खानदानः ‘पटौदी नवाब‘ सैफ अली खान की कंधार में हैं जड़ें

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 06-01-2022
नवाबों का खानदान
नवाबों का खानदान

 

कमलेश  / गुरुग्राम, हरियाणा

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान अमूमन चर्चा में रहते ही हैं. खासकर, उनके बच्चों के नाम को लेकर भी मीडिया में चर्चा गर्माई हुई थी. तैमूर भी सेलिब्रिटी स्टेटस हासिल कर चुका है.  लगभर हर किसी को पता है कि सैफ अली खान नवाब खानदान से ताल्लुक रखते हैं और उनका परिवार भोपाल में रहा करता था.

लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. सैफ अली खान के पिता मशहूर क्रिकेटर नवाब पटौदी थे. तो उनके नाम में पटौदी क्यों लगा?

असल में, हरियाणा के साइबर शहर गुरुग्राम से करीब 25 किलोमीटर दूर एक कस्बा हैः  पटौदी. इसी कस्बे के हैं नवाब पटौदी. हालांकि अब तो नवाबी रही नहीं, पर आज भी लोग उनके सगे-संबंधियों को ‘नवाब पटौदी’ से ही मुखातिब करते हैं.

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नवविवाहित इफ्तिखार अली खान

कंधार से संबंध और रिश्तों का जाल

लोग बताते हैं कि नवाब पटौदी घराने का इतिहास हजार वर्ष पुराना है. इसके अनुसार,अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा के करीब कंधार में एक जगह है बारिंच. वहां से 1480 में सलामत अली खान भारत आए. यहां आने के बाद वह उस इलाके में आकर बस गए जिसको आजकल मेवात कहा जाता है और जो हरियाणा सूबे में है.

सलामत अली खान ने इस्लाम के प्रसार पर काफी ध्यान दिया. धीरे-धीरे उनकी रियासत बढ़ती गई और उनका रजवाड़ा कई सदियों और पीढ़ियों तक कायम रहा. उनके ही वंशज हैं पटौदी के सारे नवाब.

एक अन्य स्रोत बताता है कि 1806 में फैयाज तलब खान पटौदी के पहले नवाब बने. वह 1829 तक नवाब रहे. उनकी शादी 1806 में नजाफत अली खान झज्जर की बहन से हुई. उनकी मृत्यु 1829 में हुई. नवाब फैयाज तलब अली खान के बेटे थे मोहम्मद अकबर अली खान. वह 1829 से 1862 तक नवाब रहे. उनके पांच पुत्र थे मोहम्मद तकी अली खान, इनायत अली खान, सादिक खान,जफर अली खान और मिर्जा असगर अली खान.

बड़े बेटे तकी अली खान ने 1862 से 1867 तक नवाबी की. उनके बेटे थे मुख्तार अली खान. वह 1867 से 1878 तक नवाब रहे. उनकी शादी नवाब नजाफत अली खान झज्जर की पोती से हुई थी. उनके दो लड़के मोहम्मद मुमताज हुसैन अली खान बहादुर और मोहम्मद मुजफ्फर अली खान थे. 

मुमताज हुसैन 1878 से 1898 तक नवाब रहे. बाद में छोटे भाई मोहम्मद मुजफ्फर अली खान 1898 से 1913 तक नवाब रहे. उनके बेटे थे इब्राहिम अली खान. इब्राहिम अली खान ने सन 1913 से 1917 तक नवाबी की. उनकी शादी शाहिर बानो नवाब मिर्जा लाहौर से हुई थी. उनके दो बेटे थे इफ्तिखार अली खान और मोहम्मद शेर अली खान.

शेर अली खान का जन्म पटौदी में हुआ. उनकी पढ़ाई एटीशन चीफ कॉलेज लाहौर और मिलिट्री स्कूल, देहरादून में हुई. शेर अली खान ने पहली बार फर्स्ट बटालियन की पंजाब रेजिमेंट संभाली. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने वॉशिंगटन डीसी कमान के साथ काम किया.

