अदीबा मिर्जा / नई दिल्ली
भारत के कर्नाटक में इन दिनों कॉलेज की लड़कियों के हिजाब पहनने पर विवाद सुर्खियों में है. हिजाब को लेकर कई तरह की दलीलें सतह पर उभर हैं. इस विवाद पर कई मुस्लिम युवाओं से चर्चा की गई. उनके विचार यहां प्रस्तुत हैंः
इकरा
इंसान की पढ़ाई के बीच उसका पहनावा कभी आड़े नहीं आना चाहिए. इंसान की मर्जी है कि वह क्या पहनता है. हमारे देश के संविधान में लिखा कि हर भारतीय अपनी पसंद के कपदे पहन सकता है.
नामीरा
मेरे अनुसार पढ़ाई में जाति-धरम बीच में कभी नहीं आना चाहिए, क्यूंकि हमारे भरत के संविधानं की आँखों में सब एक समान ही हैं.
नदिया
इस तरह की राजनीति से स्कूल के बच्चों पर भेदभाव का असर होता है.
हमें ऐसे माहौल का साथ नहीं देना चहिये.
खालिद
मेरे विचारों से सरकार को ऐसी बातों पर पाबन्दी लगानी चहिये.
इबनान
सिर्फ हमारे ऊपर ही ऐसी पाबंदिया ही क्यों लगाई जाती हैं. अगर हमारे ऊपर ऐसे पाबंदिया लगातार जारी रहती है, तो बहुत से और भी धर्म हैं, उनको भी ऐसी पाबंदियों के लिए सहमत करवाना चाहिए.
अगर मुसलमान लड़किया हिजाब नहीं पहन सकती हैं, तो सिखों को भी पगड़ी नहीं पहना चाहिए. आखिर हम सब एक है, तो बस मुसलमानों के साथ ही ऐसा भेदभाव क्यों होता हैं.
हैदर
हिजाब इस्लाम में एक जरूरी चीज है. फिर इस पर पाबन्दी क्यों लगाई जाती है. आखिर मैं यह पूछता हूँ कि बीआर आंबेडकर ने इसी दिन का इंतजार किया था कि हमारे देश के युवा आज ऐसी चीजो में हिस्सा लेंगे.
अदीबा
क्या हम ऐसे दिन देखने के लिए आजाद भारत में आये थे. हर किसी को अपने हिसाब से रहने का हक है. फिर यह बदलाव क्यूँ?
हम सब एक ही हैं और एक देश में रहना चहते है. भारत के लोग हिन्दू और मुस्लिम विवाद नहीं चाहते. हमें एक देश में एक रहना है. यह सब शोभा नहीं देता.