आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने कहा कि उनके जेहन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पूर्व में की गई मुलाकातों की अच्छी यादें अब भी ताजा हैं। किम ने साथ ही, लंबे समय से रुकी हुई राजनयिक स्तर की वार्ता बहाल करने के लिए पूर्व शर्त के रूप में उत्तर कोरिया से परमाणु हथियार बनाना बंद करने संबंधी मांग छोड़ने की अपील की.
रविवार को उत्तर कोरिया की संसद को संबोधित करते हुए किम ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिद्वंद्वी देश दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत शुरू करने का उनका कोई इरादा नहीं है। दक्षिण कोरिया अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति के पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप के साथ किम की शिखर बैठकों में मध्यस्थता करने में मदद की थी.
किम की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्यूंग संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क रवाना होने वाले हैं। उम्मीद है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप में परमाणु तनाव पर और वार्ता की मेज पर उत्तर कोरिया के लौटने के संबंध में बात कर सकते हैं.
ट्रंप के अगले महीने एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दक्षिण कोरिया जाने की भी उम्मीद है, जिससे मीडिया में अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह अंतर-कोरियाई सीमा पर किम से मिलने की कोशिश कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने 2019 में अपनी तीसरी बैठक के दौरान किया था।
किम ने ‘सुप्रीम पीपुल्स असेंबली’ में अपने नवीनतम भाषण के दौरान दोहराया कि वह अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को कभी नहीं छोड़ेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि किम इसे अपने अस्तित्व की सबसे मजबूत गारंटी और अपने परिवार के शासन के विस्तार के रूप में देखते हैं.
किम ने कहा, ‘‘दुनिया अच्छी तरह से जानती है कि दूसरे देशों को अपने परमाणु हथियार छोड़ने और निरस्त्रीकरण के लिए मजबूर करने के बाद अमेरिका क्या करता है। हम अपने परमाणु हथियार कभी नहीं छोड़ेंगे... प्रतिबंध हटाने के बदले में शत्रु देशों के साथ किसी भी तरह का व्यापार करने के बारे में- अभी या कभी नहीं, कोई बातचीत नहीं होगी.’
किम ने कहा कि उनके जेहन में ट्रंप के साथ पहली मुलाक़ातों की ‘‘अच्छी यादें’’ अब भी हैं और अगर वाशिंगटन ‘‘परमाणु निरस्त्रीकरण के अपने भ्रमपूर्ण जुनून को त्याग दे’’ तो अमेरिका के साथ बातचीत फिर से शुरू न करने का कोई कारण नहीं है.
किम हाल के वर्षों में हथियार परीक्षण गतिविधियों में तेज़ी लाए हैं और देश ने विभिन्न दूरी की मारक क्षमता वाले हथियारों का प्रदर्शन किया है। विश्लेषकों का कहना है कि किम के परमाणु प्रयासों का उद्देश्य अंततः वाशिंगटन पर उत्तर कोरिया को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्वीकार करने और मज़बूत स्थिति में रहते हुए आर्थिक और सुरक्षा संबंधी रियायतों पर बातचीत करने के लिए दबाव डालना है.