युद्ध में बेहतर काम करने पर उन्हें जनरल के खिताब से नवाजा गया. 1958 में उन्हें पाकिस्तान का उच्चायुक्त बनाकर मलेशिया भेजा दिया. बाद में शेर अली खान पाकिस्तान के दूरसंचार मंत्री भी बने. उन्होंने यह पद 1967 से 1969 तक संभाला.

शेर अली खान की शादी बेगम शिलवत के साथ हुई जो कि मियां गुलाम नुरूद्दीन लाहौर की बेटी थी.

सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान

नवाब मोहम्मद इफ्तिखार थे आखरी नवाब

इसी घराने के नवाब मोहम्मद इफ्तिखार अली खान ने 1917 में नवाब पटौदी की रियासत संभाली. उनका जन्म 17 मार्च, 1910 को पटौदी हाऊस, दिल्ली में हुआ था. सन 1938 में इफ्तिखार अली खान की शादी भोपाल के कर्नल नवाब हमीदुल्ला खान की बेटी बेगम साजिदा सुल्तान से हुई थी. वह 1917 से 1952 तक नवाब रहे. वह पटौदी खानदान के आठवें नवाब थे.

नवाब मोहम्मद इफ्तिखार अली खान ने अपनी पढ़ाई चीफ कॉलेज लाहौर, बैलीयोल कॉलेज से की थी. वह पोलो के उम्दा खिलाड़ी थे और क्रिकेट के में दाहिने हाथ के बल्लेबाज थे. नवाब इफ्तिखार अली खान ने इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच 1932 में खेला. बीमारी के कारण नवाब इफ्तिखार अली खान को क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा था. 

वह पोलो और क्रिकेट के अलावा बिलियर्ड्स भी खेलते थे. उनकी पत्नी बेगम साजिदा सुल्तान ने तीन लड़कियों और एक लड़के को जन्म दिया. सन 1952 में इफ्तिखार अली खान का इंतकाल हो गया.

इफ्तिखार अली के गुजरने के बाद बेटे मंसूर अली खान 1952 से 2011 तक पटौदी के नवाब कहलाए. उनका जन्म 5 जनवरी, 1941 को भोपाल में हुआ था. पिता की क्रिकेट की विरासत नवाब मंसूर अली खान को भी मिली. अपनी प्रतिभा की बदौलत वह भी भारतीय टीम के कप्तान बने. नवाब मंसूर अली खान ने 1962 से 1970 तक भारतीय टीम की कप्तानी संभाली थी. 22 सितंबर, 2011 को मंसूर अली खान दुनिया छोड़ गए.

Mansoor

मंसूर अली खान पटौदी के बचपन की तस्वीर

सैफ के अब्बा थे रवींद्रनाथ टैगोर के दामाद

नवाब मंसूर अली खान की शादी 27दिसंबर, 1968में कोलकाता में रवीन्द्रनाथ टैगोर की पोती सिने तारिका शर्मिला टैगोर से हुई. शादी के बाद उन्होंने इस्लाम कुबूल कर लिया और  इसके बाद उनका नाम आयशा सुल्तान रखा गया.

Tiger family

परिवार के साथ टाइगर पटौदी

नवाब मंसूर अली खान और आयशा सुल्तान (शर्मिला) की दो लड़कियां और एक लड़का हैं. सैफ अली खान उनके बेटे हैं और सोहा अली खान और शब्बा अली खान बेटियां. छोटी सोहा अली खान ने अपनी मां आयशा (शर्मिला टैगोर) की तरह ही अपना कॅरियर फिल्मी दुनिया में चुना. बड़ी बेटी मशहूर जूलरी डिजाईनर है.

