राकेश चौरासिया
हज पर सफेद कपड़े पहनना समानता, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. हज यात्रा के दौरान मुसलमानों द्वारा सफेद कपड़े पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसे ‘इहराम’ कहा जाता है. इहराम हज की विशेष पोशाक का हिस्सा है, जिसे हज के दौरान पहना जाता है.
समानता का प्रतीक
सफेद कपड़े सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों, जातियों और नस्लों के हाजियों को एक समान बनाते हैं. यह इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों में से एक है, जो समानता पर जोर देता है. हज के दौरान, अमीर और गरीब, शक्तिशाली और कमजोर, सभी एक जैसे सफेद कपड़े पहनते हैं, जो दर्शाता है कि अल्लाह की नजर में सभी बराबर हैं.
शुद्धता का प्रतीक
सफेद रंग को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. हज यात्रा के दौरान, हाजी अपने पापों को धोने और अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को दर्शाने के लिए सफेद कपड़े पहनते हैं. यह सादगी और विनम्रता का भी प्रतीक है, जो हज की भावना के अनुरूप है.
समर्पण का प्रतीक
सफेद कपड़े हाजियों के अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक हैं. हज यात्रा के दौरान, हाजी दुनियावी मामलों से दूर होकर केवल अल्लाह की इबादत और उसकी आज्ञा का पालन करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं. सफेद कपड़े इस आंतरिक परिवर्तन और समर्पण को बाहरी रूप से दर्शाते हैं.
अन्य कारण
सफेद कपड़ा गर्मी से बचाव करता है. सफेद रंग धूप को परावर्तित करता है, जो गर्म मरुस्थलीय जलवायु में हाजियों को ठंडा रखने में मदद करता है.
सफेद रंग सादगी और विनम्रता का प्रतीक है, जो हज की भावना के अनुरूप है.
सफेद कपड़े हाजियों को आसानी से पहचानने में मदद करते हैं, खासकर भीड़भाड़ वाली जगहों पर.
हज पर सफेद कपड़े पहनना केवल एक परंपरा ही नहीं है, बल्कि यह समानता, शुद्धता, समर्पण और सादगी जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का प्रतीक है. यह हाजियों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने और अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति को मजबूत करने में मदद करता है.
इहराम उस एकता की भावना में भी योगदान देता है जो तीर्थयात्रियों के पास मक्का शहर में होने पर होती है, कि वे सभी भाई-बहन हैं जो अल्लाह की इबादत करने के लिए इकट्ठे हुए हैं.