आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पूर्व राजदूत वी. एस. शेषाद्री ने कहा कि अमेरिका की शुल्क नीतियों में अनिश्चितता एवं एकतरफा कार्रवाइयों के साथ-साथ चीन की आर्थिक वर्चस्व व प्रौद्योगिकी प्रभुत्व की कोशिश और भू-राजनीतिक मतभेद बढ़ने से वैश्विक व्यापार प्रणाली में अशांति उत्पन्न हुई है.
इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईयूएलईआर) में ‘अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून: चुनौतियां एवं दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि इन घटनाक्रमों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए आवश्यक पूर्वानुमान एवं स्थिरता को कमजोर कर दिया है.
यह व्याख्यान केंद्रीय विदेश मंत्रालय की विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला का हिस्सा था.
पूर्व भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी शेषाद्री ने स्लोवेनिया और म्यांमा में भारत के दूत के रूप में कार्य किया है.
शेषाद्री ने अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की अलग-अलग रणनीतियों और भारत पर इसके प्रभावों के बारे में बताया। अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की वैश्विक व्यापार में 42 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
अमेरिका की व्यापार नीतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका ने एकतरफा उपायों का विस्तार किया है तथा ‘‘जवाबी शुल्क’’ की आड़ में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) भागीदारों पर भी शुल्क लगाया है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ शेषाद्री ने कहा, ‘‘ इन कदमों को अब न केवल व्यापार को संतुलित करने तथा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लागू किया जा रहा है, बल्कि आर्थिक सुरक्षा, आव्रजन पर अंकुश लगाने, रूसी तेल के खरीदारों को दंडित करने और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने जैसे व्यापक लक्ष्यों के लिए भी इनका इस्तेमाल हो रहा है.
शेषाद्री ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका द्वारा थोपे गए द्विपक्षीय समझौते अकसर साझेदार देशों को अमेरिका से ऊर्जा, कृषि और रक्षा आयात करने के लिए बाध्य करते हैं जबकि बदले में शुल्क में केवल आंशिक कटौती की पेशकश करते हैं। ये व्यवस्थाएं विश्व व्यापार संगठन के नियमों के विपरीत हो सकती हैं।
चीन के बारे में पूर्व राजनयिक ने कहा कि चीन स्वयं को वैश्वीकरण का समर्थक बताता है लेकिन उसकी गतिविधियां ‘‘ आर्थिक प्रधानता एवं प्रौद्योगिकीय प्रभुत्व की चाह’’ को दर्शाती हैं जिसमें अत्यधिक उत्पादन, आक्रामक रूप से बाजार पर कब्जा करना और किसी की उस पर निर्भरताओं को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करना शामिल है.