ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की महत्वपूर्ण विदेश यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। यह यात्रा केवल समकालीन कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि उन गहरे ऐतिहासिक, सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को भी रेखांकित करती है, जो भारत को पश्चिम एशिया और अफ्रीका की इन प्राचीन सभ्यताओं से सदियों से जोड़ते आए हैं। यह दौरा भारत की उस विदेश नीति को प्रतिबिंबित करता है, जिसमें अतीत की विरासत के आधार पर भविष्य की साझेदारी को मजबूत किया जाता है।
भारत–जॉर्डन: प्राचीन सभ्यताओं का संवाद और आध्यात्मिक जुड़ाव
भारत और जॉर्डन दोनों ही विश्व की प्राचीन सभ्यताओं की भूमि रहे हैं। जॉर्डन ऐतिहासिक रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का केंद्र रहा है, जबकि भारत दर्शन, अध्यात्म और सह-अस्तित्व की परंपरा के लिए जाना जाता है। ऐतिहासिक सिल्क रूट और प्राचीन व्यापार मार्गों के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप और पश्चिम एशिया के बीच सांस्कृतिक संपर्क स्थापित हुआ।
भारत और जॉर्डन के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 1950 में स्थापित हुए, लेकिन दोनों के बीच मैत्री का इतिहास इससे भी पुराना है। वर्ष 1947 में दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हुए। आज जॉर्डन में योग, आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति के प्रति बढ़ती रुचि इस ऐतिहासिक जुड़ाव का आधुनिक रूप है। भारतीय सिनेमा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भी लोगों के बीच संबंधों को सशक्त बनाया है।
भारत–इथियोपिया: अफ्रीका और भारत की प्राचीन सभ्यतागत समानताएं
इथियोपिया अफ्रीका की सबसे प्राचीन स्वतंत्र सभ्यताओं में से एक है, जिसने कभी औपनिवेशिक शासन को स्वीकार नहीं किया। यह तथ्य भारत के स्वतंत्रता संघर्ष और आत्मसम्मान की भावना से गहरी समानता रखता है। प्राचीन काल में भारत और अफ्रीका के बीच हिंद महासागर के माध्यम से व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित थे, जिनमें मसाले, वस्त्र और हाथीदांत का आदान-प्रदान होता था।
इथियोपिया में भारतीय समुदाय की ऐतिहासिक उपस्थिति ने शिक्षा, व्यापार और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया। 20वीं सदी में इथियोपिया के सम्राट हैली सेलासी और भारतीय नेताओं के बीच घनिष्ठ संबंध रहे। आज इथियोपिया में भारत एक प्रमुख विकास साझेदार है, जहां भारतीय कंपनियां कृषि, चीनी उद्योग, फार्मास्यूटिकल्स और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
भारत–ओमान: समुद्री सभ्यता और व्यापारिक साझेदारी की सदियों पुरानी विरासत
भारत और ओमान के संबंधों की जड़ें समुद्री इतिहास में गहराई से जुड़ी हैं। प्राचीन काल में भारतीय व्यापारी ओमान के बंदरगाहों—मस्कट और सोहर—तक नियमित रूप से आते थे। ओमान की खुदाई में मिले भारतीय मूल के सिक्के और सिरेमिक इस ऐतिहासिक संपर्क के साक्ष्य हैं।
ओमान में आज भी भारतीय समुदाय की मजबूत उपस्थिति है, जो लगभग 7 लाख से अधिक लोगों की है। भारत और ओमान के बीच 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए, लेकिन उससे पहले भी दोनों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संपर्क निरंतर बना रहा। साझा समुद्री विरासत, सहिष्णुता और आपसी सम्मान भारत–ओमान संबंधों की पहचान हैं।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: सभ्यता से जन-संपर्क तक
जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान—तीनों देशों में भारतीय संस्कृति की स्वीकार्यता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। योग दिवस, भारतीय नृत्य और संगीत कार्यक्रम, फिल्म महोत्सव और शैक्षणिक आदान-प्रदान इन संबंधों को जन-स्तर पर मजबूत करते हैं। भारतीय दर्शन का मूल मंत्र “वसुधैव कुटुम्बकम्” इन देशों के सांस्कृतिक मूल्यों से सहज रूप से मेल खाता है।
भारत द्वारा प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्तियां, तकनीकी प्रशिक्षण (ITEC कार्यक्रम) और क्षमता निर्माण पहलें इन देशों के युवाओं के लिए भारत को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करती हैं।
ऐतिहासिक रिश्तों से भविष्य की साझेदारी तक
प्रधानमंत्री की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब भारत वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और संतुलित शक्ति के रूप में उभर रहा है। जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान—तीनों ही देश क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इतिहास, सभ्यता और संस्कृति की साझा विरासत के आधार पर भारत इन देशों के साथ आर्थिक, सुरक्षा और मानवीय सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह यात्रा इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत अपनी प्राचीन सभ्यतागत जड़ों से प्रेरणा लेते हुए, साझे मूल्यों और आपसी सम्मान के साथ वैश्विक भविष्य के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है।