जामिया मिल्लिया इस्लामिया में ‘महात्मा गांधी: उनका जीवन पर प्रदर्शनी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-10-2025
Exhibition on 'Mahatma Gandhi: His Life' at Jamia Millia Islamia
Exhibition on 'Mahatma Gandhi: His Life' at Jamia Millia Islamia

 

नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) की डॉ. ज़ाकिर हुसैन पुस्तकालय ने विश्वविद्यालय सांस्कृतिक समिति के सहयोग से महात्मा गांधी की 156वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘महात्मा गांधी: उनका जीवन और समय’ विषय पर एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक प्रो. मज़हर आसिफ ने किया।

प्रदर्शनी में महात्मा गांधी के निजी कागजात, उनके जीवन और विचारों से संबंधित हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी में प्रकाशित पुस्तकों के साथ-साथ दुर्लभ फोटोग्राफ्स का समृद्ध संग्रह प्रस्तुत किया गया, जिसने गांधीजी के दर्शन और कार्यों की झलक दर्शकों के समक्ष रखी।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) मोहम्मद महताब आलम रिज़वी (रजिस्ट्रार, जेएमआई), प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल (डीन, छात्र कल्याण एवं सांस्कृतिक समिति की अध्यक्ष), डॉ. विकास एस. नागराले (पुस्तकालयाध्यक्ष), श्री कैसर एन. के. जानी (मुख्य वक्ता), और डॉ. उमैमा (संयोजक, सांस्कृतिक समिति) सहित विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, निदेशक, प्रोवोस्ट, प्रॉक्टर, आईसीसी अध्यक्ष, संकाय सदस्य और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

उद्घाटन समारोह और विचार-विमर्श

कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की आयतों के पाठ और अनुवाद के साथ हुई। इसके बाद अतिथियों का स्वागत और ‘जामिया तराना’ का भावपूर्ण गायन हुआ।

कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में गांधीजी के "नई तालीम" के सिद्धांत की चर्चा की, जो मूल्य-आधारित और कौशल-केंद्रित शिक्षा पर बल देता है। उन्होंने गांधीजी के तीन प्रमुख जीवन-सिद्धांतों—विचारपूर्वक प्रतिक्रिया, सकारात्मक दृष्टिकोण और सत्य के साथ विनम्रता—को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।

प्रो. महताब आलम रिज़वी ने महात्मा गांधी के अहिंसा के दर्शन की समकालीन प्रासंगिकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में शांति और स्थिरता सिर्फ संवाद और करुणा से ही संभव है। उन्होंने गांधीजी के स्वदेशी आंदोलन को आज के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान से जोड़ा।

मुख्य वक्ता श्री कैसर एन. के. जानी ने महात्मा गांधी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के ऐतिहासिक संबंधों का विश्लेषण करते हुए बताया कि कैसे गांधीजी ने विश्वविद्यालय के मूल्यों को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने शिक्षा में भाषा, संस्कृति और स्वदेशी सोच को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और महिला सशक्तिकरण, नशा मुक्ति और स्वच्छता जैसे गांधीवादी विचारों को अपनाने की अपील की।

प्रो. नीलोफर अफ़ज़ल ने गांधीजी के साथ जामिया के ऐतिहासिक रिश्ते को रेखांकित करते हुए कहा कि सत्य, सादगी, आत्मनिर्भरता और समाज सेवा के सिद्धांतों को जामिया हमेशा से अपनाता रहा है।

डॉ. विकास नागराले ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की स्थापना में गांधीजी के सहयोग और समर्थन को याद किया। उन्होंने गांधीजी की विचारधारा को आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक बताया और जामिया की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

ग्रंथ सूची विमोचन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ

इस अवसर पर डॉ. ज़ाकिर हुसैन पुस्तकालय के संग्रह में उपलब्ध महात्मा गांधी पर आधारित पुस्तकों की एक ग्रंथ सूची का भी विमोचन किया गया। इसमें गांधीजी द्वारा रचित ग्रंथों के साथ-साथ विभिन्न भाषाओं में उन पर लिखी गई महत्वपूर्ण पुस्तकों को सम्मिलित किया गया है।

संगीत क्लब के छात्रों ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन का भावपूर्ण गायन किया। वहीं, डिबेट क्लब के छात्रों ने हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी में प्रेरणादायक भाषण प्रस्तुत कर गांधीजी के विचारों को जीवंत किया।

समापन और आभार ज्ञापन

डॉ. उमैमा ने कार्यक्रम के समापन पर औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और आयोजन में योगदान देने वाले सभी सदस्यों का आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, और इसका संचालन सूचना वैज्ञानिक श्री जोहान मोहम्मद मीर ने किया।आज के संदर्भ में पुनः आत्मसात करने का भी एक महत्वपूर्ण क्षण बना।