ईमान सकीना
मनुष्य के लिए खुशी और सफलता की तलाश करना स्वाभाविक है, ऐसी चीजें, जो हमें खुशी और आनंद देती हैं. हम लगातार ऐसे प्रश्न पूछते हैं, ‘हमें किस चीज से खुशी मिलती है?’ ‘हम वास्तव में कैसे खुश रह सकते हैं?’ ‘सफलता क्या है?’ और ‘क्या ख़ुशी सफलता से जुड़ी हुई है?’ इन सवालों के साथ हम अपने जीवन के उद्देश्य पर पुनर्विचार करते हैं.
हम इन सवालों के जवाब उस शाश्वत मार्गदर्शन पर विचार करके पा सकते हैं, जो हमारे प्रिय पैगंबर मुहम्मद स.अ.व. ने दिया था. कुरान के माध्यम से और पैगंबर के जीवन का अध्ययन करके, हम अपने जीवन में खुशी कैसे प्राप्त करें और सफलता कैसे प्राप्त करें, इसके बारे में कुछ सबक पा सकते हैं.
कई लोगों के लिए, सफलता का मतलब अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करना, आदर्श कैरियर प्राप्त करना, प्रसिद्ध और सम्मानित बनना या शायद सही साथी से मिलना भी हो सकता है. इस दृष्टिकोण से, सफलता किसी व्यक्ति के जीवन लक्ष्यों की एक व्यक्तिपरक अभिव्यक्ति है, जो हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है. लेकिन कुरान में सफलता कैसी दिखती है, इसकी स्पष्ट परिभाषाएं भी हैं.
मुसलमानों के रूप में, हमारा मानना है कि जीवन के दो भाग हैं. हमारा जीवन इस दुनिया में समाप्त नहीं होता है, बल्कि अगले - आखिरा (आखिरी जीवन) तक जारी रहता है. इसलिए, सफलता का अर्थ है.
इस जीवन और अगले जीवन में सफल होना. इसका मतलब इस दुनिया में आर्थिक या शैक्षणिक रूप से सफल होना हो सकता है, जैसा कि ऊपर बताया गया है, साथ ही इसके बाद, स्वर्ग में भी एक सफल परिणाम प्राप्त करना है. सफलता का यह दृष्टिकोण कुरान की प्रार्थना में देखा जा सकता है जो हम अक्सर प्रार्थना के बाद करते हैः ‘‘हमारे भगवान! हमें इस दुनिया और आखिरत की भलाई प्रदान करें और आग की यातना से हमारी रक्षा करें.’’
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भले ही हम दोनों दुनियाओं में उपलब्धि के लिए प्रयास करें, इस दुनिया में सफलता की हमारी अवधारणा परलोक में हमारी सफलता की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. उदाहरण के लिए, हमें जुआ या अनैतिक श्रम जैसी नैतिक रूप से संदिग्ध गतिविधियों के माध्यम से वित्तीय संतुष्टि प्राप्त करने से बचना चाहिए, जिसमें दूसरों के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन भी शामिल है. “ये वही लोग हैं, जो इस दुनिया की जिंदगी के लिए आखिरत का सौदा करते हैं. इसलिए, उनकी सजा कम नहीं की जाएगी, न ही उनकी मदद की जाएगी.” (सूरह अल-बकराह, 2ः86)
दूसरी ओर, कुछ ऐसे भी हैं, जो वित्तीय सुरक्षा का आनंद न लेने या शायद अन्याय का अनुभव करने के बावजूद, अपने नैतिक सिद्धांतों पर अड़े रहे और कठिनाइयों का सामना करते रहे. अल्लाह ने इन लोगों को आखिरत में उनकी अपरिहार्य समृद्धि का आश्वासन दियाः “और धैर्य रखो! निःसंदेह, अल्लाह भलाई करने वालों का प्रतिफल व्यर्थ नहीं जाने देता.” (सूरह हूद, 11ः115)
दरअसल, कुरान सफल लोगों के गुणों का भी वर्णन करता है, जो शायद हमें अपने जीवन में भी सद्गुण विकसित करने में मार्गदर्शन कर सकता है. जैसे कि सूरह अल-मुक्मिनुन मेंः ‘‘वास्तव में सफल लोग वे हैं, जो प्रार्थना में खुद को विनम्र करते हैं, जो बेकार की बातचीत से बचते हैं, जो लोग जकात अदा करते हैं, जो लोग अपनी पवित्रता की रक्षा करते हैं, परन्तु अपनी पत्नियों वा अपने दाहिने हाथ की सम्पत्ति के विषय में वे दोष से रहित हैं, परन्तु जो कोई उस आगे बढ़ना चाहता है,
वह अपराधी है, जो अपने विश्वासों और अनुबंधों के प्रति सच्चे हैं और जो लोग (ठीक से) अपनी नमाजों का पालन कर रहे हैं. इन्हीं को पुरस्कृत किया जाएगा. स्वर्ग उनका अपना है. वे हमेशा वहां रहेंगे.’’ (सूरह अल-मुकमिनुन, 23ः1-11)
हमें इस दुनिया में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है, क्योंकि यही वह स्थान है जहां हम अपने अच्छे कर्मों की कटाई कर परलोक में अपने शाश्वत पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं.
निस्संदेह, जीवन में चुनौतियां हमेशा आती रहेंगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई अच्छे जीवन का अनुभव नहीं कर सकता. कुरान विशेष रूप से सूरह अन-नहल में ‘अच्छे जीवन’ का उल्लेख करता हैः ‘‘जो कोई भी अच्छा करता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला और आस्तिक है, हम निश्चित रूप से उन्हें अच्छे जीवन का आशीर्वाद देंगे, और हम निश्चित रूप से उन्हें उनके कर्मों के लिए सर्वोत्तम के अनुसार पुरस्कृत करेंगे.’’ (सूरह अन-नहल, 16ः97)
मुसलमानों का मानना है कि अल्लाह ने अपने ज्ञान और दया से इस दुनिया में हमारे जीवन की समयसीमा और साथ ही हमारी व्यक्तिगत भविष्यवाणी को पूर्व निर्धारित किया है. हमें सावधान रहना चाहिए कि जिन कठिनाइयों का हम सामना कर रहे हैं, वे हमें निराशा और हताशा से न भर दें. आप जो जानते हैं और जो नहीं जानते हैं उसके आधार पर भरोसा रखें और सर्वोत्तम परिणाम के लिए दुआ करते रहें.