Mustard oil and oilseeds prices declined due to deteriorating general market sentiment and selling by stockists.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
स्टॉकिस्टों की बिकवाली के बीच स्थानीय बाजार में मंगलवार को सरसों तेल तिलहन कीमतों में गिरावट आई। आम तौर पर कारोबारी धारणा प्रभावित रहने तथा संभावित धन की कमी के बीच मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली.
किसानों की ओर से, कम दाम पर बिकवाली से बचने की मानसिकता के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर टिके रहे.
दोपहर 3.30 बजे शिकागो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट का रुख था.
बाजार सूत्रों ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में निरंतर गिरावट के बीच आयातित तेल खरीद मंहगा बैठने के कारण आम तौर पर कारोबारी धारणा प्रभावित हुई है. दूसरा, आयातक सीपीओ का आयात कर स्थानीय स्तर पर पामोलीन तेल बना रहे हैं, उसे प्रसंस्करण की लागत से लगभग चार प्रतिशत नीचे दाम पर बेच रहे. हैं।
यह उन समीक्षकों के लिए प्रश्न पैदा करता है कि सरकार की ओर से पाम-पामोलीन के आयात शुल्क अंतर बढ़ाने के बावजूद घरेलू स्तर पर निर्मित पामोलीन को लागत से नीचे दाम पर क्यों बेचा जा रहा है?
सूत्रों ने कहा कि कारोबारी धारणा आम तौर पर बिगड़ा होने के साथ साथ स्टॉकिस्टों की बिकवाली से सरसों तेल-तिलहन में गिरावट है. बीच में तेजड़ियों की ओर से सरसों में तेजी लाने के प्रयास किये जा रहे थे लेकिन स्टॉकिस्टों की बिकवाली से तेजी लाने के प्रयासों पर विराम लग गया.
उन्होंने कहा कि आम तौर पर घाटे का कारोबार कर-कर के आयातकों की हालत पतली हो गयी है और उनमें अपने सौदे को रोककर सही दाम मिलने तक इंतजार करने का हौसला नहीं बचा है. ऐसी हालत में वे आनन-फानन में कमजोर दाम पर बिकवाली कर बैठते हैं। लेकिन यह घाटे का कारोबार अंतत: बैंकों यानी आम जनता के धन पर असर डालेगा.