आवाज द वाॅयस/ चंडीगढ़
हरियाणा के दस वे प्रेरक व्यक्तित्व जिन्होंने सामाजिक चुनौतियों, संसाधनों की कमी और व्यक्तिगत कठिनाइयों के बावजूद अपने-अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है। ये वे लोग हैं जिन्होंने न केवल अपनी सोच को बदला, बल्कि अपने समाज में उम्मीद का दीप जलाया। हमारा उद्देश्य उन आवाज़ों को सामने लाना है जो अधिकांशतः अविकसित क्षेत्रों से आती हैं और जो निःस्वार्थ भाव से लोक कल्याण के लिए समर्पित हैं।
हाजी इब्राहिम खान: मेवात के जल प्रहरी
मेवात के हाजी इब्राहिम खान तीन दशकों से भी अधिक समय से जल संरक्षण को अपना जीवन मिशन बना चुके हैं। अरावली जल बिरादरी के अध्यक्ष के रूप में वह ईमानदारी से दायित्व निभा रहे हैं। बचपन में पानी की विकट कमी देखने के कारण उनके भीतर जल-संरक्षण का बीज अंकुरित हुआ।
'वॉटरमैन' राजेंद्र सिंह से प्रेरित होकर उन्होंने सबसे पहले घट्टा शमशाबाद के पास दो पहाड़ियों के बीच बाँध बनवाया, जिसने ग्रामीणों की पीने के पानी की समस्या लगभग समाप्त कर दी।
इसके बाद तरुण भारत संघ के सहयोग से उन्होंने पट खोरी, फिरोजपुर झिरका, मेवली, गियासनियन बास सहित कई क्षेत्रों में जोहड़ बनवाए—यहाँ तक कि पहाड़ियों की चोटियों पर जंगली जीवों के लिए भी जल स्रोत विकसित किए। आज वह मेवात में जल संरक्षण आंदोलन के आधारस्तंभ माने जाते हैं।
परवेज़ खान: छोटे गाँव से अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स तक
मेवात के परवेज़ खान ने साबित किया कि सपने सीमित संसाधनों पर नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छा शक्ति पर निर्भर करते हैं। एक छोटे से गाँव से निकलकर वह अमेरिका पहुँचे और 2024 में लुइसियाना में आयोजित एसईसी आउटडोर ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में 1500 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
उन्होंने यह दूरी 3 मिनट 42.73 सेकंड में तय की, जबकि उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 3 मिनट 38.76 सेकंड है। 800 मीटर में भी उन्होंने तीसरा स्थान प्राप्त किया। परवेज़ मेवात के युवाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन चुके हैं।
मुमताज खान: सामाजिक परिवर्तन की दृढ़ आवाज़
नूंह जिले के चाँदनी गाँव की मुमताज खान आज मेवात की आवाज़ मानी जाती हैं। सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी और मीडिया के माध्यम से क्षेत्र की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने के कारण वह चर्चित हुईं।
चंदैनी गाँव में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की पहलें उनकी वजह से नई दिशा प्राप्त कर रही हैं।
बचपन से ही मंचों पर मेवात की बात रखने वाली मुमताज किसान मुआवज़ा, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी सामाजिक चुनौतियों पर जोरदार अभियान चलाती रही हैं। वह मेवात की मुखर और प्रतिबद्ध युवा नेतृत्व की तस्वीर पेश करती हैं।
डॉ. सिद्दीक अहमद मेव: मेवात के इतिहास के प्रहरी और सशक्त लेखक
हरियाणा के प्रसिद्ध लेखक, शोधकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सिद्दीक अहमद मेव ने मेवात के इतिहास, संस्कृति और लोककथाओं को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उनका पहला लेख 1991 में ‘हरियाणा संवाद’ में प्रकाशित हुआ था। 1997 में उनकी पहली पुस्तक ‘मेवात: ए क्वेस्ट’ आई, जिसके बाद 1999 में ‘मेवाती संस्कृति’ प्रकाशित हुई।
2025 तक उनकी बारह किताबें मेवात के इतिहास, संस्कृति और मौखिक परंपराओं पर प्रकाशित हो चुकी हैं। तीन कविता संग्रह बाज़ार में आ चुके हैं और दो प्रकाशनाधीन हैं। लगभग 200 कविताएँ विभिन्न संकलनों में प्रकाशित होकर उन्हें साहित्यिक जगत में विशिष्ट पहचान दिलाती हैं।
