नई दिल्ली. जमीयत उलेमा ए हिंद ने चालू शैक्षणिक सत्र के लिए कुल 656मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है. उसमें बड़ी संख्या में गैर-मुस्लिम छात्रों की भी है. उन्हें यह छात्रवृत्ति उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा के लिए दी गई है. यह जानकारी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दी है.
इस इस्लामिक अदारे के अनुसार, 2012से आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद, पर प्रतिभाशाली छात्रों को छात्रवृत्ति देने का सिलसिला चल रहा है. इस क्रम में मौजूदा सत्र के लिए 656छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चुना गया है. इसके लिए मौलाना अरशद मदनी पब्लिक ट्रस्ट ने शिक्षा सहायता कोष स्थापित किया है.
एक जानकारी के मुताबिक, जरूरतमंद छात्रों की संख्या को देखते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस बार अनुदान राशि 50लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये करने का ऐलान किया है. छात्रवृत्ति के लिए आवेदकन करने वालों में इस बार बड़ी तादाद गैर-मुस्लिम छात्रों की भी थी.
इसलिए अन्य वर्षों की तुलना में इस बार पात्र छात्रों में गैर मुस्लिम खासी संख्या में हैं. जिन कोर्सेस केलिए छात्रवृत्ति दी जा रही है उनमें तकनीक, स्नातक, बीसीए, मास कम्युनिकेशन, एम कॉम, एम. एससी, एमसीए डिप्लोमा आईटीआई आदि शामिल हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने बताया कि यह मजहबी संगठन जाति, समुदाय, धर्म और पंथों को लेकर कोई मतभेद नहीं करता. हमेशा वतन के भाइयों की मदद की है.मौलाना मदनी ने कहा कि मौजूदा समय में शिक्षा बहुत महंगी हो गई है. सरकार के सभी दावों के बावजूद, इसकी कल्याणकारी और शैक्षिक योजनाएं जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही हैं.