साहिब, अकबर और सुलतान बढ़ा रहे फिल्मों की शान, ट्रेन सीक्वेंस के इनकी एक दिन की इतनी फीस

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-06-2022
साहिब, अकबर और सुलतान, बढ़ा रहे फिल्मों की शान, ट्रेन सीक्वेंस के इनकी एक दिन की है इतनी फीस
साहिब, अकबर और सुलतान, बढ़ा रहे फिल्मों की शान, ट्रेन सीक्वेंस के इनकी एक दिन की है इतनी फीस

 

मलिक असगर हाशमी / रेवाड़ी ( हरियाणा ) 
 
दरअसाल, साहिब, अकबर, सुलतान-रेलवे की ब्लैक ब्यूटी यानी स्टीम इंजन हैं. करीब पचास-साठ वर्षों की सेवा के बाद कहने को तो यह पटरी से हटा दिए गए हैं, पर फिल्मों और टीवी धारावाहिकों ने इन इंजनों को अभी भी व्यस्त रखा हुआ है. स्टीम इंजनों को शूटिंग के लिए कब याद कर लिया जाए, इसके मद्देनजर यह हर दम तैयार खड़े रहते हैं. 

काले रंग का होने के कारण ब्लैक ब्यूटी कहे जाने वाले रेलवे के स्टीम इंजन, देशभर में अब केवल 16 ही बचे हैं, जिनमें से 12 दिल्ली-जयपुर स्थित रेवाड़ी जंक्शन के करीब बने रेवाड़ी रेलवे विरासत संग्रहालय में मौजूद हैं. दरअसल यह अंग्रेजों द्वारा निर्मित स्टीम लोको शेड था, जिसे करीब दो दशक पहले संग्रहालय में बदल दिया गया है.
 
मजेदार बात यह है कि रेवाड़ी रेलवे विरासत संग्रहालय जाने पर आपको यहां का माहौल भाप इंजनों के लोको शेड जैसा ही दिखेगा. धौंकनी से लेकर चालीस-पचास साल पुराने लेथ मशीन तक दिख आएंगे.
 
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इस संग्रहालय को सजाने, संवारने में फिटर और रोलर मेकिंग टीम के सदस्य नरेंद्र कुमार, वेद प्रकाश,जीत राम, सुभाष, संदीप कुमार,राम फूल,संतोष कुमार, सुनील, संदीप कुमार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
 
संग्रहालय सह लोको शेड के कर्मचारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि चूंकि फिल्मांे एवं टीवी धारावाहिकों में ब्लैक ब्यूटी इंजनों की मांग बढ़ रही है, इसलिए इन्हें हर समय तैयार रखा जाता है. इनके मेटिनेंस का काम हर सयम चलता रहता है.
 
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संग्रहालय में रेलवे ट्रैक
 
गदर, रंग दे बसंती, गैंग ऑफ वासेपुर, भाग मिल्खा भाग, सुल्तान जैसी फिल्मों के ट्रेन वाले सीन रेवाड़ी स्टीम लोको शेड में ही शूट किए गए हैं. करीब करीब सिंगल फिल्म में संग्रहालय में खड़ी फेरी क्वीन इंजन की सवारी अभिनेता इरफान खान ने की थी.
 
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी रहे कुलतार सिंह कहते हैं कि एक दिन की शूटिंग के लिए एक स्टीम इंजन और चार बोगियों का किराया निर्धारित है.इंजन के साथ शूटिंग का बजट जिस निर्माता का कम होता है, वह तो संग्रहालय में ही शूटिंग कर लेता है, लेकिन ज्यादा बजट वाले निर्माता इसे इंजन की सहुलियत के हिसाब शूटिंग स्पॉट पर भी मंगवा लेते हैं.
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भारतीय रेलवे की खास पहचान बन चुके रेवाड़ी स्टीम लोको शेड को बॉलीवुड अपनी फिल्मों में खासी जगह दे रहा है. यहां पर 12 ब्लैक ब्यूटी यानी भाप के इंजन रेवाड़ी किंग, साहिब, सुलतान, सिंध, अंगद, अकबर, आजााद, शेर-ए-पंजाब, विराट, शक्तिमान, फेरी क्वीन आदि हैं, जिनको हैरिटेज के तौर पर संभालकर रखा गया है.
 
