गुलाम फारुक, गीति हकीम और हैदर की तिकड़ी ने गढ़ी इंसाफ और इंसानियत की नई तस्वीर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 06-09-2025
Ambassadors of Change: Golam Farooq, Geeti Hakim and Haider
Ambassadors of Change: Golam Farooq, Geeti Hakim and Haider

 

 
कोलकाता के दिल में, जहां भीड़भाड़ और सामाजिक विषमताएँ अक्सर आम नागरिक की ज़िंदगी को घेर लेती हैं, तीन लोग चुपचाप एक नई तस्वीर गढ़ रहे हैं. गुलाम फारुक, उनकी साथी गीति हकीम और उनके सहयोगी हैदर यह साबित कर रहे हैं कि जब इच्छा और नीयत सच्ची हो तो बदलाव सिर्फ़ सपना नहीं बल्कि वास्तविकता बन सकता है. इनकी पहलें केवल राहत देने तक सीमित नहीं हैं; वे हाशिए पर खड़े लोगों को आवाज़ और समाज को नई सोच देने का काम कर रही हैं.आवाज द वाॅयस के चेंज मेकर्स सीरिज के लिए कोलकाता से इस तिकड़ी पर विस्तृत रिपोर्ट की है हमारे सहयोगी देबकिशोर चक्रवर्ती ने . 

एक विचार से आंदोलन तक

गुलाम फारुक का सफ़र सामाजिक सेवा की गहरी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता से शुरू हुआ. कठिनाइयों और बाधाओं के बीच उन्होंने कभी हिम्मत नहीं छोड़ी. उनकी दृष्टि थी “सच्ची नीयत और मजबूत इच्छाशक्ति से समाज बदला जा सकता है.” इसी सोच से उन्होंने Rights for All की नींव रखी. यह संगठन किसी पारंपरिक चैरिटी की तरह नहीं बल्कि एक आंदोलन के रूप में विकसित हुआ, जो न्याय, गरिमा और समानता को हर व्यक्ति तक पहुँचाने का संकल्प लिए हुए है.
 
 
इस यात्रा में गीति हकीम सिर्फ़ सहयात्री नहीं बल्कि नेतृत्वकारी शक्ति हैं. स्टेट प्रेसिडेंट के रूप में उनकी भूमिका गुलाम फारुक की दिशा को ताक़त देती है. वे महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और सामुदायिक जागरूकता को संगठन के केंद्र में लाती हैं. वहीं हैदर इस टीम में मैदान-स्तर पर गतिविधियों के समन्वयक हैं. उनके प्रयासों ने संगठन की मुहिमों को जमीनी स्तर पर गहराई दी है.
 
कोविड-19 के संकट में नई दिशा

2023 में जब कोविड-19 महामारी ने पश्चिम बंगाल को ठहराव में डाल दिया, लाखों लोग बेरोज़गार हुए और समाज में असुरक्षा बढ़ी. इस कठिन घड़ी में Rights for All ने नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया. गुलाम फारुक कहते हैं, “हमारा लक्ष्य हर व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखना और वंचितों की आवाज़ को बढ़ाना है.
 
 
लॉकडाउन के दौरान इस संगठन ने रोज़ाना 500 से ज़्यादा ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुँचाया। यह राहत सिर्फ़ खाने तक सीमित नहीं थी; यह एक संदेश भी था कि समाज सबसे कठिन समय में भी करुणा से एकजुट हो सकता है.
 
विस्तृत और प्रभावशाली पहलें

आज Rights for All मानवाधिकार, शांति निर्माण, महिला सशक्तिकरण, बाल अधिकार, पुरुष अधिकार, ट्रांसजेंडर अधिकार, वरिष्ठ नागरिक कल्याण, विकलांगता अधिकार, मज़दूर अधिकार, उपभोक्ता संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य और पारिवारिक कल्याण, समुदाय विकास, पशु कल्याण और पर्यावरण संरक्षण जैसे लगभग हर प्रमुख क्षेत्र में काम कर रहा है. हर विभाग को विशेषज्ञ पेशेवर संभालते हैं ताकि हर पहल ईमानदारी और प्रभाव के उच्च मानक पर खरी उतरे.
 