 

पटौदी नवाब का जलवा  बरकरार

राजसी शान-ओ-शौकत से सजा पटौदी इब्राहिम पैलेस विदेशी सैलानियों सहित देशी लोगों को अब भी लुभाता है. कभी 50गांवों की छोटी-सी रियासत अब रजवाड़ों के इतिहास के साथ आधुनिक सुविधाओं का तालमेल बिठाने के लिए खास है. दिल्ली-गुरुग्राम से सटा इब्राहिम पैलेस दिल्ली से करीब 65 किलोमीटर दूर है. जबकि दिल्ली-जयपुर हाईवे से मात्र 9किलोमीटर की दूरी है. इसके चलते सैलानियों, फिल्मी हस्तियां सहित कॉरपोरेट मीटिंग के लिए एनसीआर के लोगों की पहली पसंद इब्राहिम पैलेस बना हुआ है.

Iftekhar saif

अपने दादा इफ्तिखार अली खान के साथ छोटे नवाब सैफ अली खान

पटौदी में है राजशाही ठाठ

करीब 200 वर्ष पुरानी रियासत के नवाब और प्रसिद्ध किक्रेटर मंसूर अली खान के दादा इब्राहिम खान के नाम से मुख्य महल का नाम इब्राहिम पैलेस रखा गया है. करीब सौ एकड़ में फैला महल परिसर हरियाली और शांत वातावरण समेटे हुए है. मुख्य महल 5-6एकड़ में बना हुआ है. प्रॉपर्टी के मुख्य गेट से दाखिल होने के बाद करीब आधा किलोमीटर खेत-खलियानों के बीचो-बीच एक सड़क जाती है, जो मुख्य महल के दो बड़े-बड़े दरवाजे पर ले जाकर छोड़ती है.

स्थानीय निवासी प्रेमचंद पालमी गर्व से कहते हैं, ‘‘महल का नक्शा कुछ-कुछ दिल्ली के तीन मूर्ति भवन जैसा है.’’ मुख्य महल के बाएं कमर मंजिल एवं दाएं नफीस मंजिल नामक दो इमारतें हैं. इनके साथ ही लगे हैं बाग-बागीचे.

यहां आए सैलानियों के लिए बैडमिंटन कोर्ट, बिलियर्ड रूम, टेबल टेनिस,स्वीमिंग पूल, आधुनिक मसाज पार्लर सहित बार का भी इंतजाम है. कॉरपोरेट मीटिंग करने के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं.

साजिदा सुल्तान

अब शूटिंग स्पॉट है इब्राहिम पैलेस

दिल्ली से सटे रमणीय स्थल होने के कारण बॉलीवुड के लिए भी इब्राहिम पैलेस पसंदीदा स्थल बना हुआ है. यहां आए दिन फिल्मी और टीवी धारावाहिकों की शूटिंग होती रहती है. कई बड़ी फिल्मों, सिरियल एवं म्युजिक एलबम की शूटिंग यहां हो चुकी है. टीवी सीरियल ‘उसूल’ यहां सबसे पहले शूट हुआ था. जैकी श्राप की बंधन,शाहरुख खान,प्रीति जिंटा और रानी मुखर्जी की वीरजारा,आमिर खान अभिनित द राईजिंग मंगल पांडे,दीपा मेहता की अर्थ,अजय देवगन की ये रास्ते हैं प्यार के,नेहरू और गांधी की भूमिका पर बनी ड़ाक्यूमेंटंरी फिल्म द लास्ट वायसराय,ऑस्कर विजेता जूलिया रॉर्बट्स पर बनी इंग्लिश फिल्म इट प्रे लव जैसी कई बड़ी फिल्मों की यहीं शूटिंग यही हुई है.

लेकिन, सैफ अली खान इसको अब अतीत की झांकी भर मानते हैं. एक संक्षिप्त बातचीत में वह कहते हैं,“अब सब कुछ नाम का नवाब है. मैं भी आप ही जैसा हूं.”