अलकायदा सरगना जवाहिरी मारा गया, भारत-अमेरिका को मिली राहत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 02-08-2022
कौन है अल जवाहिरी, इसके मारे जाने से अमेरिका और भारत को क्यों मिली राहत ?
कौन है अल जवाहिरी, इसके मारे जाने से अमेरिका और भारत को क्यों मिली राहत ?

 

मलिक असगर हाशमी नई दिल्ली वाशिंगटन 
साथ में एजेंसी
 
संयुक्त राज्य अमेरिका ने हवाई हमले में अलकायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सोमवार को इसकी पुष्टि करते हुए मीडिया ब्रीफिंग में कहा, शनिवार को, मेरे निर्देश पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में सफलतापूर्वक हवाई हमला किया और अल कायदा अमीर अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया.
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, न्याय होकर रहेगा, चाहे इसमें कितना भी समय लगे. चाहे आप कहीं भी छिप जाएं, अगर आप हमारे लिए खतरा हैं, तो अमेरिका आपको ढूंढेगा और आपको बाहर निकालेगा. 
 
दरअसल, बाइडेन का अल जवाहिरी के मारे जाने पर ऐसा बयान इसलिए आया है कि वह पिछले दो दशकों से अमेरिका और यूरोपीय देशों के लिए नासूर बना हुआ था. अल जवाहिरी के नेतृत्व में आतंकवादी संगठन अलकायदा ने अमेरिकी सेना और अमेरिकी शासन को भारी नुकसान पहुंचाया है.
 
हालांकि अलकायदा ने अभी तक भारत को उस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया है जैसा कि अमेरिका और यूरोपीय देश झेल चुके हैं. इसके बावजूद भारत ने इस लिए राहत की सांस ली है कि इधर अलकायदा ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपने स्लीपर सेल के माध्यम से गतिविधियां बढ़ानी शुरू कर दी थीं.
 
पूर्वोत्तर के इलाके में अल-कायदा बंगलादेश में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन के साथ मिलकर अपनी पैठ बढ़ाने की फिराक में है. चार दिन पहले असम के दो गांवों से एक मदरसा संचालक सहित पकड़े गए 11 लोगों के बारे में खुफिया विभाग का दावा है कि उनके संबंध अलकायदा से थे.हाल में पटना के फुलवारी शरीफ से पकड़े गए लोगों के संबंध में भी अलकायदा से बताए जा रहे हैं.
 
यही नहीं कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच इस आतंकवादी संगठन का नाम आ चुका है. अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी ने एक वीडियो में भगवा गमछा ओढ़े लोगों की नारेबाजी के जवाब में अल्लाह हू अकबर का नारा लगाने वाली भारतीय छात्रा की तारीफ की थी.
 
9 मिनट के इस वीडियो में जवाहिरी ने कहा था कि भारत के हिंदू लोकतंत्र में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है. जवाहिरी ने मुसलमानों को इस उत्पीड़न का जवाब देने को कहा था. तक आशंका जताई गई थी कि अलकायदा की मंशा हिजाब विवाद के जरिए भारत में अपनी जड़े जमाने की है.
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कौन है अल जवाहिरी ? 

अयमान अल जवाहिरी का जन्म 19 जून 1951 को मिस्र के एक संपन्न परिवार में हुआ था. अरबी और फ्रेंच बोलने वाला जवाहिरी पेशे से सर्जन है. 14 साल की उम्र में वह मुस्लिम ब्रदरहुड का सदस्य बन गया था.
 
1978 में काहिरा विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र की छात्रा अजा नोवारी से शादी की थी. कॉन्टिनेंटल होटल में आयोजित शादी ने उस समय के उदारवादी काहिरा में सबका ध्यान खींचा था.
 
शादी में पुरुषों और महिलाओं के बैठने की अलग-अलग व्यवस्था था. यहां तक कि शादी से फोटोग्राफरों और संगीतकारों को दूर रखा गया था. हंसी-मजाक पर भी पाबंदी थी।
 
जवाहिरी ने इजिप्टियन इस्लामिक जिहाद का गठन किया था. ये एक ऐसा उग्रवादी संगठन था जिसने 1970 के दशक में मिस्र में सेक्युलर शासन का विरोध किया. उसकी इच्छा थी कि मिस्र में इस्लामिक हुकूमत कायम हो.
 
1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या के बाद जवाहिरी उन सैकड़ों लोगों में शामिल था, जिन्हें गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया गया.तीन साल जेल में रहने के बाद वह देश छोड़कर सऊदी अरब आ गया.
 
