होता है, तो वह उसकी पहली गुरु होती हैं. वहां से निकलने के बाद शिक्षक बच्चों को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुंचाने में अहम रोल अदा करता हैं.
इसी कारणवश समाज में शिक्षक को सम्मान की नजरों से दिखा जाता है क्योंकि वह बच्चों के भविष्य का समाज और देश बनाता है. हर साल हम 5 सितंबर को देश के पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन की जयंती के रूप में शिक्षक दिवस मनाया जाता हैं.
शिक्षक दिवस के अवसर पर हम आपको एक ऐसे शिक्षक के बारे में बता रहे हैं, जो 31 साल से शिक्षा के मैदान में काम कर रहे हैं. इस समय वह मोतिहारी शहर के मुंशी सिंह महाविद्यालय में बच्चों के भविष्य को संवार रहे हैं. वह इस महाविद्यालय में अंग्रेजी संकाय के प्रोफेसर हैं. उनका नाम मोहम्मद इकबाल हुसैन है, जो वैशाली जिले के पानेहपुर ब्लाक के खैरा गांव के रहने वाले हैं.
बीते 25 सालों से यहां के बच्चों के सपने को उड़ान भर रहे हैं. उनके बच्चे देश और विदेश में उच्च पदों पर मौजूद हैं. उन्हें शिक्षा जगत में बेहतर काम करने पर कई अवार्ड से सम्मानित किया गया हैं.
उन्होंने अब तक चार किताबें लिखी हैं, जिनमें A Study of mark strand poetry, The Jounery of the Indian Novel: New Perspectives on Indian English Fiction, Making art out of politics, New perspectives on George orwell शामिल हैं.
इसके अलावा दो किताब लिख रहे हैं. इकबाल अहमद ने कई छात्रों को राह दिखाकर मंजिल तक पहुंचाने में किया है, जिससे मोतिहारी जिले में उनका नाम सम्मान से लिया जाता हैं.
प्रो मोहम्मद इकबाल हुसैन ने आवाज-द वॉयस से बात करते हुए बताया कि आज का दिन सभी शिक्षकों के लिए बहुत बड़ा दिन होता हैं, जब उन्हें बच्चे फोन करके मुबारकबाद देते हैं. प्रोग्राम आयोजित कर शिक्षक के महत्व को सामने लाया जाता हैं. हम शिक्षकों को उस वक्त ज्यादा खुशी होती है, जब को बच्चा किसी मंच से कहता हैं कि हमने उन सर के पढ़ाई की है.
वह आगे कहते हैं कि शिक्षकों की महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब अल्लामा इकबाल को ‘सर’ का खिताब दिया जा रहा था, तो उनसे कहा गया कि ‘शम्सुल ओलामा’ के खिताब के लिए नाम दें, तो उस मौके पर अल्लामा इकबाल ने अपने उस्ताद ‘मीर हसन’ का नाम आगे किया.
वैशाली जिले के रहने वाले प्रो मोहम्मद इकबाल हुसैन ने 1991 में शिक्षा के मैदान में कदम रखा. सिवान के जेड ए इस्लामिया डिग्री कॉलेज में पढ़ाने के बाद मोतिहारी के मुंशी सिंह महाविद्यालय 1996 में आ गए.
उस समय से जिले के हजारों बच्चों को राह दिखा रहे हैं. उन्होंने सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि सामाजिक क्षेत्रों में भी बहुत काम किया है. जिले में जब कोई छोटा या बड़ा प्रोग्राम होता है, तो उनको सुनने के लिए छात्र बड़ी तादाद में पहुंचते हैं. कोरोना वायरस के दौरान कई संगठनों के साथ मिलकर काम किया.
प्रोफेसर मोहम्मद इकबाल को मोतिहारी जिले के सभी छाक्ष जानते हैं. अब तक वे कई बच्चों को भटकते हुए रास्ते से सीधे रास्ते पर लाए, जो अब बड़े पद हैं. वह बताते हैं कि उनकी क्लास का एक लड़का बिलकुल भटक गया, परीक्षा छोड़ दी. जब हमने जानना चाहा, तो पता चला कि वह आगे पढ़ाई नहीं करना चाहता हैं, तो हमने उसे बुलाया और समझाया, जिसके बाद वह पढ़ाई करने लगा, खुशी इस बात की हैं कि वह आज एक बैंक में बड़े पद पर है.
शिक्षक और बच्चों का रिश्ता बहुत ही गहरा होता है. जिस तरह माता-पिता बहुत की प्यार से बच्चों के साथ पेश आते हैं, तो इसी लिए शिक्षक भी बच्चों के साथ पेश आते हैं, बच्चों से शिक्षक का फितरी लगाव हो जाता है. हर शिक्षक की ख्वाहिश होती हैं कि उनसे पढ़ने वाला बच्चा कामयाब हो. अगर कोई शिक्षक बच्चे की गलती पर कुछ कहता है, तो उसके लिए कहता हैं, जिसका एहसास बच्चे को बाद में होता है.
वह इस बारे में कहते हैं कि घर से निकलने के बाद आपके लिए शिक्षक ही सब कुछ होता हैं, जो आपकी सभी परेशानियों को समझता है और उसे हल करने का सुझाव देता है. आप पढ़ाई मेहनत से कीजिए, क्योंकि दुनिया की तारीख इस बात की गवाह है कि कोई भी चीज बगैर मेहनत के हासिल नहीं हुई हैं. अपने बारे में शिक्षक को बताएं, ताकि वह आपको राह दिखाए. कोई भी शिक्षक किसी भी छात्र के भविष्य को लेकर फ्रिकमंद होते हैं.