भोपाल में कब्रिस्तान के लिए युवाओं ने शुरू की मुहिम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-03-2023
भोपाल में कब्रिस्तान के लिए युवाओं ने शुरू किया अभियान
भोपाल में कब्रिस्तान के लिए युवाओं ने शुरू किया अभियान

 

गुलाम कादिर / भोपाल

राजधानी भोपाल में बढ़ती आबादी और सिमटते कब्रिस्तानों के घेरे ने अंतिम यात्रा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. वैसे तो राजधानी भोपाल में वक्फ संपत्तियों और वक्फ कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लिए वक्फ बोर्ड, शाही अवकाफ और पब्लिक अवकाफ कमेटी जैसी तीन संस्थाएं हैं, लेकिन ये तीनों संस्थाएं वक्फ कब्रिस्तानों की सुरक्षा में सबसे बेहतर साबित हो रही हैं. 

भू-माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि शहर में साठ के दशक में जब मप्र वक्फ बोर्ड बना तो वक्फ कब्रिस्तानों की संख्या डेढ़ से ज्यादा बताई जाती थी. अब दो दर्जन वक्फ कब्रिस्तान भी नहीं बचे हैं इस शहर में. यही नहीं, कब्रिस्तानों में मिट्टी की कमी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में शहर के युवाओं ने कब्रिस्तानों की सुरक्षा और मिट्टी की आपूर्ति के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है.
 
समाजसेवी फैज अहमद ने कहा कि इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी इस शहर में जहां हर दिशा में विशाल कब्रिस्तान हुआ करते थे और कभी जगह की कमी नहीं होती थी, अब इस शहर में कब्रिस्तानों में जगह की भारी कमी है. अभी भी जो कब्रिस्तान हैं उनमें पथरीली जमीन होने के कारण मिट्टी की भारी किल्लत हो गई है. ऐसे में शहर के लोगों से अपील की जा रही है कि  मिट्टी मुहैया कराएं ताकि कब्रिस्तानों में मिट्टी की कमी को पूरा किया जा सके.
 
कब्रिस्तान अभियान से जुड़ी मदीहा का कहना है कि जब हमने खबर सुनी कि कब्रिस्तान में मिट्टी नहीं है तो हमने मिट्टी मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाया. हम ट्रॉली के माध्यम से मिट्टी पहुंचा रहे हैं और दूसरों से भी इस ओर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं. जितना हम जीने की चिंता करते हैं, उतनी ही हमें मरने के बाद की भी चिंता करनी चाहिए. जब हम दुनिया से विदा हों तो हमारे पास कम से कम दो गज की जमीन होनी चाहिए.
 
जबकि सामाजिक कार्यकर्ता शाहविज सिकंदर का कहना है कि भोपाल उलेमा का शहर है. उलेमा हमेशा पक्के कब्रिस्तान के निर्माण पर रोक लगाते रहे हैं. इसके बावजूद कब्रिस्तानों में पक्के कब्र बनाने का चलन बढ़ता जा रहा है.
 
पिछली आधी सदी में सौ से ज्यादा कब्रिस्तानों पर अवैध कब्जा हो चुका है, लेकिन अवैध निर्माणों को हटाने की किसी को चिंता नहीं है. हम चाहते हैं कि कुछ नौजवान अब बची हुई तमाम कब्रगाहों को बचा लें ताकि उन्हें अंतिम यात्रा में दो गज जमीन के लिए भटकना न पड़े.
 
 
समाजसेवी मुजाहिद खान का कहना है कि अगर वक्फ कब्रिस्तानों पर अवैध कब्जे का यही हाल है तो हमें भीड़ के सामने खड़े होकर फातिहा पढ़ना पड़ेगा. लोग दुनियादारी में इतने मशगूल हैं कि उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं है कि वे कहां काबिज हैं. यह दुखद स्थिति है, लेकिन हमें उम्मीद है कि समस्या दूर होगी और कब्रिस्तानों से अवैध कब्जा हटेगा.