नई दिल्ली. सरकार टेस्ला को अन्य छूट देने के साथ-साथ आयात शुल्क घटाने पर विचार कर सकती है, लेकिन इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी को देश में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने में निवेश करना होगा.
टेस्ला ने पहले केंद्र से इलेक्ट्रिक वाहनों में आयात शुल्क कम करने का आग्रह किया था. यह भारत में अपनी असेंबली और मैन्युफैक्च रिंग को देखने से पहले अपने लेटेस्ट इलेक्ट्रिक वाहनों को पूरी तरह से निर्मित इकाई के रूप में लाना चाहता है.
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि अगर सरकार देश में अपनी कारों का निर्माण करने का फैसला करती है. और संयंत्र लगाने में निवेश करने का फैसला करती है, तो सरकार अनुरोध पर विचार करेगी.
हालांकि, अधिकारी ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले पर कोई भी फैसला या छूट बढ़ाने का फैसला पूरे क्षेत्र पर लागू होगा, न कि केवल एक कंपनी विशेष पर.
कुछ अन्य राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार ने पहले ही देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं.
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर कर लाभ भी लेते आई है.
मस्क ने हाल ही में कहा था कि, उनकी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनी भारत में कारों को लॉन्च करना चाहती है. लेकिन ईवी पर देश का आयात शुल्क दुनिया में अब तक का सबसे अधिक है. किसी भी बड़े देश की तुलना में आयात शुल्क दुनिया में सबसे अधिक है.
मौजूदा समय में भारत 40,000 डॉलर से कम कीमत वाली आयातित कारों पर 60फीसदी और इससे अधिक कीमत वाली कारों पर 100 फीसदी शुल्क लगाता है. यह पूरी तरह से निर्मित इकाई आयातित कारों को कई विदेशी बाजारों की तुलना में दोगुना महंगा बनाता है.
आपको बता दें कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार नें, ऐसे वाहनों पर जीएसटी को 12प्रतिशत से घटाकर 5प्रतिशत कर दिया गया है. इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जरध्चार्जिंग स्टेशनों पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
इसके अलावा, सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर राज्यों को इलेक्ट्रिक वाहनों पर रोड टैक्स माफ करने की सलाह दी है. जो बदले में इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरूआती लागत को कम करने में मदद करेगा.