आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
केअर स्टार्मर द्वारा 26 सितंबर को घोषित ब्रिटेन की नयी डिजिटल पहचान पत्र योजना के इर्द-गिर्द दो बड़े सवाल घूम रहे हैं। क्या यह अवैध आव्रजन का समाधान है? और क्या यह सरकार को लोगों पर नजर रखने की बहुत ज्यादा शक्ति दे देगी?
ये सवाल कुछ समय तक चर्चा और बहस का विषय बने रहेंगे। एक याचिका दायर की गई है और नागरिक स्वतंत्रता समूह और राजनेता पहले ही इस योजना के महत्व पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन हकीकत क्या है?
डिजिटल पहचान पत्र क्या है?
एनएचएस (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) ऐप और अन्य मौजूदा डिजिटल कार्डों की तरह, नयी योजना पहचान का एक सार्वभौमिक रूप तैयार करेगी जो मोबाइल फोन पर संग्रहीत होगी। सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करते समय, आईडी (पहचान पत्र) का इस्तेमाल उसी तरह किया जा सकता है जैसे पूरे यूरोप में इसी तरह की योजनाओं का उपयोग किया जाता है, जिससे प्रक्रिया अधिक दक्ष होने का वादा करती है। एस्टोनिया 2002 से डिजिटल पहचान प्रणाली का संचालन कर रहा है।
इससे जुड़ी बहस में जिस बात को नजरअंदाज किया जा सकता है, यह है कि इससे नौकरशाही, लागत, धोखाधड़ी और प्रतीक्षा समय में संभावित रूप से कमी आएगी, जब लोग यह साबित करने का प्रयास करेंगे कि वे कुछ सेवाओं के लिए पात्र हैं। हालांकि, नागरिक स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से पहचान पत्रों को लेकर चिंताएं हैं, फिर भी कार्यकुशलता में सुधार के लिए इनका उपयोग ध्यान में रखने योग्य बात है।
ऐसी उम्मीद है कि इससे अवैध आव्रजन पर असर पड़ेगा और ऐसे लोग, जिन्हें ब्रिटेन में रहने का अधिकार नहीं है, नौकरी पाने की कोशिश करने से बचेंगे। नियोक्ताओं और मकान मालिकों को आवेदकों की पहचान की पुष्टि के लिए उनके पहचान पत्रों की जांच करनी होगी।
अवैध आव्रजन और शैडो अर्थव्यवस्था
अवैध आप्रवासियों के प्रवाह से निपटना वर्तमान लेबर सरकार और पिछली कंजर्वेटिव सरकार, दोनों के लिए एक सतत समस्या रही है। ब्रिटेन का आकर्षण आंशिक रूप से उन लोगों के लिए उपलब्ध कार्य अवसरों से संबंधित है जो इस देश में आकर बस सकते हैं।
सिद्धांत रूप में, वर्तमान ई-वीजा योजना और नया डिजिटल पहचान पत्र, अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वालों के लिए वैध काम तक पहुंच को समाप्त कर देगा - हालांकि ‘माइग्रेंट्स राइट्स नेटवर्क’ जैसे समूहों ने उन लोगों के लिए ई-वीजा योजना के महत्व पर सवाल उठाया है जो अपनी आव्रजन स्थिति साबित करना चाहते हैं।