बेयरूत:
अपने तीन दिवसीय ऐतिहासिक दौरे की पहली ही सभा में पोप लियो 14वें ने लेबनान के 400 से अधिक शीर्ष राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि लेबनान में शांति केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक निरंतर यात्रा, एक संदेश और एक सामूहिक कार्य है। उन्होंने कहा कि लेबनान के लोग संकटों के बावजूद हमेशा उठ खड़े होने की क्षमता रखते हैं और यही गुण किसी भी सच्चे “शांतिनिर्माता” की पहचान है।
तुर्किये से आगमन के बाद उन्होंने कहा कि लेबनान एक विविधता वाला देश है, जहाँ अलग-अलग समुदाय एक साझा भाषा — “उम्मीद की भाषा” — के माध्यम से जुड़े हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि दुनिया में बढ़ते निराशावाद और असहायता की भावना के बीच लेबनान को अपने साहस और स्थिरता से उदाहरण पेश करना होगा।
पोप ने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी जनता से दूर न हों और पूरे समर्पण के साथ उनकी सेवा करें। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्तिगत और सामूहिक घावों को नहीं भरा गया तो सच्ची शांति पाना कठिन होगा। “शांति केवल एक नाज़ुक संतुलन नहीं है; यह साथ रहने की क्षमता है—एक ऐसी पुनर्मिलन यात्रा जो हमें साझा भविष्य की ओर ले जाए।” उन्होंने संवाद को ही मेल-मिलाप का रास्ता बताया।
उन्होंने जोर दिया कि लेबनानियों को अपने देश में रहकर प्रेम और शांति की सभ्यता को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चर्च उन लोगों के अधिकारों की रक्षा करती है जो बाहर चले गए हैं, लेकिन वह किसी को अपने देश छोड़ने के लिए मजबूर होते नहीं देखना चाहती।
पोप ने महिलाओं की भूमिका को भी रेखांकित किया और कहा कि महिलाएँ समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन में शांति निर्माण की अनोखी शक्ति रखती हैं।
इसके बाद राष्ट्रपति जोसेफ औन ने पोप का स्वागत करते हुए कहा कि लेबनान छोटा देश होते हुए भी अपनी मिशन-भूमि के कारण दुनिया में अनोखा है—एक ऐसा देश जहाँ विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग बराबरी और स्वतंत्रता के साथ रहते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि लेबनान जैसा मॉडल टूट गया तो दुनिया में उग्रवाद और हिंसा की नई लकीरें खिंच जाएँगी।
औन ने कहा, “हम न मरेंगे, न छोड़ेंगे, न हार मानेंगे। हम यहीं रहेंगे, आज़ादी में सांस लेते हुए, प्रेम और नवाचार के साथ।”
बेयरूत हवाई अड्डे पर पोप का भव्य स्वागत हुआ। लेबनानी सेना के जेट विमानों ने उनके विमान को एस्कॉर्ट किया, 21 तोपों की सलामी दी गई और पूरे देश में घंटियाँ बजीं। हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, बारिश में खड़े होकर लेबनान और वेटिकन के झंडे लहराते हुए उन्हें “उम्मीद की किरण” कहकर पुकारते रहे।
राष्ट्रपति भवन में पोप ने लेबनान के सभी शीर्ष नेताओं से अलग-अलग मुलाकात की। बड़े हॉल में राजनीतिक नेताओं, धार्मिक प्रमुखों, राजनयिकों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने पोप के संबोधन का इंतज़ार किया, जो इस यात्रा को लेबनान के भविष्य की शांति और स्थिरता के लिए एक निर्णायक क्षण मान रहे हैं।






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