संग्रहालय में खड़ी ब्लैक ब्यूटी का इस्तेमाल फिल्म वीर, पार्टीशन, गुरु, की एंड का और गांधी माई फादर जैसी फिल्मों में भी हो चुका है. यही नहीं मलयालम फिल्म प्रणायम, स्टारिंग पोरनवी, तमिल फिल्म विजय 61 में भी यह भाप के इंजन आफ को दिख जाएंगे.
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सुलतान की शूटिंग करते सलमान खान

रेलवे के उच्च अधिकारियों के मुताबिक रेवाड़ी में मौजूद भाप के इंजनों की सबसे ज्यादा डिमांड फिल्म शूटिंग के लिए है. यहां पर कई बड़ी फिल्में हाल फिलहाल में शूट की गई हैं. इनमें गदर, रंग दे बसंती, लव आज कल, गैंग ऑफ वासेपुर, भाग मिल्खा भाग, सुल्तान, करीब करीब सिंगल, वीर, पार्टीशन, गुरु, की एंड का और गांधी माई फादर है. फिल्मों में बढ़ती डिमांड को देखते हुए रेलवे रेवाड़ी लोको शेड को और ज्यादा आधुनिक बनाने में लगा है.
 
उत्तर रेलवे के जनसंपर्क विभाग का कहना है कि ऐसी तमाम फिल्में हैं जिनमें बीते जमाने को दर्शाना होता है, उनके लिए लगातार रेवाड़ी स्टीम सेट की मांग बढ़ रही है. इससे रेलवे को अच्छी आय अर्जित होती है.
 
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फिल्मों से बढ़ती मांग को देखते हुए उत्तर रेलवे ने शूटिंग परमिशन को आसान बना दिया है. ऐसी शूटिंग को उनका विभाग वरीयता देता है. पूरी कोशिश की जाती है कि फिल्म डायरेक्टर या फिल्म की टीम को तत्काल परमिशन दी जाए. अगर किसी फिल्म की शूटिंग में एक इंजन और 4 बोगियों की डिमांड हो तो ऐसी डिमांड के लिए रेलवे 1 दिन के करीब पांच लाख रुपये चार्ज करता है.
 
भारतीय रेलवे भाप के इंजनों को हैरिटेज के तौर पर सहेज रही है. इसी क्रम में भुसावल से एक और स्टीम इंजन के कबाड़ को रेवाड़ी स्टीम लोको शेड लाया गया. इस स्टीम इंजन का नाम सम्राट अशोक है.
 
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साहिब स्टीम इंजन का लेखा-जोखा
 
यह स्टीम इंजन भी लगभग ट्रैक पर आ गया है. रेलवे के नितिन चौधरी के मुताबिक, भाप के इंजन रेलवे की विरासत है.इस समय भाप के इंजन का देशभर में एक ही ठिकाना है और वह है रेवाड़ी.
 
रेवाड़ी स्टीम लोको शेड में इस समय 12 स्टीम इंजन हैं. इन स्टीम इंजन में सबसे फेमस है फेयरी क्वीन. यह दुनिया का सबसे पुराना ब्रॉडगेज  भाप इंजन है, जो अभी सेवा में है. इसका निर्माण 1855 में  इंग्लैंड की एक कंपनी ने किया था. इसे वर्ष 1998 में दुनिया के सबसे पुराने वर्किंग स्टीम लोकोमोटिव के रूप में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
 
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रेवाड़ी रेलवे विरासत संग्रहालय

अब कुछ बातें रेवाड़ी के विरासत संग्रहालय के बारे में.रेवाड़ी रेलवे विरासत संग्रहालय (पूर्व में रेवाड़ी स्टीम लोकोमोटिव शेड ) का निर्माण1893 में हुआ था. यह भारत में एकमात्र जीवित स्टीम लोकोमोटिव शेड है.
 
इसमें भारत के कुछ अंतिम जीवित यानी चालू हालत में भाप इंजनों के साथ दुनिया का सबसे पुराना 1855-निर्मित स्टीम लोकोमोटिव द फेयरी क्वीन भी है. संग्रहालय रेवाड़ी रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार के उत्तर में 400 मीटर , गुड़गांव से 50 किमी और राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली से 79 किमी दूर स्थित है.
 
यहां तक रेल गाड़ी से पहुंचना ज्यादा आसान है. सड़क मार्ग से यदि आ रहे हैं तो आपको रास्ते का पता होना चाहिए. यदि गूगल के भरोसे यहां तक पहुंचने की सोच रहे हैं तो बेमतलब कई गांवों का भ्रमण करना पड़ेगा.
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इतिहास

रेवाड़ी स्टीम लोकोमोटिव शेड कई वर्षों तक उत्तर भारत में एकमात्र लोकोमोटिव शेड रहा. रेवाड़ी मार्ग दिल्ली को पेशावर से जोड़ता था. 1990 के दशक तक भाप इंजनों को चरणबद्ध तरीके से बंद और जनवरी, 1994 में मीटर गेज पटरियों पर भाप इंजन बंद कर दिए जाने के बाद, रेवाड़ी लोको शेड पुनर्वास से पहले कई वर्षों तक उपेक्षित रहा. इसके बाद स्टीम शेड को मई, 2002 में फिर से खोला गया.
 