 
प्रमुख अभियान और उनकी कहानियाँ

क्लीन कोलकाता ड्राइव: 
यह अभियान शहर को कचरा-मुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है. ईस्टर्न रेलवे के सहयोग से कोलकाता रेलवे स्टेशन पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों और पद्मभूषण उषा उत्थुप ने भाग लिया. आम यात्रियों को स्वच्छता और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी पर जानकारी बाँटी गई।
 
एंटी-ड्रग कैंपेन:
नशामुक्ति Rights for All के एजेंडे में सबसे ऊपर है. कोलकाता पुलिस के साउथ डिविज़न के साथ मिलकर संगठन हर साल अंतरराष्ट्रीय एंटी-ड्रग डे पर कार्यक्रम आयोजित करता है. इन आयोजनों में राजनेता, अभिनेता, खेल संगठक और नामी स्कूलों के छात्र तक शामिल होते हैं। यह दिखाता है कि जब समुदाय साथ आता है तो संदेश गहराई से असर करता है.
 
प्लास्टिक-फ़्री कैम्पेन:
दक्षिण कोलकाता के चेतला क्षेत्र में एनसीसी कैडेट्स और कोलकाता नगर निगम के सहयोग से संगठन ने प्लास्टिक-मुक्ति अभियान चलाया. इसने नागरिकों को टिकाऊ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की संस्कृति को मज़बूत किया.
 
योगा कैम्प्स:
समाज और पर्यावरण के साथ-साथ Rights for All मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देता है. इंडियन म्यूज़ियम के साथ मिलकर संगठन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर योग शिविर आयोजित करता है, जिसमें नागरिकों को स्वास्थ्य और संतुलन के महत्व की याद दिलाई जाती है.
 
स्ट्रीट टू म्यूज़ियम ड्राइव:
शिक्षा और exposure संगठन के मुख्य स्तंभ हैं. इस पहल के तहत वंचित बच्चों को भारतीय संग्रहालय की शैक्षिक सैर कराई जाती है और उन्हें इतिहास और विज्ञान के इंटरैक्टिव सत्रों में शामिल किया जाता है.
 
महिला सशक्तिकरण: गीति हकीम की प्राथमिकता

Rights for All की केंद्रीय प्राथमिकता महिलाओं के अधिकार हैं। गीति हकीम बताती हैं, “हम खासकर मुस्लिम समुदायों में महिलाओं को उनके अधिकार समझाने और उन्हें आत्मविश्वास से assert करने में मदद करते हैं।” उनके प्रयासों से महिलाएँ न सिर्फ़ जागरूक हुई हैं बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार भी बनी हैं.
 
हैदर – जमीनी कड़ी

जहाँ गुलाम फारुक और गीति हकीम रणनीति और नेतृत्व संभालते हैं, वहीं हैदर संगठन की गतिविधियों को जमीनी स्तर पर लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. वे अभियानों का समन्वय करते हैं, स्थानीय समुदायों से संवाद स्थापित करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि संगठन की योजनाएँ प्रभावी ढंग से पूरी हों. उनकी उपस्थिति Rights for All को एक ऐसा नेटवर्क देती है जो न केवल शहर बल्कि राज्य भर में फैला है.
 
 
करुणा से क्रिया तक

गुलाम फारुक, गीति हकीम और हैदर की तिकड़ी ने यह साबित किया है कि समाज-सेवा का असली अर्थ केवल दान या राहत नहीं बल्कि सशक्तिकरण है. वे लोगों को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाते हैं, उन्हें उनकी आवाज़ दिलाते हैं और न्याय तथा समानता की लड़ाई में साथ खड़े होते हैं.
 
Rights for All आज कोलकाता में न्याय, समावेशन और मानवीय गरिमा का प्रतीक है. यह संगठन दिखाता है कि जब करुणा को कार्य में बदला जाए तो सामाजिक परिवर्तन संभव है. इन तीनों चेंजमेकरों की कहानी दूसरों के लिए प्रेरणा है कि बदलाव के लिए किसी बड़े मंच की नहीं, बल्कि ईमानदार नीयत और ठोस पहल की ज़रूरत होती है.