फैजान खान / आगरा
ताजमहल में पैसे लेकर सैलानियों की फोटोग्राफी करने वालों पर भारतीय पुरातत्व विभाग का एक फरमान वज्रपात बनकर टूटा है. कोरोना महामारी और सैलानियों की कम संख्या से हलकान इन फोटोग्राफरों को भारतीय पुरातत्व विभाग ने एक सप्ताह के भीतर बतौर लाइसेंस फीस 25 हजार रुपये अदा करने के आदेश दिए हैं.
चूंकि आगरा में ताजमहल के अलावा दूसरे स्मारकों पर फोटोग्राफी करने वाले ज्यादातर मुस्लिम हैं, इसलिए पुरातत्व विभाग के इस नए आदेश से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. लाइसेंस फीस जमा नहीं कराने पर उन्हें ताजमहल मंे फोटोग्राफी करने का लाइसेंस गंवानी पड़ सकती है.
कोरोना महामारी के कारण ताजमहल और आगरा के दूसरे स्मारकों पर सैलानियों के आने का सिलसिला बहुत कम हो गया है. इसकी वजह से स्मारकों पर फोटोग्राफरी का काम करने वाले पहले से ही आर्थिक मार झेल रहे हैं. ऐसे उन्हें उम्मीद थी कि भारतीय पुरातत्व विभाग उनकी समस्याओं को कम करने के लिए कुछ महत्वपूण कदम उठाएगा, मगर इसके नए फरमा ने फोटोग्राफरों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है.
लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए एएसआई की ओर से 25हजार रुपये बतौर रिन्यूअल फीस जमा कराने के आदेश दिए गए हैं. सैलानी कम आने के कारण अभी पुरातत्व विभाग की ओर से ताजमहल में एक दिन बीच कर फोटोग्राफी की इजाजत दी हुई है. इसकी वजह से उनकी आमदनी सीमित हो गई है.
बावजूद इसके एएसआई ने फरमान जारी कर दिया है. एक फोटोग्राफर का कहना है कि आदेश जारी करने से पहले पुरातत्व विभाग ने यह जानना भी जरूरी नहीं समझा कि सीमित आमदनी में फोटोग्राफरों का घर कैसे चल रहा है ?
नई व्यवस्था नई मुसीबत
फोटोग्राफरों को सत्र 2021-22 के लिए लाइसेंस रिन्युअल कराने के लिए 25 हजार रुपये की फीस जमा करानी होगी. 30 जून 2022 अंतिम तारीख है. चूंकि अधिक संख्या में मुस्लिम फोटोग्राफर हैं, इस लिए नए आदेष के चलते इनकी आर्थिक स्थिति पर ही ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ेगा. इनके पास कोई दूसरा काम भी नहीं है कि उसे कर भरपाई कर सकें.
इसपर भारतीय पुरातत्व एसोसिएशन ने संस्कृति मंत्रालय और आगरा एएसआई सर्किल कार्यालय से फीस माफी की मांग की है.
पहले से बहुत कम आ रहे हैं सैलानी
कोरोना महामारी से पहले ताजमहल में प्रतिदिन करीब 60हजार से अधिक देसी,विदेशी पर्यटक आते थे, जिनसे सभी फोटोग्राफर का घर आसानी से चल जाता था. कोरोना के बाद से विदेशी पर्यटकों का आना पूरी तरह से बंद है. भारतीय पर्यटकों की संख्या में भी बहुत कमी आई है. ऐसे में गाइड हो या फोटोग्राफर, सभी के सामने आर्थिक संकट है.
सप्ताह में तीन दिन मिलता है प्रवेश
ताजमहल में कम संख्या में सैलानियों को देखते हुए एएसआई ने फोटोग्राफरों का दिन निर्धारित कर दिया है. अब आधे फोटोग्राफर एक दिन जाते हैं आधे दूसरे दिन. जिसका नंबर गुरुवार को नहीं होता उसकी दो दिन बाद शुक्रवार को भी छुट्टी होती है. ऐसे में एक महीने में चार दिन और काम नहीं मिलता. वहीं सप्ताह में एक फोटोग्राफर को महज तीन दिन ही काम मिल रहा है. ऐसे में 25हजार रूपये की अदायगी होना बड़ी मुष्किल है.
पुराने फोटोग्राफर से फीस महज पांच हजार रुपये
ताजमहल में फोटोग्राफी का काम करने वाले पुराने फोटोग्राफरों से एसएसआई महज पांच हजार रुपये प्रति वर्ष लाइसेंस फीस लेती है, लेकिन नए फोटोग्राफरों से 25हजार रुपये जमा कराने को कहा गया है. फोटोग्राफरों का कहना है कि जब इमारत एक है तो लाइसेंस फीस पांच गुना ज्यादा क्यों ?
अन्य स्मारकों की फीस 15 हजार रुपये है. ऐसे में ताजमहल में दूसरे स्मारकों के फोटोग्राफर भी काम करते हैं.ताजमहल में करीब 450 लाइसेंसी फोटोग्राफर काम करते हैं. इनमें 202 नए और बाकी के पुराने हैं. जबकि आगरा किला, फतेहपुर सीकरी, एत्मादउद्दौला के फोटोग्राफर भी अपने तय स्मारक को छोड़कर ताजमहल में आकर फोटोग्राफी करते हैं.
उन्होंने कोर्ट से स्टे ले रखा है. वे कहते हैं कि ताजमहल को छोड़कर बाकी स्मारकों पर पर्यटक नहीं आते, इसलिए यहां फोटोग्राफी करते हैं.फोटोग्राफरों का कहना है कि जब कोर्ट से स्टे लेकर आगरा किला, फतेहपुर सीकरी और एत्माद्दौला के फोटोग्राफ ताजमहल में फोटोग्राफी कर सकते हैं तो फीस उनसे भी ताजमहल की लेनी चाहिए. ताजमहल की फीस 25 हजार है, जबकि दूसरे स्मारकों की फीस 15हजार रुपये है. जब ताजमहल पर काम कर रहे हैं तो एएसआई को फीस भी ताजमहल वाली लेनी चाहिए.
मुफलिसी में मुस्लिम फोटोग्राफर
202 नए फोटोग्राफरों 65 मुस्लिम हैं, जबकि पुराने 248 में से 105 मुस्लिम फोटोग्राफर हैं. वहीं दूसरी स्मारकों से ताजमहल में काम करने वाले फोटोग्राफरों की संख्या तो 200 से ज्यादा है़ इसमें भी मुस्लिमों की संख्या करीब 95 है. इस बारे में फोटोग्राफर आफाक वकार कहते हैं कि बाकी फोटोग्राफर तो कोई न कोई दूसरा काम कर रहे हैं, लेकिन मुस्लिम फोटोग्राफरों का यही मुख्य पेशा है.
उनके पास ताजमहल में पर्यटकों की फोटोग्राफी करने के सिवा कोई और दूसरा काम नहीं. ऐसे में अगर एएसआई द्वारा बढ़ाई गई फीस वसूली गई तो इनके लिए हालात बद से बदतर हो जाएंगे.