आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआती पांच महीनों में भारत के झींगा (श्रिम्प) निर्यात में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में झींगा निर्यात मूल्य 18 प्रतिशत बढ़कर 2.43 अरब डॉलर पहुंच गया, जबकि निर्यात मात्रा 11 प्रतिशत बढ़कर 3.48 लाख मीट्रिक टन रही।
सबसे खास बात यह रही कि यह बढ़त मुख्य रूप से गैर-अमेरिकी बाज़ारों से मिली। जहां 5MFY25 में कुल निर्यात का 51% हिस्सा गैर-अमेरिका देशों का था, वहीं 5MFY26 में यह बढ़कर 57% हो गया। वियतनाम, बेल्जियम, चीन और रूस जैसे देशों ने कुल निर्यात वृद्धि में 86% योगदान दिया।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका—जो पारंपरिक रूप से भारत के झींगा निर्यात का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है—वहां केवल 5% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। इसके पीछे मुख्य कारण रहा बढ़ा हुआ आयात शुल्क। अप्रैल-अगस्त 2025 के बीच भारत पर कुल 18% टैरिफ लागू था, जबकि इक्वाडोर और इंडोनेशिया पर यह 13-14% रहा। 27 अगस्त 2025 के बाद भारत पर प्रभावी शुल्क 58% तक पहुंच गया, जिससे अमेरिकी बाज़ार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता प्रभावित हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के निर्यातक नए बाज़ारों में प्रवेश, यूरोपीय संघ और रूस में अतिरिक्त मंजूरी, और बेहतर ट्रेसबिलिटी मानकों के माध्यम से नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं। वियतनाम और बेल्जियम को निर्यात दोगुना हुआ है, जबकि चीन को भेजे गए झींगा निर्यात में 16% की वृद्धि हुई।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिकी शुल्क के दबाव के कारण पूरे साल के निर्यात में 10-12% की कमी आ सकती है। हालांकि, शुरुआती महीनों में बढ़े हुए शिपमेंट और नए बाज़ारों में विस्तार से कुछ राहत मिलेगी।