सेराज अनवर/ पटना
इस जमाने की अजब तिश्ना-लबी है ऐ जफर
प्यास उस की सिर्फ बुझती है हमारे खून से
साहित्य अकादमी पुरस्कार एक बारे फिर बिहार की झोली में आया है.इस बार उर्दू में बाल साहित्य के लिए डॉ. जफर कमाली का चयन किया गया है.कमाली सीवान के रहने वाले हैं और उनका कमाल यह है कि बच्चों के साहित्य पर लिखते हैं.इस साहित्य विद्या में बिहार का सम्भवतः यह पहला अवार्ड है.
अकादमी ने 23 भाषाओं में युवा पुरस्कार और 22 भाषाओं में बाल साहित्य पुरस्कार की घोषणा की है.कमाली को हौसलों की उड़ान कविता संग्रह केलिए साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा . साहित्य अकादमी ने हिंदी के लिए क्षमा शर्मा, उर्दू के लिए डॉ. जफर कमाली और अंग्रेजी के लिए अर्शिया सत्तार समेत 22 भाषाओं के लेखकों-लेखिकाओं
को अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की है.
डॉ. जफर कमाली को साहित्य अकादमी के बाल साहित्य पुरस्कार के लिए नाम घोषणा किए जाने पर बिहार के उर्दू अदब में उत्साह का माहौल है.आलोचकों एवं प्रशंसकों ने हकदार को हक मिलना बताया.
साहित्यिक संगठनों लेखकों और कवियों का कहना है कि इससे बाल साहित्य पर लिखने की प्रेरणा मिलेगी,जो काफी मुश्किल विषय है.
कौन हैं डॉ. जफर कमाली ?
डॉ. जफर कमाली का उपनाम जफर है, जबकि मूल नाम जफरुल्लाह है.इनका जन्म 3 अगस्त 1959 में सीवान जिले के रानीपुर गांव में हुआ.खुशी बांटने के इस मौके पर पिता कमालुद्दीन अहमद और मां आसिया खातून अब इस दुनिया में नहीं हैं.
सीवान स्थित जेड ए इस्लामिया कॉलेज में तैंतीस वर्षों से डॉ.कमाली फारसी भाषा एवं साहित्य के वरीय अध्यापक हैं. उन्होंने पटनाविश्वविद्यालय से उर्दू एवं फारसी में स्नातकोत्तर के बाद प्रसिद्द व्यंगकार अहमद जमाल पाशा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विषय पर पी एच डी की उपाधि प्राप्त की.
डॉ. जफर कमाली का बहुआयामी साहित्यिक व्यक्तित्व है. शोध, व्यंगकाव्य, रुबाई लेखन और बाल कविता जैसी विविधतापूर्ण विधाओं में वह लगातार अपने लेखन से उर्दू साहित्य को सम्रृद्ध कर रहे हैं.
हौसलों की उड़ान के लिए मिला अवार्ड
2020 में प्रकाशित उनकी बाल कविता का संग्रह हौसलों की उड़ान को साहित्य अकादमी की त्रिसदस्सीय निर्णायक मंडल ने उर्दू भाषा में पुरस्कार के लिए चुना है.उर्दू भाषा की जूरी में प्रो. शफी कदवई, प्रो. सैयद शाह हुसैन अहमद और डॉ. जाकिर खान जाकिर शामिल थे.
डॉ.कमाली के अन्य महत्त्वपूर्ण किताबों में ष्मकातिब रियाजियाष् (1986), जराफतनामा (2005), मुतअल्लिकाते अहमद जमाल पाशा (2006), डंक,(2009),रुबाइयां (2010), नमकदान,(2011), रुबाइआत जफर,(2013)चहकारे,(2014),खाके जुस्तुजू(2017), जरबे सुखन (2019), अहमद जमाल पाशा (2022).
बाल कविता से संबंधित जफर कमाली की पहली पुस्तक बच्चों का बाग (2006 ) में प्रकाशित हुई . चहकारे शीर्षक से 2014 में दूसरी पुस्तक सामने आई. बाल कविता से संबंधित तीसरी किताब हौसलों की उड़ान थी जो 2020 में छपी जिसे साहित्य अकादमी ने अभी अभी बाल साहित्य के पुरस्कार से पुरस्कृत किया है .
जफर कमाली की अनेक बाल कविताएं पाठ्य पुस्तकों में संगृहीत हैं . बिहार में बारहवीं कक्षा में उनकी व्यंग कविता मुताशयर शामिल है .एनसीईआरटी के द्वारा उनकी कविता किताबें चौथे वर्ग में शामिल है.कर्नाटक में आठवीं कक्षा में उनकी बाल कविता पढ़ाई जाती है.
बिहार के साहित्य जगत में खुशी
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बिहार के इस प्रमुख लेखक को साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित किए जाने पर साहित्यिक संस्था बज्मे सदफ इंटरनेशनल के डायरेक्टर
प्रो. सफदर इमाम कादरी ने कमाली को बधाई दी है और साहित्य अकादमी को इस प्रमुख लेखक को पहचानने के लिए साधुवाद दिया है .
उनका कहना है कि जफर कमाली जैसे लेखक जो भीड़ और साहित्यिक जुगाड़ के इस दौर में हाशिए पर मौजूद हैं, उन्हें पुरस्कार के लिए चुनना एक स्वस्थ परंपरा का आरम्भ है.आगे भी साहित्य अकादमी इसी तरह हकदार लोगों को पुरस्कृत करे तो लेखकगण ज्यादा खुश होंगे. यह पुरस्कार बिहार को मिला है इसलिए यह और भी खुशी का मौका है.

पटना विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के अध्यक्ष
प्रो.शहाब जफर आजमी ने कहा कि बेशक इससे बाल साहित्य लिखने वालों के हौसले बढ़ेंगे.बच्चों का अदब हर आदमी लिख भी नहीं सकता है.बाज लोग बताते हैं कि बड़ों के साहित्य से यह मुश्किल काम है.ऐसे भी बच्चों पर बहुत कम लिखा जा रहा है.

जफर कमाली से बच्चों पर लिखने वाले लोग प्रेरित होंगे.हौसलों की उड़ान प्रेरणादायक और खूबसूरत किताब है.इसके लिए कमाली साहब को दिल से बधाई.बिहार के युवा साहित्यकार और लेक्चरर
अहमद सगीर कहते हैं कि जफर कमाली मशहूर शायर हैं और बहुत खामोशी से अदब की खिदमत कर रहे हैं.
वह किसी सिला की परवाह किए बेगैर साहित्य का सृजन कर रहे हैं.बाल साहित्य अवार्ड उनकी मेहनत का नतीजा है.मेरी जानिब से उन्हें मुबारकबाद !!!