कैबिनेट ने चार राज्यों में 24,634 करोड़ की रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को दी मंज़ूरी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 07-10-2025
Cabinet approves railway multitracking projects worth 24,634 crore in four states
Cabinet approves railway multitracking projects worth 24,634 crore in four states

 

नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने मंगलवार को एक अहम निर्णय लेते हुए महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में चार प्रमुख रेलवे मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। इन परियोजनाओं पर कुल ₹24,634 करोड़ की लागत आएगी और इसके तहत भारतीय रेलवे का नेटवर्क लगभग 894 किलोमीटर तक विस्तार करेगा। सभी परियोजनाएं वर्ष 2030-31 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।

मंज़ूर की गई परियोजनाओं में महाराष्ट्र में वर्धा से भुसावल के बीच तीसरी और चौथी रेल लाइन (314 किमी), महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ के बीच गोंदिया-डोंगरगढ़ सेक्शन में चौथी लाइन (84 किमी), गुजरात और मध्य प्रदेश के वडोदरा-रतलाम सेक्शन में तीसरी और चौथी लाइन (259 किमी), और मध्य प्रदेश के इटारसी-भोपाल-बीना सेक्शन में चौथी लाइन (237 किमी) का निर्माण शामिल है।

इन चार परियोजनाओं से कुल 18 जिलों और लगभग 3,633 गांवों को बेहतर रेल संपर्क मिलेगा, जिनकी संयुक्त आबादी 85.84 लाख से अधिक है। इनमें दो आकांक्षी जिले—मध्य प्रदेश का विदिशा और छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव भी शामिल हैं। यह परियोजनाएं रेलवे लाइन की क्षमता बढ़ाने, भीड़-भाड़ कम करने और संचालन की दक्षता सुधारने में मदद करेंगी।

यह निर्णय प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत लिया गया है, जो मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इन परियोजनाओं से यात्रियों और मालवाहन दोनों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। साथ ही ये लाइनें कई प्रमुख सांस्कृतिक और पर्यटक स्थलों जैसे संजी, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, भीमबेटका शैलाश्रय, हजारा जलप्रपात और नवागांव नेशनल पार्क को भी बेहतर ढंग से जोड़ेंगी।

इन रूट्स पर कोयला, सीमेंट, कंटेनर, फ्लाई ऐश, खाद्यान्न और स्टील जैसी जरूरी वस्तुओं की ढुलाई होती है। परियोजनाओं के पूरा होने पर इन रूट्स से सालाना 78 मिलियन टन अतिरिक्त माल की आवाजाही संभव हो सकेगी। इसके अलावा, यह विस्तार रेलवे को एक हरित और ऊर्जा कुशल परिवहन साधन के रूप में मजबूत करेगा। इससे करीब 28 करोड़ लीटर तेल की बचत होगी और 139 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, जो लगभग छह करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

कुल मिलाकर, ये परियोजनाएं न सिर्फ रेलवे बुनियादी ढांचे को मजबूती देंगी, बल्कि देश के आर्थिक विकास, पर्यावरणीय संरक्षण और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह कदम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।