गंगा-जमुनी तहज़ीब को सलाम: खुसरो उर्स पर संत-कार्यकर्ता मिलकर पेश करेंगे चादर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-04-2025
Salute to Ganga-Jamuni Tehzeeb: Saints and activists will jointly present Chadar on Khusro Urs
Salute to Ganga-Jamuni Tehzeeb: Saints and activists will jointly present Chadar on Khusro Urs

 

दिल्ली

हज़रत ख्वाजा अमीर खुसरो के 721वें उर्स के पावन अवसर पर'सत्यधर्म संवाद' और'ख़ुदाई ख़िदमतग़ार' की दिल्ली इकाई के नेतृत्व में आज एक विशेष आयोजन किया जा रहा है.इस अवसर परसंत श्री स्वामी राघवेंद्र जी महाराजके मार्गदर्शन में दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया पर शाम6:00 बजेचादर पेश की जाएगी.

इस आयोजन का उद्देश्य केवल एक धार्मिक रस्म अदायगी नहीं, बल्कि भारत की साझा संस्कृति, प्रेम, सौहार्द औरगंगा-जमुनी तहज़ीबको आगे बढ़ाना है – जो आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी है.

सांझी विरासत का उत्सव

स्वामी राघवेंद्र जी महाराज, युवा सामाजिक कार्यकर्ता और अनेक धर्मों से जुड़े प्रतिनिधि इस चादरपोशी में भाग लेंगे.इस दौरानप्रार्थना, संवाद और एकता का संदेशदिया जाएगा.आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट किया जाएगा कि भारत की आत्मा उसकी विविधता और समरसता में बसती है, और हज़रत खुसरो इसी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं.

हज़रत अमीर खुसरो भारतीयता की वह पहचान हैं, जिसकी ख़ुशबू और दस्तक हर दिल तक पहुँचती है.

खुसरो ने प्रेम को मज़हब की बुनियाद माना और उनकी रचनाएँ आज भी हर भाषा, हर वर्ग, हर धर्म के दिलों को जोड़ती हैं। उनका यह दोहा आज भी उतना ही प्रासंगिक है:

"खुसरो पाती प्रेम की, बिरला बाँचे कोय.
वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय."

आह्वान: आइए और बनिए साझी मुहब्बत के सहभागी

कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सभी नागरिकों से अपील की गई है कि वे18 अप्रैल को शाम 6:00 बजे निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के पासएकत्रित हों.वहां से सभी प्रतिभागी स्वामी राघवेंद्र जी महाराज के साथ दरगाह की ओर जाएंगे और चादर पेश करेंगे.

यह आयोजनन केवल धर्मों के बीच संवादको मज़बूत करेगा, बल्कि समाज को यह याद दिलाएगा कि विविधता में ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है.

"हमें प्रेम, संवाद और सांझी विरासत को बढ़ावा देने का कोई भी अवसर गंवाना नहीं चाहिए — यही समय की सबसे बड़ी मांग है."

आपसे सादर अनुरोध है कि इस सांस्कृतिक-धार्मिक आयोजन में शामिल होकर साझा भारत की आवाज़ को बुलंद करें.