सस्ते ईरानी सेब से कश्मीर के फल उत्पादक पस्त

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 04-05-2022
सस्ते ईरानी सेब से कश्मीर के फल उत्पादक पस्त,कश्मीरी एक्सपोर्टर फाइल फाइल फोटो
सस्ते ईरानी सेब से कश्मीर के फल उत्पादक पस्त,कश्मीरी एक्सपोर्टर फाइल फाइल फोटो

 

गुलाम कादिर / नई दिल्ली /श्रीनगर 
 
सस्ते ईरानी सेबों ने भारतीय बाजारों में घुसपैठ कर कश्मीरी किसानों को हाशिये पर धकेल दिया है.एक डेटा से पता चलता है कि ईरान ने अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक 1.82 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के 1947.19 टन सेब का निर्यात किया.

पिछले साल, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के किसानों ने अवैध ईरानी आयात के खिलाफ लड़ने के लिए एक संयुक्त समूह बनाया था.शुल्क से बचने के लिए ईरानी सेब की सस्ती किस्मों को अफगान उपज के रूप में बेचा जा रहा है.
 
चूंकि भारत का काबुल के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता है, ईरानी व्यापारी आयात शुल्क से बचने के लिए सेब को अफगान उत्पाद के रूप में छिपाते हैं. ईरानी सेब वाघा से भेजे जाते हैं और 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचे जा रहे हैं.
 
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पिछले साल, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के किसानों ने ‘ईरानी सेब की अवैध बिक्री‘ को रोकने के लिए कृषि मंत्रालय को पत्र लिखा था.अध्यक्ष, कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स कम  डीलर्स 
 
एसोसिएशन बशीर अहमद बशीर ने उम्मीद जताई कि केंद्र घरेलू बागवानी उद्योग को बचाने के लिए ‘ईरानी सेब के अवैध आयात‘ पर प्रतिबंध लगाएगा.
 
उन्होंने कहा, “हमने पिछले साल प्रशासन के साथ इस मुद्दे को उठाया था. सरकार को आयात पर प्रतिबंध लगाने के उपाय करने चाहिए. हमारा कटाई का मौसम इस महीने चेरी के साथ शुरू हो सकता है. हमें उम्मीद है कि केंद्र बागवानी उद्योग को बचाने के लिए कदम उठाएगा.‘
 
 बशीर ने कहा कि बड़ी मात्रा में सेब अभी भी ठंडे बस्ते में पड़े हैं. ईरानी फलों का निरंतर प्रवाह बाजार को प्रभावित कर रहा है.उन्होंने कहा,‘‘ईरानी सेब का आयात अभी भी जारी है. हमारे पास अभी भी बड़ी मात्रा में सेब कोल्ड स्टोरेज में हैं,
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जिन्हें आने वाले हफ्तों में मंडियों में पहुंचाया जाएगा. अगर सरकार ईरानी सेब के अवैध आयात पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तो किसानों को फिर से नुकसान हो सकता है.
 
 बशीर ने आरोप लगाया कि कई डीलरों ने ईरानी सेब को मुंबई और चेन्नई के बंदरगाहों पर डंप किया है, ताकि वे मंडियों में कम दरों पर बेच सकें.बता दें कि बागबानी कश्मीर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है, जिसमें सात लाख परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र से जुड़े हैं. जम्मू और कश्मीर के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में बागवानी का योगदान आठ प्रतिशत है.
 
घाटी में 3.38 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फलों की खेती होती है. जिसमें से 1.62 लाख हेक्टेयर में सेब की खेती होती है.हर साल, लगभग 1.5 से 2 लाख मीट्रिक टन सेब को ऑफ-सीजन के दौरान, विशेष रूप से मार्च, अप्रैल और मई में, जब उनकी कीमतें बढ़ती हैं, समृद्ध लाभांश प्राप्त करने के लिए पूरे कश्मीर में कोल्ड स्टोर में संग्रहीत किया जाता है.
 
इनपुटः फिरदौस हसन