वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतें ऐतिहासिक ऊंचाई पर, पहली बार 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-10-2025
Gold prices in global markets hit historic highs, crossing 4,000 an ounce for the first time.
Gold prices in global markets hit historic highs, crossing 4,000 an ounce for the first time.

 

नई दिल्ली

दुनिया भर में बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताओं ने निवेशकों को एक बार फिर ‘सुरक्षित निवेश’ यानी सोना खरीदने की ओर मोड़ दिया है। नतीजतन, इतिहास में पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 4,000 डॉलर प्रति औंस से ऊपर पहुंच गई है।

यह उछाल 1970 के दशक के बाद से अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि मानी जा रही है। खासतौर पर अप्रैल के बाद से सोने की कीमतों में लगभग एक-तिहाई की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस तेजी की एक अहम वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए टैरिफ हैं, जिन्होंने वैश्विक व्यापार में भारी अस्थिरता पैदा की।

अमेरिका में सरकारी बंदी और निवेशकों की चिंता

अमेरिका में जारी सरकारी शटडाउन, जो अब दूसरे सप्ताह में पहुंच चुका है, ने आर्थिक आंकड़ों के प्रकाशन में देरी की है। इससे बाजार में अनिश्चितता और बढ़ गई है और निवेशकों का रुझान सोने की ओर गया है।

 सोना क्यों बना सुरक्षित विकल्प?

विश्व स्तर पर सोने को हमेशा से एक सुरक्षित और स्थिर निवेश माना गया है, विशेषकर तब जब आर्थिक या राजनीतिक संकट गहराता है। यही कारण है कि जब बाकी परिसंपत्तियां अस्थिर होती हैं, तब सोना स्थिरता प्रदान करता है।

 एआई तकनीकी कंपनियों को लेकर चेतावनी

इस बीच, ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड (BOE) ने चेतावनी दी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीकी कंपनियों का बाजार मूल्य अत्यधिक बढ़ गया है, जिससे वित्तीय बाजारों में गंभीर 'सुधार' (Correction) का खतरा पैदा हो सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन में AI और टेक कंपनियों के शेयरों ने रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छू लिया है।

हालांकि बाजार में 10% या उससे अधिक की गिरावट को आम तौर पर ‘करेक्शन’ माना जाता है।

 एशियाई बाजार में रिकॉर्ड स्तर

बुधवार को एशियाई बाजारों में सोने की हाजिर कीमत 4,036 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई। इससे एक दिन पहले वायदा भाव भी इसी स्तर तक पहुंच चुके थे।

सिंगापुर स्थित OCBC बैंक के ब्याज दर रणनीतिकार क्रिस्टोफर वोंग ने बताया कि अमेरिकी सरकार के बंद होने से सोने की कीमतों में तेजी आई है। उन्होंने याद दिलाया कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में जब सरकार एक महीने तक बंद रही थी, तब भी सोने की कीमतों में करीब 4% की बढ़ोतरी हुई थी। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि शटडाउन जल्द समाप्त हो जाता है, तो कीमतों में गिरावट भी आ सकती है।

UOB बैंक, सिंगापुर के बाजार रणनीति प्रमुख हेंग कुन हाउ का कहना है,
"सोने में यह तेज़ी विश्लेषकों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक है। अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी भी इस तेजी का कारण है।"

 केंद्रीय बैंकों की भूमिका

विश्लेषकों के अनुसार, सोने की दीर्घकालिक कीमतों में वृद्धि की प्रमुख वजह केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही बड़ी मात्रा में सोने की खरीद है। वे अमेरिकी ट्रेजरी और डॉलर पर अपनी निर्भरता घटाने के प्रयास कर रहे हैं।

  • 2022 से अब तक हर साल वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने 1,000 टन से अधिक सोना खरीदा है।

  • इसके पहले, 2010 से 2021 के बीच औसतन यह आंकड़ा 481 टन था।

  • 2024 में सबसे बड़े खरीदारों में पोलैंड, तुर्की, भारत, अज़रबैजान और चीन शामिल रहे हैं।

 ईटीएफ के जरिए निवेश बढ़ा

बहुत से निवेशक सीधे सोना नहीं खरीदते, बल्कि स्वर्ण-आधारित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) के माध्यम से निवेश करते हैं। विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, इस साल अब तक 64 अरब डॉलर का निवेश ETF में हुआ है — जो कि रिकॉर्ड स्तर है।

सिल्वर बुलियन के संस्थापक ग्रेगर ग्रेगर्सन के मुताबिक,
"पिछले एक साल में हमारे ग्राहकों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। मौजूदा आर्थिक माहौल को देखते हुए, अगले पांच वर्षों तक सोने की कीमतें और बढ़ने की संभावना है।"

स्रोत: बीबीसी