रेवाड़ी स्टीम लोकोमोटिव शेड को एक विरासत पर्यटन स्थल के रूप में पुनर्निर्मित किया गया. इसकी इमारत  बहाल की गई. भारतीय रेलवे द्वारा इसे दिसंबर 2002 में संग्रहालय में बदल दिया गया.
 
शेड में आज भी पुराने सिग्नलिंग के साथ भारतीय रेल नेटवर्क पर विक्टोरियन युग की कलाकृतियों देखी जा सकती हैं. इसके अलावा सिस्टम, ग्रामोफोन और सीटें में आप देख सकते हैं. नवीनीकृत करने के बाद विरासत संग्रहालय को अक्टूबर 2010 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया. भाप के इंजन अभी भी लाइव देखे जा सकते हैं.
 
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फेरारी क्वीन इंजन

शेड और कंपाउंड में दुनिया के सबसे पुराने भाप इंजनों में से 12 (भारत में कुल 16 कार्यात्मक हैं)  को देख सकते है. सभी चालू हालत में हैं. इनमें 1945 में अमेरिकी कंपनी बाल्डविन लोकोमोटिव द्वारा निर्मित अकबर भी शामिल है.
 
यह अधिकतम गति 45 किमी प्रति घटा की रफतार से सहारनपुर रेलवे शेड तक सवारियों को लेकर चला करता था. संग्रहालय मेंशहंशाह डब्ल्यूपी-पी भी है. इसे अमेरिकन बाल्डविन प्रोटोटाइप ने बनाया था, जो लखनऊ डिवीजन में चारबाग कार्यशालाओं में था. इस  इंजन को फिल्म की शूटिंग के लिए भाग्यशाली शुभंकर के तौर पर माना जाता है.
 
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विकास योजनाएं

भारतीय रेलवे ने रेवाड़ी रेल संग्रहालय से सटे 8.8 हेक्टेयर रेलवे हेरिटेज थीम पार्क विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इसे हरियाणा सरकार और भारत के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से यूके में डेवोन रेलवे सेंटर , यूएसए में एडविल रेलरोड थीम पार्क और न्यूजीलैंड में फेरीमेड हेरिटेज पार्क जैसी अवधारणा पर आधारित बनाया जाएगा.
 
रेलवे ने हरियाणा सरकार से 1.47 अरब रुपये की लागत से पर्यटन मंत्रालय के अंडर डेवलपमेंट माधोगढ़ - महेंद्रगढ़ - नारनौल - रेवाड़ी हेरिटेज सर्किट के तहत राज्य की सब्सिडी वाली स्वदेश दर्शन योजना में इस हेरिटेज म्यूजियम को शामिल करने को कहा है.
 
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कला और सांस्कृतिक 

विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय न्यास (इनटैक) के छात्रों के बीच इस संग्रहालय के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक अभियान शुरू किया गया है. सोमवार को छोड़कर यह प्रतिदिन खुला रहता है.
 
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भाप इंजन के नंबर प्लेट
 
इसमें दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे स्टीम लोकोमोटिव सवारी का आनंद लेने के लिए थ्री-डी स्टीम लोको सिम्युलेटर , थ्री-डी वर्चुअल रियलिटी कोच सिम्युलेटर, एक टॉय ट्रेन, शैक्षिक यार्ड मॉडल ट्रेन सिस्टम, इनडोर प्रदर्शनी गैलरी, प्रोजेक्टर के साथ 53-सीटर सम्मेलन कक्ष भी है.
 
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एक सदी पुरानी डाइनिंग कार, कैफेटेरिया और स्मारिका की दुकान भी संग्रहालय में मौजूद है. संग्रहालय में, छोटे इंजनों के मॉडल , पुराने रेलवे उपकरण, हाथ से पकड़ने वाले पीतल के सिग्नल लैंप और पुरानी तस्वीरें दिखाने वाले प्रदर्शनी हॉल हैं.संग्रहालय की सुविधाओं में भारत में रेलवे के इतिहास और वर्तमान संचालन के बारे में 50 लोगों के बैठने की क्षमता वाला संग्रहालय का सम्मेलन हॉल भी है. 
 
सभी तस्वीरें मलिक असगर हाशमी की