मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
दुनिया में जब कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर आफत बनी हुई है, पाकिस्तान की अल्पसंख्यक बिरादरी एक अन्य मसले को लेकर परेशान है. वह है उनकी बिरादरी की कमसिन लड़कियों से जबरन इस्लाम कबूलवाना. इस समस्या से वे इस कदर दो-चार हैं कि सरकार पर बदाव बनाने के लिए दो दिन बाद जबरन कन्र्वजन रोकने को बिल लाने के लिए अभियान चलाने जा रहे हैं.
चूंकि यह कोरोना काल चल रहा है, इसलिए अभियान वर्चुअल और सोशल मीडिया पर चलेगा. इसे सफल बनाने के लिए पिछले कई दिनों से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. अभियान की अगुवाई कर रहे हैं पाकिस्तान के जाने-माने एक्टिविस्ट धनजी कोलही. आरोप है कि पड़ोसी मुल्क में ईसाई और हिंदू कौम की कोलही और भील बिरादरी की लड़कियों पिछले कई वर्षों से कन्वर्जन का शिकार बनाया जा रहा है.
गौरतलब है कि पड़ोसी पाकिस्तान में हिंदू बिरादरी सर्वाधिक संख्या में वहां के सिंध और ईसाई पंजाब प्रांत में रहती हैं. सिंध से एक हिंदू महिला राज्यसभा सदस्य भी है. बावजूद इसके अल्पसंख्यक लड़कियों के अपहरण, बलात्कार और कन्वर्जन की घटनाएं नहीं रूक रही हैं.
पाकिस्तान का अल्पसंख्यक आयोग सहित दूसरे विदेशी संगठन मानते हैं कि केवल सिंध प्रांत में प्रत्येक वर्ष एक हजार से अधिक अल्पसंख्यक लड़कियों का कन्वर्जन कराया जाता है. यूं तो पाकिस्तान में शादी की उम्र 16 वर्ष है, पर सिंध में कन्वर्जन रोकने के लिए वहां शादी की उम्र 18 वर्ष निर्धारित की हुई है.
इसके पीछे तर्क है कि इससे कन्वर्जन पर रोक लगेगी. यदि कोई दूसरे धर्म की 18 साल से कम उम्र उम्र लड़की से विवाह करता है तो उसे कन्वर्जन का दोषी माना जाएगा. आरोप सिद्ध होने पर जेल और जुर्माना दोनों संभव है. बावजूद इसके ऐसे मामलों में कमी आने के बजाए बढ़ रही है. हाल में प्रिशा नामक एक कमउत्र लड़की का अपहरण कर एक अधेड़ से शादी करा दी गई थी.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार आयोग के अध्यक्ष चेला राम कहते हैं कि कन्वर्जन की सुनियोजित साजिश चल रही है, इसलिए क्या वजह है कि केवल कम उम्र लड़कियों का धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह कराया जाता है. प्रौढ़ों या बुजुर्गों का क्यों नहीं ?
इस बारे में मानवाधिकार आयोग के उप प्रमुख असद बट कहते हैं कि किसी से जबरन इस्लाम कबूलवाना सही नहीं है. इसका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है. बल्कि एक गिरोह है जो पैसे के लिए यह सब कर रहा है. जो लड़कियां बहकावे में नहीं आतीं उनका अपहरण कर पैसे लेकर विवाह के लिए सौंप दिया जाता है. एक्टिविस्ट अनीस हसन कहती हैं कि पाकिस्तान में जबरन शादी, अपहरण आदि के खिलाफ कानून तो बहुत हैं, पर इसपर ठीक से अमल नहीं हो रहा है.
दूसरी तरफ अल्पसंख्यक बिरादरी चाहती है कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए अलग कानून बने. इसके लिए सिंध प्रांत की सरकार ‘एंटी कन्वर्जन बिल’ लाए. उसके बाद ही पूरी तरह से इस मसले से पाकिस्तान के अल्पसंख्यको को छुटकारा दिलाया जा सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता धनजी कोहती कहते हैं,‘‘मेरा देश और संविधान हमें अधिकार देता है, जो हम सरकारों से मांग कर रहे हैं. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है.’’
धनजी कोहली अपने 9 मई के अभियान को सफल बनाने के लिए पुरजोर तरीके से लगे हैं. सोशल मीडिया पर यह हैशटैग अभियान 9 जुलाई को सुबह 8 बजे से चलेगा. लोगों से अपील की गई है कि इसे सफल बनाने को आगे आएं. सरकार पर दबाव बनाने के लिए ऐसी ही एक अन्य अभियान दो मई को भी चलाया गया था.