म्यूचुअल फंड निवेश में SIP की भूमिका समझना

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 03-12-2025
Understanding the role of SIP in mutual fund investing
Understanding the role of SIP in mutual fund investing

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली

 
म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत अक्सर नए निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण लग सकती है, खासकर तब जब वे एक साथ बड़ी राशि निवेश नहीं करना चाहते। ऐसे में SIP यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान एक सुविधाजनक और व्यावहारिक विकल्प बनकर सामने आता है। SIP के माध्यम से निवेशक नियमित अंतराल पर छोटी-छोटी धनराशि निवेश करते हुए धीरे-धीरे बाजार से जुड़ सकते हैं। यह न केवल निवेश को सरल बनाता है, बल्कि वित्तीय अनुशासन भी विकसित करता है।
 
SIP का मूल सिद्धांत यह है कि निवेशक अपनी सुविधा के अनुसार मासिक या तिमाही आधार पर एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में जमा करते हैं। समय के साथ यह नियमित निवेश बाजार के उतार-चढ़ाव को संतुलित करते हुए पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करता है। क्योंकि निवेश अलग-अलग समय पर होता है, इसलिए यह जोखिमों का औसत निकालने में मदद करता है और निवेशकों को मार्केट टाइमिंग के तनाव से दूर रखता है।
 
नए निवेशकों के लिए SIP इसलिए लाभकारी माना जाता है क्योंकि यह अनुशासित निवेश की आदत विकसित करता है। उदाहरण के तौर पर, हर महीने सिर्फ 1,000 रुपये का निवेश भी लंबे समय में बड़ी राशि का रूप ले सकता है। धीरे-धीरे बढ़ती यह रकम न केवल बचत की आदत मजबूत करती है, बल्कि वित्तीय लक्ष्यों की ओर निरंतर प्रगति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
 
SIP का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसकी लचीलापन है। निवेशक अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार योगदान राशि को बढ़ा या घटा सकते हैं। जब आय बढ़ती है, तो SIP राशि बढ़ाकर लंबे समय के लक्ष्यों—जैसे घर खरीदना, बच्चों की शिक्षा, या रिटायरमेंट—को तेजी से हासिल किया जा सकता है।