जेएमआई के डेंटिस्ट्री संकाय में ‘रिफ्लेक्टिव नैरेटिव्स फ़ॉर एथिकल डेंटल प्रैक्टिस’ पर कार्यशाला

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 12-12-2025
Faculty of Dentistry, JMI organised a workshop on 'Reflective Narratives for Ethical Dental Practice'
Faculty of Dentistry, JMI organised a workshop on 'Reflective Narratives for Ethical Dental Practice'

 

नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के डेंटिस्ट्री संकाय में मंगलवार को ‘रिफ्लेक्टिव नैरेटिव्स फ़ॉर एथिकल डेंटल प्रैक्टिस’ विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें BDS 2021 बैच के 50 इंटर्न और एक्सटर्न ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत संकाय की समन्वयक और पीरियोडोंटोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. आशु भारद्वाज के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने दंत चिकित्सा में नैतिक अभ्यास को सुदृढ़ बनाने में रिफ्लेक्टिव नैरेटिव्स की भूमिका पर प्रकाश डाला।
समन्वयक प्रो. अनुराधा शर्मा ने अपने संबोधन में नैतिकता के ज्ञान और उसके वास्तविक अभ्यास के बीच की खाई को रचनात्मक नैरेटिव्स के माध्यम से पाटने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यशाला का संचालन डॉ. उपरीत ढलिवाल ने किया, जो यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज़, दिल्ली में नेत्र विज्ञान की सेवानिवृत्त निदेशक-प्रोफेसर हैं। वह हेल्थ ह्यूमैनिटीज़ ग्रुप की सह-संस्थापक तथा मेडिकल एजुकेशन जर्नल RHiME की संस्थापक संपादक हैं। वह ‘आरोहण’—एक राष्ट्रीय अंतर्विषयक हेल्थ ह्यूमैनिटीज़ फ़ोरम—की राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं।

डॉ. ढलिवाल ने प्रश्न–उत्तर, कहानी, कविता और दृश्य प्रस्तुतीकरण जैसे इंटरैक्टिव तरीकों का उपयोग करते हुए सत्र को संचालित किया। उन्होंने दंत नैतिकता, नैरेटिव्स और उनके सामुदायिक विमर्श पर प्रभाव को सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाया।एक कविता के माध्यम से प्रतिभागियों को क्रिटिकल रिफ्लेक्सिविटी, विज़ुअल लिटरेसी, एडवोकेसी, तथा सांस्कृतिक और संरचनात्मक विनम्रता जैसे मानवीय गुणों से अवगत कराया गया।

तस्वीरों के माध्यम से उन्होंने सहानुभूति, आक्रोश, आघात और न्याय जैसे गहरे भावों को पहचानने और समझने के लिए प्रेरित किया। छात्रों को अपनी कहानियों और रचनात्मक सामग्री साझा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।इंटर्न और एक्सटर्न ने गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी की और संसाधन व्यक्ति तथा समन्वयक डॉ. आशु भारद्वाज के मार्गदर्शन से लाभान्वित हुए।

समापन सत्र में प्रो. अनुराधा शर्मा ने डॉ. उपरीत ढलिवाल का सम्मान किया।कार्यक्रम का वोट ऑफ थैंक्स प्रो. निशात सुल्तान ने प्रस्तुत किया।यह कार्यशाला संकायाध्यक्ष प्रो. केया सिरकार के मार्गदर्शन में प्रो. आशु भारद्वाज, प्रो. अनुराधा शर्मा, प्रो. मधुरी सवाई, प्रो. ज़ेबा जाफरी, प्रो. निशात सुल्तान, प्रो. अनुप्रिया वाधवा, प्रो. कीर्ति चावला और डॉ. नूपुर गुप्ता की टीम द्वारा उत्कृष्ट रूप से आयोजित की गई।