राकेश चौरासिया
हजरत इब्राहिम (अ.स.) और हजरत इस्माइल (अ.स.) द्वारा काबा की बुनियाद रखने के बाद से ही इसे किस्वा नामक काले रंग के कपड़े से ढका जाता रहा है. काबा किस्वा पर कुरान की आयतें लिखी होती हैं.
यह कपड़ा हर साल बदला जाता है. इस बार मक्का स्थित ग्रैंड मस्जिद में किस्वा (गिलाफ-ए-काबा) नए इस्लामी वर्ष 1446 एएच की पहली मुहर्रम को बदलने की रस्म होगी. नया किस्वा सऊदी अरब में मक्का के शाही कारखाने में बनाया जाता है. इसमें काले रंग का रेशमी कपड़ा होता है, जिस पर सोने के तारों से कुरान की आयतें कढ़ाई की जाती हैं.
किस्वा पर लिखी आयतों में तौहीद (एक ईश्वर में विश्वास), पैगंबरों का संदेश, आखिरत (परलोक) और इस्लाम की अन्य बुनियादी शिक्षाएं शामिल होती हैं.
किस्वा पर लिखी कुछ प्रमुख आयतें हैंः
किस्वा काले रंग का होता है और 670 किलोग्राम (किलोग्राम) कच्चे रेशम से बना होता है, जिसमें कुरान की आयतें सोने की परत वाले धागे में बुनी गई हैं. आयतों को 120 किलोग्राम सोने और 100 किलोग्राम चांदी के धागों का उपयोग करके बुना गया है.
किस्वा में अल्लाह के नाम और गुण शामिल हैं, जिनमें या अल्लाह, या मन्नान, या दयान, सुभानल्लाहि वा बिहम्दिही सुभानल्लाहिल अजीम और ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह शामिल हैं. काबा के दरवाजे पर कुरान की आयतों और तीन पूर्ण सूरह के साथ पर्दे लगे हैं, जिनका नाम अल-फातिहा, अल-फलक, अन नास और कुरैश है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किस्वा पर लिखी आयतों का उद्देश्य केवल सजावट नहीं है, बल्कि यह मुसलमानों को इस्लाम की शिक्षाओं की याद दिलाने और उन्हें ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है.