मोहम्मद रफीक चौहान: न्याय और सामाजिक सेवा का संगम
करनाल के अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद रफीक चौहान ‘हरियाणा मुस्लिम खिदमत सभा’ के संस्थापक हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और महिला अधिकारों के लिए काम करती है।
महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के प्रति उनका समर्पण इतना गहरा है कि आर्थिक रूप से कमजोर पीड़िताओं के केस वे नि:शुल्क लड़ते हैं—यहाँ तक कि स्टेशनरी का खर्च भी स्वयं वहन करते हैं। उनकी यह संवेदनशीलता उन्हें समाजसेवा के अग्रदूतों में शामिल करती है।
रुखसाना: सीमाओं को तोड़ती सफलता
नूंह के सुनारी गाँव की रुखसाना का सफर दृढ़ता का अद्भुत उदाहरण है। दो बार हरियाणा और उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
अंततः उन्होंने पश्चिम बंगाल न्यायिक सेवा में तीसरा स्थान प्राप्त कर समाज में मिसाल कायम की। आज वह गुरुग्राम में मजिस्ट्रेट हैं और उनकी सफलता उन लड़कियों को संदेश देती है जो सोचती हैं कि उनकी दुनिया घर की चारदीवारी तक सीमित है।
रफीक अहमद: करनाल के पहले मुस्लिम स्नातक और समर्पित समाजसेवी
इंद्री, करनाल के रफीक अहमद स्वतंत्र करनाल के पहले मुस्लिम स्नातक होने का गौरव रखते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन मस्जिदों और ईदगाहों के निर्माण व जीर्णोद्धार के लिए समर्पित कर दिया।
1960–1962 के बीच उनके प्रयासों से कई धार्मिक स्थलों का निर्माण हुआ। उनका मानना है कि इस्लाम की सच्ची भावना को समझना और फैलाना समाज की सबसे बड़ी सेवा है।
राजेश खान मच्छर्री: सामाजिक न्याय का प्रहरी
सोनीपत के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश खान मच्छर्री 2006 से ‘कब्रिस्तान इंतज़ामिया संघर्ष समिति’ के अध्यक्ष हैं।
उनकी देखरेख में समिति कब्रिस्तानों की सुरक्षा, पानी–बिजली की व्यवस्था, अतिक्रमण हटाने और चारदीवारी निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कार्य करती है।
लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराना भी समिति की प्रमुख जिम्मेदारी है। उनकी सेवाएँ सामाजिक न्याय और मानवता की मिशाल पेश करती हैं।
असलम खान: पीड़ा से जन्मी सेवा
गुरुग्राम के असलम खान ने अपनी कैंसर पीड़ित माँ का इलाज कराते हुए देखा कि पैसे के अभाव में कई मरीज तड़पते रह जाते हैं।
यहीं से 'हरियाणा अंजुमन चैरिटेबल ट्रस्ट' का बीज अंकुरित हुआ। 2003 में पंजीकृत यह संस्था गरीबों, अनाथों और जरूरतमंदों को चिकित्सा, भोजन और शिक्षा जैसी बुनियादी सहायता प्रदान कर रही है। आज असलम खान मानवता की मिसाल बन चुके हैं।
होशियार खान: सामुदायिक अधिकारों की मुखर आवाज़
हिसार के होशियार खान ‘मुस्लिम वेलफेयर कमेटी’ के अध्यक्ष हैं। वह समुदाय के अधिकारों, बुनियादी सुविधाओं और आरक्षण से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाते हैं। हिसार में मस्जिदों की कमी के कारण ईद की नमाज़ क्रांतिमान पार्क में होती है, और इसका संपूर्ण खर्च समिति वहन करती है। उनकी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें समुदाय का भरोसेमंद चेहरा बनाया है।
ये सभी दस परिवर्तनकर्ता न केवल अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं, बल्कि हरियाणा—विशेषकर मेवात—की नई पहचान गढ़ रहे हैं। इनकी कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि इच्छाशक्ति, संकल्प और संवेदनशीलता हो तो बदलाव अवश्य संभव है।