बद्रीनाथ धाम की आरती किस मुस्लिम भक्त ने लिखी? कब खुलेंगे कपाट?, जानिए

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 14-02-2024
 Badrinath Dham
Badrinath Dham

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

बसंत पंचमी के साथ हिमालय की हिमाच्छादित पर्वत मालाएं बर्फ की श्वेत-धवल चदरिया उतारने को आतुर हैं। और इसी के साथ, बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की रूपरेखा तैयार हो गई है। भू-बैकुंठ में विराजमान भगवान बद्रीनाथ की महिमा अपरंपार है। हर हिंदू मतावलंबी जीवन में एक बार यहां की तीर्थयात्रा को अपना परम सौभाग्य मानता है, बल्कि यहां अलौकिक सौंदर्य और चमत्कारिक प्रभाव से मुस्लिम समुदाय भी अछूता नहीं रहा। एक मुस्लिम भक्त बद्रीविशाल के प्रेम में ऐसा पगा कि उन्होंने उनके महात्म का वर्णन करते हुए एक आरती ही लिख दी। और उस मुस्लिम भक्त की लिखी आरती कालजयी हो गई, जिसे अब प्रभु को मनाने-रिझाने के लिए हर हिंदू गुनगुनाता है और जिसका मुखड़ा है, ‘‘पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥’’

बद्रीनाथ धाम हिमालय की सुरम्य पहाड़ियों पर अवस्थित है, जो सघन वन और झाड़ियों से घिरा हुआ है। यह तीर्थस्थल पूरी दुनिया के हिंदुओं के लिए पवित्र एवं पूज्यनीय है। प्रतिवर्ष देश-दुनिया के लाखों श्रद्धालु यहां भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने आते हैं और बाबा बद्री विशाल अपने भक्तों की झोलियां भरते हैं।

बद्रीनाथ को बद्री विशाल क्यों कहा जाता है?

एक पौराणिक कथा के अनुसार श्री हरि यानी भगवान विष्णु ने अपने इष्ट देव यानी आदि शिव की घनघोर तपरस्या करनी शुरू की। किंतु उस समय भगवान भास्कर की तीव्र रश्मियों से सृष्टि के पालनहार की काया भभक उठी। यह देखकर उनकी सहधर्मिणी माता लक्ष्मी से रहा नहीं गया, तो वे उन्हें प्रखर धूप से बचाने के लिए बदरी में परिवर्तित हो गईं, जिसके बाद उन्हें बद्री विशाल कहा गया और उनके ‘नाथ’ बद्रीनाथ हो गए।

बद्रीनाथ धाम के कब खुलेंगे कपाट?

आज बसंत पंचमी के अवसर पर, सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार नरेंद्र नगर में राजपुरोहितों ने टिहरी नरेश महाराजा मनुज्येंद्र शाह की कुंडली की ग्रहदशा का आंकलन करके बद्रीधाम के कपाट खुलने की घोषणा की है और यह शुभ घड़ी 12 मई को सुबह 6 बजे ब्रह्म मुहूर्त की नियत हुई। इस अवसर पर आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने गणेश पूजन, पंचांग पूजन और चौकी पूजन के बाद धाम के कपाट खोलने की तिथि निर्धारित की।  

बद्रीनाथ धाम की आरती किस मुस्लिम भक्त ने लिखी?

मगर बद्रनाथ धाम से जुड़ी एक खास बात हम आपको बताने जा रहे हैं कि बद्रीनाथ मंदिरम में जो आरती गाई जाती हैं, उसे 1865 में एक मुस्लिम भक्त फकीरूद्दीन उर्फ बदरुद्दीन ने लिखी थी। फकीरूद्दीन एक गरीब परिवार से थे, लेकिन भगवान बद्रीनाथ के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा थी। वे अक्सर बद्रीनाथ धाम की यात्रा करते थे और वहां भगवान के दर्शन करते थे।

एक बार, जब फकीरूद्दीन बद्रीनाथ धाम में थे, तो उन्होंने एक सपना देखा। सपने में, भगवान बद्रीनाथ ने उन्हें उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर एक आरती लिखने का आदेश दिया। फकीरूद्दीन जब इस स्वप्न से जागे, तो उन्होंने तुरंत आरती लिखना शुरू कर दिया। जब उन्होंने आरती की रचना की थी, उस समय उनकी आयु महज 18 साल की थी। फकरुद्दीन तब डाक विभाग में कार्यरत थे और नंदप्रयाग में पोस्टमास्टर के तौर पर सेवारत थे।

आरती में, फकीरूद्दीन ने भगवान बद्रीनाथ के रूप, गुणों और महिमा का वर्णन किया है। इस आरती में बदरीनाथ धाम के धार्मिक महत्व के अलावा यहां की सुंदरता का भी वर्णन किया गया है। आरती की भाषा सरल और सुंदर है, और यह भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह आरती आज भी बद्रीनाथ मंदिर में नित्य सुबह-शाम गाई जाती है।

फकीरूद्दीन उर्फ बदरुद्दीन 19वीं शताब्दी के एक मुस्लिम संत और कवि थे। वे नंदप्रयाग, गढ़वाल (अब उत्तराखंड) में रहते थे। उन्हें भगवान बद्रीनाथ के अनन्य भक्तों में शुमार किया जाता है। आरती लिखने के बाद उन पर श्री बद्री महाराज का ऐसा जादू हुआ कि उन्होंने अपना नाम ‘फकरुद्दीन’ से बदलकर ‘बदरुद्दीन’ रख लिया। वे श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सक्रिय सदस्य भी रहे। उनका 104 वर्ष की उम्र में वर्ष 1951 में उनका निधन हुआ।

भक्ति धर्म, जाति की सीमाओं से परे

यह आरती एक मुस्लिम भक्त की भक्ति का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भक्ति किसी भी धर्म, जाति या पंथ की सीमाओं से परे होती है। यह आरती न केवल भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि यह भारत की धार्मिक सहिष्णुता का भी प्रतीक है।

बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि उन्हें इस बात का गर्व है कि हिंदुओं के प्रमुख देवता की आरती उनके दादा जी ने लिखी थी। यह आरती मंदिर की दीवारों पर लिखी है और भक्तगण दीवारों से आरती पढ़कर गाते हैं।

बद्रीनाथ जी की पूरी आरती क्या है?

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥

शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् । वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल...॥

शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम् । जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल...॥

इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम् । सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल...॥

यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम् । श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल...॥

कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम् । राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल...॥

श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम् । कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम् ॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल...॥

पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् । निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्वंबरम् ॥