यहां वह मेडिसिन विभाग में प्रैक्टिस करने लगा. सऊदी में ही अल जवाहिरी की मुलाकात अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन से हुई.ओसामा बिन लादेन 1985 में अलकायदा को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के पेशावर में गया हुआ था.
 
इस दौरान अल जवाहिरी भी पेशावर में ही था. यहीं से दोनों आतंकियों के बीच रिश्ता मजबूत होने लगा.इसके बाद 2001 में अल जवाहिरी ने अपने संगठन का अलकायदा में विलय कर लिया. इसके बाद दोनों आतंकी मिलकर दुनिया को दहलाने की साजिश रचने लगे.
 
जवाहिरी ने अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद संगठन की कमान अपने हाथ में ली थी. 2011 में वह अलकायदा का प्रमुख बना. दुनिया भर में कई जगह हुए आतंकी हमलों के पीछे उसका हाथ माना जाता है.
 
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भारत के खिलाफ पहले भी जारी कर चुका है वीडियो

अल जवाहिरी का भारत के बारे में पिछला वीडियो 2014 में सामने आया था. वीडियो में उसने भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद के लिए एक संगठन बनाने की घोषणा की थी. संगठन की अगुआई उत्तर प्रदेश में जन्मे और देवबंद में पढ़े मदरसा छात्र असीम उमर को सौंपी गई थी.
 
असीम उमर 1995 में पाकिस्तान चला गया था. माना जाता है कि उमर अफगानिस्तान के मूसा कला में 2019 में एक अमेरिकी मिलिट्री ऑपरेशन के दौरान मारा गया.
 
इस वीडियो में जवाहिरी ने कहा था कि वो भारत के मुसलमानों के साथ हमेशा खड़ा रहेगा. उन सीमाओं को समाप्त कर देगा जो भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनने से रोकती है.
 
सितंबर में अल जवाहिरी ने पाकिस्तानियों को चेताते हुए एक वीडियो जारी किया था. इसमें उसने कहा था कि राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ आपको हिंदुओं को सौंपने के लिए साजिश रच रहे हैं.
 
एक किताब में अल जवाहिरी ने मुसलमानों से आह्वान किया कि अफगानिस्तान, कश्मीर, बोस्निया-हर्जेगोविना और चेचेन्या में जंग लड़कर मजहबी कर्तव्यों को निभाएं.
 
11 सितंबर 2001 को 19 आतंकियों ने चार कमर्शियल प्लेन हाईजैक किए. इनमें से दो प्लेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ और साउथ टावर से टकरा दिए गए. वहीं, तीसरा प्लेन पेंटागन पर क्रैश किया गया. इस हमले में 93 देशों के 2977 लोग मारे गए थे. हमला आतंकी संगठन अलकायदा ने किया था.
 
बिन लादेन को 9-11 हमलों के मास्टरमाइंड के तौर पर जाना जाता है. हालांकि, अमेरिका के अधिकारियों का कहना है कि इसके पीछे अल जवाहिरी था, जिसे बिन लादेन का दिमाग कहा जाता था. अल जवाहिरी ही सभी हमलों की जिम्मेदारी और निगरानी को अंजाम देता था.
 
2004 में एक हार्ड डिस्क से साबित हुआ  कि 9-11 हमलों से पहले अल जवाहिरी अलकायदा की निर्णय प्रक्रिया के केंद्र में था. वह बिन लादेन और शीर्ष कमांडरों के बीच सूचना का आदान-प्रदान करता था.
 
अल जवाहिरी इराक और पाकिस्तान के अलकायदा लीडर के साथ रिश्ते बनाए रखने में भी गहराई के साथ जुड़ा था.1993 में सोमालिया में अमेरिकी सैनिकों की हत्या करवाने में अल जवाहिरी का  दिमाग माना जाता है.
 
4 अक्टूबर 1993 का दिन था. अमेरिकी रेंजर्स और सोमालिया में अलकायदा से जुड़े मिलिशिया के बीच जबरदस्त युद्ध छिड़ा. इस दौरान मिलिशिया लीडर जनरल आइदीद के लड़ाकों ने राजधानी मोगादिशु में दो अमेरिकी हेलिकॉप्टर गिरा डाले. इसमें 18 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे.
 
