नई दिल्ली
भारतीय चमड़ा निर्यातकों को उस समय गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा जब अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर भारी शुल्क लगा दिए, जिससे इस 80 प्रतिशत निर्यात-आधारित उद्योग को जबरदस्त झटका लगा है।
निर्यातकों ने भारी आर्थिक नुकसान, ऑर्डर रद्द होने और व्यापार के बांग्लादेश, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों की ओर मुड़ने की आशंका जताई है।
चमड़ा निर्यातक उमाकांत दुबे ने कहा कि यह उद्योग पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर निर्भर है और अब भारत को मिलने वाले बड़े ऑर्डर प्रतिद्वंद्वी देशों को मिल सकते हैं।
उन्होंने कहा“इससे चमड़ा उद्योग को भारी नुकसान होगा। हम अब अपने उत्पादों का निर्यात नहीं कर पाएंगे। भारत में केवल 20 प्रतिशत खपत है, बाकी व्यापार पूरी तरह से निर्यात आधारित है। अब ऑर्डर भारत के बजाय बांग्लादेश, वियतनाम और पाकिस्तान को दिए जाएंगे.” ,
एक अन्य निर्यातक मोहम्मद शमीम आज़ाद ने कहा कि नए शुल्कों के कारण लागत बढ़ेगी, जिससे पहले से मिले ऑर्डर भी रद्द हो सकते हैं, और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।उन्होंने कहा,“इसका देश के चमड़ा उद्योग पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा... जिन व्यापारियों को अग्रिम ऑर्डर मिले थे, वे अब नुकसान में रहेंगे। क्योंकि लागत बढ़ने के कारण ग्राहक अब वह ऑर्डर नहीं लेंगे जो बनकर तैयार हैं... यह सिर्फ चमड़ा उद्योग ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए बड़ी क्षति है,”
बुधवार को व्हाइट हाउस ने एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) जारी कर भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की, जिससे कुल शुल्क दर 50 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
अमेरिकी प्रशासन ने इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल के आयात को जारी रखना, चाहे सीधे हो या बिचौलियों के माध्यम से, अमेरिका के लिए एक "असामान्य और असाधारण खतरा" है, जो आपातकालीन आर्थिक उपायों को उचित ठहराता है।
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि जब तक यह शुल्क विवाद हल नहीं होता, तब तक भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी।
जब ANI ने ओवल ऑफिस में उनसे पूछा कि क्या नई 50% शुल्क दर के बावजूद भारत से वार्ता फिर शुरू हो सकती है, तो ट्रंप ने दो टूक जवाब दिया:“नहीं, जब तक यह मुद्दा सुलझता नहीं है, तब तक कोई बातचीत नहीं होगी।”