1993 में सोमालिया में अमेरिकी सैनिकों की हत्या करवाने में अल जवाहिरी का ही दिमाग माना जाता है. 4 अक्टूबर 1993 का दिन था. अमेरिकी रेंजर्स और सोमालिया में अलकायदा से जुड़े मिलिशिया के बीच जबरदस्त युद्ध छिड़ा था.
 
इस दौरान मिलिशिया लीडर जनरल आइदीद के लड़ाकों ने राजधानी मोगादिशु में दो अमेरिकी हेलिकॉप्टर गिरा डाले. इसमें 18 अमेरिकी सैनिक मारे गए.
7 अगस्त 1998 को नैरोबी, केन्या और तंजानिया के दार एस सलाम में अमेरिकी दूतावासों के सामने एक साथ धमाके कराने के पीछे भी जवाहिरी का ही दिमाग था.
 
इस हमले में 224 लोग मारे गए, जिनमें 12 अमेरिकी शामिल थे.7 अगस्त 1998 को नैरोबी, केन्या और तंजानिया के दार एस सलाम में अमेरिकी दूतावासों के सामने एक साथ धमाके कराने के पीछे भी जवाहिरी का ही दिमाग था.
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इस हमले में 224 लोग मारे गए, जिनमें 12 अमेरिकी शामिल थे.वर्ष 2000 में अदन के यमन बंदरगाह पर अलकायदा से जुड़े आतंकियों ने विस्फोटक लदी नाव से आत्मघाती हमला किया था. हमले में अमेरिका के 17 नौसैनिक मारे गए थे.
 
2005 में लंदन में हुए बम धमाकों के पीछे भी जवाहिरी का ही हाथ माना जाता है. इसमें 56 लोगों ने जान गंवाई थी. जवाहिरी ब्रिटेन को इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताता था.
 
भारत में अलकायदा 

अल जवाहिरी के तमाम प्रयासों के बावजूद अलकायदा को भारत में अपनी जड़ें जमाने में बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिली.पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की ओर से बताया गया था कि अलकायदा की दक्षिण एशिया इकाई तालिबान के संरक्षण में अफगानिस्तान में सक्रिय है.
 
संगठन मुख्य तौर पर अफगान और पाकिस्तानी नागरिकों को लेकर बना है, लेकिन इसमें कुछ लोग बांग्लादेश, भारत और म्यांमार के भी हैं.एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जवाहिरी का वीडियो मैसेज पूरी तरह से प्रोपेगेंडा और सगंठन की भारत में अपना आधार बढ़ाने की कोशिश है.
 
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन पहले केवल कश्मीर को लेकर भारत को निशाना बनाते थे, लेकिन अब वे कुछ विशेष मुद्दों पर भी बातें कर रहे हैं.
 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि हिजाब के भावनात्मक मुद्दे का इस्तेमाल अब अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे दुनिया के शीर्ष आतंकवादी संगठन कर रहे हैं. अलकायदा कश्मीर को अगले टारगेट के तौर पर प्रोजेक्ट करता आया है. एक्सपर्ट इसे भारतीय मुसलमानों को भड़काने के लिए जवाहिरी की नई चाल के रूप में देखते हैं.
 
 2001 के बाद भले अलकायदा कमजोर पड़ा है, लेकिन उसके लड़ाके अब भी अफगानिस्तान में सक्रिय हैं. पिछले साल अप्रैल में आई अमेरिकी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में भी माना गया कि अलकायदा आने वाले समय में अलग-अलग इलाकों में हमले कर सकता है.
 
रिपोर्ट्स के मुताबिक सीरिया स्थित अलकायदा की ब्रांच को विरोधियों ने खत्म कर दिया है. वहीं, यमन में भी उसकी हालत खराब है. हालांकि, सोमालिया और माली में अलकायदा की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है.
 
अफगानिस्तान के तालिबान नेताओं से भी अलकायदा के अच्छे संबंध बताए जाते हैं. कई रिपोर्ट्स में तो यहां तक दावा किया गया है कि तालिबान के साथ अमेरिका और अफगान सरकार के युद्ध में भी अलकायदा के लड़ाकों ने तालिबान का साथ दिया था.
 
आज से पहले अल जवाहिरी के अस्थमा से मरने की खबर आई थी. हालांकि, जनवरी 2021 में अलकायदा ने एक वीडियो जारी कर इसे गलत बताया था. मगर इस बार जो बाइडेन ने ड्रोन हमले में काबुल के नजदीक जवाहिरी को मार गिराने का दावा किया है. जाहिर है इससे अमेरिकी और यूरोपीय देश के अलावा भारत भी राहत महसूस कर रहा है.